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उत्तरकाशी जिला पंचायत के भ्रष्टाचार पर सरकार मौन, बिना निर्माण उड़ाया था बजट

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Published : Nov 9, 2021, 8:58 AM IST

Updated : Dec 7, 2021, 4:35 PM IST

uttarkashi corruption
उत्तरकाशी भ्रष्टाचार

उत्तराखंड में जिस मामले को पंचायत का सबसे बड़ा कथित भ्रष्टाचार कहा जा रहा है, उस पर सरकार की खामोशी कई सवाल खड़े कर रही है. ये हाल तब है जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री रहते इसकी जांच के आदेश दिए थे. जिलाधिकारी की जांच में भ्रष्टाचार की पुष्टि भी हुई, लेकिन गढ़वाल कमिश्नर की जांच के बाद मानो इस मामले को सरकार ने भुला ही दिया. उधर कुछ सफेदपोशों पर दोषियों को बचाने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं. ईटीवी भारत ने जब इस बारे में दीपक बिजल्वाण से उनका पक्ष जाना तो उन्होंने कहा कि सारे आरोप निराधार हैं. देखिए रिपोर्ट.

देहरादून/उत्तरकाशी: उत्तराखंड में भ्रष्टाचार को लेकर शायद ही किसी पंचायत पर इतने गंभीर और बड़े आरोप लगे हों. करोड़ों के कामों में अनियमितता की बात हो या गलत नियुक्ति की, किसी ठेकेदार को फायदा पहुंचाने का आरोप हो या नियम विरुद्ध टेंडर निकालने का मामला, हर वो आरोप जो किसी भी संस्था की साख पर बट्टा लगा सकता है, जिला पंचायत उत्तरकाशी ने झेला है. यही नहीं इन आरोपों का संज्ञान खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री ने लिया और डीएम से लेकर तमाम अधिकारियों से मामले की जांच भी करवा डाली. लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी ना तो कोई कार्रवाई हुई और ना ही पूरी तरह से क्लीनचिट दी गयी. उधर अब तो आरोप सरकार के कुछ सफेदपोश नेताओं पर मामले को दबाने के भी लगने लगे हैं. सबसे पहले जानिए कि यह पूरा मामला है क्या...

उत्तरकाशी जिला पंचायत का ये भ्रष्टाचार रहा चर्चा में: जिला पंचायत उत्तरकाशी में कथित भ्रष्टाचार का यह कोई नया या किसी से छुपा हुआ मामला नहीं है. दरअसल 1 नवंबर 2020 को उत्तरकाशी जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह रावत ने एक पत्र के माध्यम से तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को जिला पंचायत में हो रहे करोड़ों के कथित भ्रष्टाचार की शिकायत की थी. जिसके बाद फौरन तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तीन नवंबर को इस मामले की जांच के आदेश देकर 15 दिन में रिपोर्ट तलब की. इसके बाद गढ़वाल कमिश्नर ने 10 नवंबर को उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित को जांच के आदेश दे दिए. मामले की गंभीरता को समझते हुए जिलाधिकारी उत्तरकाशी मयूर दीक्षित ने जांच के लिए 24 टीमें गठित कर विभिन्न योजनाओं का स्थलीय निरीक्षण कर सत्यापन का काम शुरू करवाया.

बिजल्वाण पर कार्रवाई कब?
  1. जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण पर यह थे आरोप
  2. जिला पंचायत अध्यक्ष पर करोड़ों के फर्जी निर्माण कार्य दिखाने का आरोप
  3. निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का आरोप
  4. मजदूरों के फर्जी मस्टररोल भरे जाने की थी शिकायत
  5. बिना स्वीकृति के जिला पंचायत में नियुक्तियां करने के आरोप
  6. वित्त अधिकारी के बिना करोड़ों रुपए का आहरण करने का आरोप
  7. चहेती संस्था को 90% काम आवंटित करने का आरोप
  8. टेंडर में गलत प्रक्रिया कर मनचाहा टेंडर निकालने का आरोप

यही वह आरोप थे जिन को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दिए गए थे और इस पर जिलाधिकारी ने अपनी जांच भी शुरू कर दी थी. इसमें कहा गया कि नवंबर 2019 से दिसंबर 2020 तक के स्वीकृत कार्यों की जांच करवाई जाए. लिहाजा इन मामलों पर जांच कर जिलाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट संबंधित अधिकारी को भेज दी.

247 योजनाओं पर बिना काम किए पूरा दिखा दिया: चौंकाने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री को की गई शिकायतों में लगाए गए सभी आरोप जिलाधिकारी की जांच में पुष्ट पाए गए थे. गंभीर मामलों को देखें तो जिला अधिकारी की रिपोर्ट में साफ किया गया कि योजना में स्वीकृत 748 योजनाओं में से 691 योजना का स्थलीय निरीक्षण करवाया गया. इसमें 197 योजना तो ठीक पाई गईं लेकिन 247 योजनाएं धरातल पर कहीं मौजूद ही नहीं थीं. यह नहीं 227 योजनाओं का काम अधूरा था जबकि 14 योजनाएं तो ऐसी थीं जो किसी और मद में 3 से 4 साल पहले ही पूरी हो चुकी थीं. लेकिन उसमें नया बोर्ड लगाकर नई योजना दिखाने की कोशिश की गई थी. जिला पंचायत उत्तरकाशी के कथित भ्रष्टाचार का यह पूरा मामला नवंबर 2019 से दिसंबर 2019 के बीच का था.

जांच में यहां तक पाया गया कि जिला पंचायत के अवर अभियंताओं ने जिन 194 योजनाओं के फोटो सहित काम पूरे होने दर्शाए थे उसमें 40 योजनाएं मौके पर कहीं मौजूद ही नहीं थी. जबकि 55 योजनाएं तो ऐसी थीं जो जिला पंचायत सदस्य की शिकायत के बाद आनन-फानन में लीपापोती कर दिखाने की कोशिश की गई.

मामला इतना भर नहीं है. रघुनाथ एसोसिएट नाम की संस्था को जिला पंचायत उत्तरकाशी में 90% तक काम दे दिए. उधर टेंडर देने में भी नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं. यह सब स्थिति जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट में दर्ज की गई.

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हालांकि इस मामले में इसके बाद सचिव पंचायत ने गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन को जांच अधिकारी बना कर फिर से जांच करने के लिए कहा. जिसके बाद गढ़वाल आयुक्त की जांच में जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण को राहत देते हुए तथ्यों या जानकारी के अभाव में कुछ ही मामलों में गड़बड़ी होने की बात कही गई. हालांकि इसके बाद गढ़वाल कमिश्नर की जांच पर भी कई लोगों ने सवाल खड़े किए.

जिला पंचायत सदस्य दे चुके हैं धरना: इस मामले में हैरत की बात यह है कि जिला पंचायत के कई सदस्य अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर धरना तक दे चुके हैं, लेकिन स्थिति यह है कि अब तक जिला पंचायत अध्यक्ष के वित्तीय अधिकार तक सीज नहीं किए गए हैं. यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि भाजपा सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने जहां इस मामले पर तेजी दिखा कर कार्रवाई का भरोसा जताया था, वहीं धामी सरकार इस पूरे प्रकरण को लेकर मौन दिखाई दे रही है.

हालांकि भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुंवर जपिन्दर सिंह ने इस मामले में हाईकोर्ट का रास्ता अख्तियार किया और मामले में सीबीआई जांच की मांग की है. इसके बाद हाईकोर्ट में यह मामला विचाराधीन है. लेकिन भाजपा के इस नेता को भी लगता है कि कुछ नेताओं की शह में भ्रष्टाचार को दबाने की कोशिश की जा रही है.

पूर्व CM से हैं करीबी संबंध: वैसे आपको बता दें कि जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण निर्दलीय रूप से अध्यक्ष बने थे, लेकिन उनके संबंध एक पूर्व सीएम से बेहद करीबी माने जाते हैं. यही नहीं भाजपा सरकार के एक मंत्री से भी इन दिनों जिला पंचायत अध्यक्ष की करीबी चर्चाओं में है. शायद यही कारण है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने भी इस मामले पर भाजपा पर निशाना साधा है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल कहते हैं कि इस मामले का कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है. भ्रष्टाचार हुआ है तो सरकार को फौरन इस पर मुकदमा दर्ज करना चाहिए. इतना ही नहीं गणेश गोदियाल सरकार के कुछ नेताओं पर मामले को दबाने का भी आरोप लगा रहे हैं.

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विशेष जांच से बचने को गए थे हाईकोर्ट: इस पूरे प्रकरण को लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने जांच अधिकारी को अपना जवाब दे दिया है. उधर जांच से बचने के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए विशेष जांच नहीं किए जाने की भी दरख्वास्त की थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. बड़ी बात यह है कि इतना कुछ होने के बावजूद भी इस मामले में ना तो अब तक कोई मुकदमा दर्ज हुआ और ना ही किसी अधिकारी से किसी भी तरह की रिकवरी. उल्टा मामले में अब नेताओं की सरपरस्ती और मामले को दबाने के आरोप लगने लगे हैं. अब देखना होगा कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की बात कहने वाली धामी सरकार कथित भ्रष्टाचार के इस मामले पर खामोश ही रहती है या फिर दोषियों पर कोई कार्रवाई भी हो पाती है.

ईटीवी भारत से ये बोले दीपक बिजल्वाण: इस मामले को लेकर ETV भारत ने दीपक बिजल्वाण का पक्ष भी जाना. जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने कहा कि यह सभी आरोप पूरी तरह से गलत और निराधार हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इस मामले में शासन से उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है. लिहाजा जिन लोगों ने भी उन पर आरोप लगाए हैं, वह पूरी तरह से गलत हैं. इतना ही नहीं कुंवर जपिन्द्र सिंह को लेकर उन्होंने कहा कि कोर्ट में भी उनके आरोपों को गलत और निराधार माना गया है. ऐसे में उन्हें राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं.

Last Updated :Dec 7, 2021, 4:35 PM IST
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