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Constitution Day 2020: सभी सरकारी कार्यालयों में मनाया जा रहा है संविधान दिवस

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Published : Nov 26, 2020, 7:24 AM IST

Constitution Day
Constitution Day

हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. उत्तराखंड शासन में सचिव (प्रभारी) डॉ. पंकज कुमार पांडे की ओर से समस्त सरकारी महकमों के लिए यह आदेश जारी किया गया है कि मुख्यालयों में संविधान दिवस मनाया जाए.

देहरादून: भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को याद कर हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. इसी के तहत उत्तराखंड शासन में सचिव (प्रभारी) डॉ. पंकज कुमार पांडे की ओर से समस्त सरकारी महकमों के लिए यह आदेश जारी किया गया है कि सरकारी महकमों के मुख्यालयों में संविधान दिवस मनाया जाए.

गौरतलब है कि, 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू होने से पहले 26 नवंबर 1949 को इसे अपनाया गया था. इस संविधान की ड्राफ्टिंग डॉ. बीआर आंबेडकर की ओर से की गई थी, जो ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष भी थे. इसलिए डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता भी कहा जाता है.

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भारत का संविधान कब और कैसे बना?

संविधान सभा में भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को पारित हुआ. जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ. इसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारतीय संविधान दुनिया का सबसे विशाल संविधान है. इसे कई देशों के संविधान को परखने के बाद तैयार किया गया है. इसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 94 संशोधन शामिल हैं. भारतीय संविधान को पूर्ण रूप से तैयार करने में 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन का समय लगा था.

भारतीय संविधान की विशेषता

  • भारत का संविधान लिखित है. इंग्लैंड में लिखित संविधान नहीं है. वहां, परंपरा के तहत चली आ रही बातों का पालन होता है. भारत में संविधान का मौलिक ढांचा, जैसे– संविधान की सर्वोच्चता, संसदीय लोकतंत्र, स्वतन्त्र न्यायपालिका जैसी बातों को नहीं बदला जा सकता है. लेकिन अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग प्रक्रिया के तहत बदलाव किया जा सकता है.
  • भारतीय संविधान में बदलाव तीन तरह से हो सकता है. साधारण बहुमत से, विशेष बहुमत से और विशेष बहुमत के साथ ही आधे राज्यों के अनुसमर्थन के जरिये.
  • ब्रिटेन में पूरी तरह से केंद्रीय शासन है. वहां देश के सभी हिस्सों में केंद्र के प्रतिनिधि ही काम करते हैं. अमेरिका में संघीय ढांचा है. वहां पर राज्यों को बहुत ज्यादा स्वायत्तता मिली है. भारत में संघीय ढांचा तो है, लेकिन उसका झुकाव केंद्र की तरफ रखा गया है. यही वजह है कि राज्य कई मामलों में अपने हिसाब से कानून बनाते हैं, प्रशासन चलाते हैं. लेकिन केंद्र अगर जरूरी समझे तो किसी राज्य सरकार को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लगा सकता है.
  • भारत में एकल नागरिकता व्यवस्था है. सभी लोग भारत के नागरिक होते हैं. किसी राज्य का नागरिक नहीं होते. नागरिकों को देश के कुछ हिस्सों को छोड़कर कहीं भी आने-जाने, बसने और व्यवसाय करने की स्वतंत्रता है.
  • भारतीय संविधान में 18 साल या उससे अधिक उम्र के हर नागरिक को मतदान के से अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है. यहां धर्म, जाति, भाषा, प्रांत, लिंग आदि के भेदभाव के बिना हर नागरिक को वोटिंग का अधिकार है.
  • भारत में राष्ट्रपति और संसदीय दोनों प्रणाली लागू हैं. भारत में राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होते हैं. हकीकत में देश का नेतृत्व संसद के निचले सदन में बहुमत पाने वाले प्रधानमंत्री करते हैं.
  • ब्रिटेन में भी संसदीय व्यवस्था है, लेकिन वहां की प्रमुख महारानी हैं. हमारे देश में महारानी की जगह राष्ट्रपति हैं.
  • संसद और न्यायपालिका के बीच काम का बंटवारा भारतीय संवैधानिक व्यवस्था का एक अहम हिस्सा है. कई देशों में संसद की शक्ति अपार होती है. न्यायपालिका भी उस पर नियंत्रण नहीं लगा सकती. लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. संसद को कानून बनाने का अधिकार दिया गया है. पर हर कानून की समीक्षा न्यायपालिका कर सकती है. अगर कानून संविधान के दायरे के बाहर है तो उसे निरस्त भी कर सकती है.
  • स्वतंत्र और स्वायत्त न्यायपालिका भारतीय संविधान की एक बड़ी विशेषता है. संविधान के निर्माताओं ने इस बात को सुनिश्चित किया कि न्यायपालिका बिना किसी बाहरी दखल के अपना काम कर सके.
  • भारतीय संविधान में नागरिकों के अधिकार पर ज्यादा ध्यान दिया गया है. भारत के हर नागरिक को मौलिक अधिकार देना संविधान की सबसे बड़ी विशेषता है. अगर सरकार के किसी कदम से किसी नागरिक के मौलिक अधिकार का हनन होता है, तो सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में अपील कर सकता है.
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