ETV Bharat / city

वनवासियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने हैदराबाद में इकट्ठा हुए सामाजिक कार्यकर्ता

author img

By

Published : Aug 30, 2021, 3:44 PM IST

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में वनवासियों को उनके अधिकार दिलाने के लिए सम्मेलन आयोजित हुआ. इस सम्मेलन में देश के बड़े कानूनविद् और वनवासियों की चिंता करने वाले लोग इकट्ठा हुए. सम्मेलन में अगले एक से डेढ़ महीने के अंदर सुप्रीम कोर्ट में फॉरेस्ट राइट्स एक्ट पर होने वाली सुनवाई के लिए अपनी तैयारी को पुख्ता किया गया. ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क के बुलाए सम्मेलन में देश भर के साथ उत्तराखंड से भी वनाधिकारों के पहरुए हैदराबाद सम्मेलन में आए.

conference-on-forest-rights-act
वनवासियों के अधिकारों की लड़ाई

हैदराबाद/देहरादून: आदिवासियों एवं अन्य परंपरागत वनवासियों के साथ हुए अन्याय से उन्हें मुक्ति दिलाने और जंगल पर उनके अधिकारों को मान्यता देने के लिए संसद ने दिसम्बर, 2006 में अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) कानून पास कर दिया था. एक लम्बी अवधि के बाद अंतत: केन्द्र सरकार ने इसे 1 जनवरी 2008 को नोटिफाई करके जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू कर दिया. इसके बावजूद ट्राइबल्स को उनके अधिकार नहीं मिल पाए.

मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. एक से डेढ़ महीने में सर्वोच्च अदालत में इस पर सुनवाई होगी. ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क ने देशभर के ट्राइबल्स और उनकी आवाज उठाने वालों को हैदराबाद में एक मंच पर इकट्ठा किया. सुप्रीम कोर्ट में होने जा रही सुनवाई को देखते हुए सोशल वेलफेयर्स से जुड़े लोग अपनी पुख्ता तैयारी में लगे हैं.

ट्राइबल्स के अधिकारों की लड़ाई

वनवासियों को उनके अधिकार मिलें और सुप्रीम कोर्ट में मामले को मजबूती से रखा जाए इसके लिए तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क ने सम्मेलन आयोजित किया. सम्मेलन में देश भर के आदिवासियों, वनवासियों के प्रतिनिधि और उन्हें उनके अधिकार दिलाने को उत्सुक सामाजिक कार्यकर्ता और कानूनविद् शामिल हुए. दो दिवसीय कार्यशाला में वनाधिकार कानून सही से क्रियान्वित हो, इस पर चर्चा की गई.

ये भी पढ़ें: मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीने को मजबूर वन गुर्जर, विस्थापन की आस में पथराई आंखें

एफआरए का भारत में इंप्लीमेंटेशन सिर्फ 10 फीसदी: कार्यशाला को लीड करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गौंजाल्विस ने कहा कि हमने फॉरेस्ट राइट्स एक्ट का नेशनल कंवेंशन बुलाया है. गौंजाल्विस ने चिंता जताते हुए कहा कि एफआरए का भारत में इंप्लीमेंटेशन सिर्फ 10 फीसदी है. कानून के अनुसार प्रत्येक वनवासी को जंगल में पट्टा मिलना चाहिए था. कम्यूनिटी फॉरेस्ट राइट भी होना चाहिए था.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गौंजाल्विस ने कहा कि अफसोस है कि सरकार ने लापरवाही दिखाई. इस कारण ज्यादातर ट्राइबल्स इस कानून से बाहर हो गये. इसी कारण फॉरेस्ट राइट एक्ट 2006 फेल हो गया. लेकिन हम वनवासियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ेंगे. एक से डेढ़ महीने बाद सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी. उसी की तैयारी के लिए ये दो दिवसीय कार्यशाल रखी है.

वनवासियों को उनके अधिकार मिलें: उत्तराखंड से भी वनवासियों के अधिकारों की चिंता करने वाले लोग कार्यशाला में आए थे. सामाजिक कार्यकर्ता और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि हम चाहते हैं वनवासियों को उनके पीढ़ियों से चले आ रहे अधिकार मिलें. सोशल वेलफेयर्स इसके लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. हम चाहते हैं कि फॉरेस्ट राइट एक्ट का सही से क्रियान्वयन हो.

ये भी पढ़ें: वन गुर्जर विस्थापन मामलाः हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के दोबारा मांगा जवाब

उत्तराखंड के उधसिंह नगर से आईं सामाजिक कार्यकर्ता हीरा ने कहा कि हमारे उत्तराखंड में भी कुछ ऐसी स्थितियां हैं. इस सम्मेलन के माध्यम से हम अपने मामलों को सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से रखेंगे और वनवासियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करेंगे.

उत्तराखंड के रामगनर से गुर्जर नेता मोहम्मद शफी भी हैदराबाद के सम्मेलन में आए थे. शफी ने कहा कि वो समझने आए हैं कि उत्तराखंड के वन गुर्जरों के अधिकारों को लेकर कैसे मुखर हुआ जाए. सम्मेलन से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला है. अब वो उत्तराखंड जाकर वन गुर्जरों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करेंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.