नई दिल्ली : रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Retailers Association of India) ने सरकार से कपड़ा पर GST दर में प्रस्तावित वृद्धि पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. आरएआई ने कहा कि इससे 85 प्रतिशत क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव (Adverse impact on 85 percent area) पड़ेगा.
यह कहते हुए कि वस्त्र खुदरा व्यवसाय पहले से ही संकट में हैं, आरएआई ने कहा कि कुल कपड़ा मूल्य श्रृंखला के एक छोटे से खंड के रूप में कपड़ा उद्योग में विपरीत कर संरचना के मुद्दे को हल करने के लिए सात प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया गया है.
खुदरा विक्रेताओं के निकाय ने एक बयान में कहा कि हालांकि, जीएसटी दर में इतनी अधिक वृद्धि उद्योग के 85 प्रतिशत हिस्से पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी. आरएआई के सीईओ कुमार राजगोपालन (RAI CEO Kumar Rajagopalan) ने कहा कि वस्त्र और परिधान पर जीएसटी दरों में वृद्धि इसके प्रभाव के कारण किसी के हित में नहीं है.
उन्होंने कहा कि व्यापार पक्ष पर, यह पहले से ही संकटग्रस्त क्षेत्र के वित्तीय बोझ को बढ़ाएगा, इसकी गति को धीमा कर देगा. विशेष रूप से एमएसएमई व्यवसायों के मामले में उनकी वापसी और पूंजी को प्रभावित करेगा, जो उद्योग का 90 प्रतिशत हिस्सा है.
उपभोक्ता पक्ष पर पड़नें वाले प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा कि इससे कपड़ों की कीमतों में वृद्धि होगी. जिससे खपत में गिरावट आएगी. सरकार की ओर इसके प्रभाव को देखें तो लंबी अवधि में इसकी वजह से कई असंगठित व्यवसाय जीएसटी के दायरे से बाहर हो सकते हैं.
आरएआई ने केंद्र और राज्य सरकारों और जीएसटी परिषद से इस क्षेत्र के पूर्ण पतन को रोकने और आशा तथा निश्चितता का माहौल बनाए रखने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.
(पीटीआई-भाषा)