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श्रीनगर गढ़वाल पर 7वीं बार उजड़ने का खतरा! वैज्ञानिकों ने किया आगाह, ये नदी बनेगी तबाही का कारण?

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Published : Aug 12, 2023, 4:08 PM IST

Updated : Aug 12, 2023, 6:21 PM IST

पौड़ी जिले के श्रीनगर शहर ने कई आपदा और त्रासदी झेली हैं. लेकिन इसके बाद भी न सरकार और न ही यहां की जनता ने कोई सबक लिया है. इस लापरवाही का खामियाजा एक बार फिर श्रीनगर को भविष्य में भुगतना पड़ सकता है. वैज्ञानिक अभी से श्रीनगर में एक बड़े खतरे को लेकर आगाह कर रहे हैं. अलकनंदा से श्रीनगर पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है.

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श्रीनगर गढ़वाल पर 7वीं बार उजड़ने का खतरा!

श्रीनगर: उत्तराखंड के प्रमुख शहरों में से एक श्रीनगर गढ़वाल के ऊपर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है. वैज्ञानिकों ने श्रीनगर को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. वैज्ञानिकों की मानें तो श्रीनगर में अलकनंदा नदी सातवीं बार तबाही मचा सकती है. वैज्ञानिकों ने बड़े खतरे से आगाह करते हुए सलाह दी है कि श्रीनगर में अलकनंदा के दोनों छोरों पर 65 मीटर में कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाए.

Garhwal university Scientists study
अलकनंदा 6 बार उजाड़ चुकी है श्रीनगर को

गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्टडी: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय का जियोलॉजी विभाग लंबे समय से उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों का भूगर्भीय अध्ययन करता रहा है. विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट इस अध्य्यन में शामिल रहे हैं. वतर्मान में भी वो पूर्व अध्ययनों की स्टडी कर रहे हैं.

250 मीटर ऊपर बहा करती थी अलकनंदा: एमपीएस बिष्ट के अध्ययन में जो बात निकलकर सामने आई है, उसके मुताबिक अभी अलकनंदा नदी जिस स्तर पर बह रही है, कभी वो उससे 250 मीटर ऊपर बहा करती थी. इसके प्रमाण गाद (मिट्टी) और पत्थर के रूप में मिले हैं. एमपीएस बिष्ट ने पाया कि अलकनंदा नदी ने 250 मीटर निचले स्थान तक जाते-जाते अपने 6 टेरेस (लेवल) बनाये हैं. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि नदी ने इस दौरान कटान किया है.

Garhwal university Scientists study
श्रीनगर गढ़वाल को अलकनंदा से खतरा!
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पुराने स्वरूप में आई अलकनंदा तो मचाएगी तबाही: एमपीएस बिष्ट का मानना है कि यदि अलकनंदा अपने पुराने स्वरूप में आती है, जैसा कि कुछ जगहों ऐसा देखा भी गया है तो इससे भविष्य के लिए बड़ा खतरा होगा. ऐसे में एमपीएस बिष्ट ने सरकार और लोगों की सलाह दी है कि नदी के किनारों से जितना दूर हो सके रहा जाए, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रह सके. एमपीएस बिष्ट ने बताया कि भविष्य में सबसे ज्यादा खतरा चौरास, निचला भक्तियाना, निचला श्रीकोट और नदी किनारे बसे हुए श्रीनगर को है.
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श्रीनगर में त्रासदी का इतिहास: वहीं इतिहास के जानकर भी श्रीनगर के तबाह होने की चार बड़ी घटनाओं का जिक्र करते हैं, जो इतिहास में दर्ज की गई हैं. गढ़वाल विवि के इतिहास के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर सुरेंद्र बिष्ट बताते हैं कि श्रीनगर, गढ़वाल के राजाओं की राजधानी रहा है, जहां 5 बार बड़ी त्रासदी आई हैं.

1803 में आया था बड़ा भूकंप: प्रोफेसर सुरेंद्र बिष्ट ने बताया कि साल 1803 में पौड़ी जिले के श्रीनगर में बड़ा भूकंप आया था, जिससे पूरा शहर बर्बाद हो गया था, जिसे दोबारा बसाया गया था. इसके बाद 1854 में बिरही की बाढ़ आई थी, जिसमें पुराना श्रीनगर शहर डूब गया था.
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इस बाद साल 1894 में श्रीनगर एक बड़ी आपदा का सामना करना पड़ा था. गोहना झील के उफान पर आने से भयंकर बाढ़ आई थी. इस बाढ़ में श्रीनगर में कुछ नहीं बचा था. साल 1895 में गढ़वाल कमिश्नर एकेपो ने श्रीनगर को मास्टर प्लान के तहत पुनर्स्थापित किया था.

इसी तरह केदारनाथ में आई वर्ष 2013 की आपदा में श्रीनगर में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे, जिससे शहर का निचला भक्तियाना, निचला कमलेश्वर के हिस्से के साथ आईटीआई, एफआईआई और महिला थाना डूब गया और केशवराय मठ बाढ़ में बह गया.

Last Updated :Aug 12, 2023, 6:21 PM IST
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