ETV Bharat / state

संस्कृत भाषा में नहीं था कोई प्रो. रामयत्न शुक्ल जैसा विद्वान, शंकराचार्य समेत कई बड़े संत थे इनके शिष्य

author img

By

Published : Sep 20, 2022, 10:59 PM IST

etv bharat
प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल

वाराणसी में संस्कृत व्याकरण के विद्वान पद्मश्री रामयत्न शुक्ल(Padmashree Ramayatna Shukla) का इलाज के दौरान निधन हो गया. प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल(Professor Ramyatna Shukla) और उनके कार्यों के बारे में जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर..

वाराणसीः प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल(Padmashree Ramayatna Shukla) का मंगलवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. उनके निधन की सूचना मिलने के बाद काशी के बस समाज और संत समाज में शोक की लहर दौड़ गई है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय समेत तमाम विद्वान और संतों की तरफ से उनके निधन पर शोक व्यक्त किया जा रहा है.

अद्भुत प्रतिभा के धनी और संस्कृत व्याकरण समेत वेद-वेदांग के विद्वान प्रोफेसर शुक्ल ने अपने जीवन काल में पद्म श्री समेत महामहोपाध्याय और संस्कृत में कई बड़े सम्मान भी हासिल की है. उनके कार्य और उनके संस्कृत व्याकरण और वेद-वेदांग के प्रति समर्पित भाव की वजह से उनके शिष्य हर वर्ग और हर उम्र के हुआ करते थे. सबसे बड़ी बात यह है कि उनके शिष्यों की श्रृंखला में जहां एक तरफ कई युवा और कई बड़े प्रोफेसर व अन्य लोग शामिल हैं, तो शंकराचार्य और कई बड़े संत भी उनके शिष्य थे.

बचपन से ही संस्कृत में थी रुचि
बचपन से ही शुक्ल जी की संस्कृत विषय में अधिक रूचि थी. प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल ने शक्ति पीठ के शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, स्वामी गुरु शरणानंद, रामानंदाचार्य, स्वामी रामभद्राचार्य ऐसे संतो को विद्या दान दी थी. देश में लगभग 10 से अधिक विश्वविद्यालयों में इनके द्वारा पढ़ाए गए शिष्य कुलपति पद पर कार्यरत थे.

पढ़ेंः संस्कृत व्याकरण के विद्वान पद्मश्री रामयत्न शुक्ल का निधन

काशी विद्वत परिषद के थे अध्यक्ष
पद्मश्री रामयत्न शुक्ल ने 1961 में संयासी संस्कृत महाविद्यालय में बतौर प्राचार्य छात्रों को शिक्षा दी. वर्ष 1974 में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्राध्यापक नियुक्त किए गए. वहां पर अपनी सेवा देने के बाद 1976 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अपनी सेवा दी. 1978 में फिर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में प्राचार्य के पद पर आए. 1982 में सरकारी सेवा कार्यों से सेवानिवृत्त हो गए. अब वह काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष थे. उत्तर प्रदेश नागकूप शास्त्रार्थ समिति और सनातन संस्कृति संवर्धन परिषद के संस्थापक भी हैं.

महामहोउपाध्याय सम्मान से किए गए सम्मानित
शुक्ल को भारत सरकार ने 1999 संस्कृत के क्षेत्र में कार्य करने के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार दिया गया था. वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से इन्हें केशव पुरस्कार और वर्ष 2005 में महामहोउपाध्याय सम्मान से सम्मानित भी किया जा चुका है.

पढ़ेंः प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल को मिला पद्मश्री, संस्कृत जगत में हर्ष का माहौल

इन लोगों को दी शिक्षा
रामयत्न शुक्ल ने ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, स्वामी गुरु शरणानंद, रामानंदाचार्य, स्वामी रामभद्राचार्य ऐसे संतो को विद्यादान देने का कार्य किया है. देश के लगभग 6 विश्वविद्यालयों में उनके द्वारा पढ़ाए गए शिष्य बतौर कुलपति कार्य कर रहे थे. इस मौके पर शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा गुरु आचार्य रामयत्न शुक्ल की विद्वता का उनकी तपस्या का सरकार ने सम्मान किया. उनको पद्मश्री प्रदान किया.

इन पुरस्कारों से किए गए सम्मानित
प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल को राष्ट्रपति पुरस्कार, केशव पुरस्कार, महामहोपाध्याय पुरस्कार, वाचस्पति पुरस्कार, भाव भावेश्वर राष्ट्रीय पुरस्कार, अभिनव पालनी पुरस्कार, विशिष्ट पुरस्कार, कर पात्र रत्न पुरस्कार, सरस्वती पुत्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. भारत सरकार ने पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

पढ़ेंः शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का काशी से था गहरा नाता, यहीं से खींची थी बड़े आंदोलनों की रूपरेखा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.