प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल को मिला पद्मश्री, संस्कृत जगत में हर्ष का माहौल

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Published : Jan 26, 2021, 4:26 PM IST

Updated : Jan 26, 2021, 5:10 PM IST

रामयत्न शुक्ल.

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री अवार्ड की घोषणा की. इनमें काशी के विद्वान प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है.

वाराणसीः गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री अवार्ड की घोषणा की है. इसमें काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष एवं संस्कृत के प्रकांड विद्वान प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया. इसके बाद धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में हर्ष का माहौल है. देर रात से ही शुक्ल को बधाई देने वालों की तादात लगी है.

पद्मश्री से सम्मानित प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल.

1932 में हुआ जन्म

प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल का जन्म काशी में 1932 ई. में हुआ था. बचपन से ही शुक्ल की संस्कृत विषय में अधिक रूचि थी. उनके पिता रामनिरंजन शुक्ल भी संस्कृत के विद्वान थे. प्रोफेसर शुक्ल धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज और स्वामी चैतन्य भारतीय से वेदांत शास्त्र, पंडित राम चंद्र शास्त्री के दर्शनशास्त्र योग आदि की शिक्षा ग्रहण की.

काशी के महान संतों को दिया ज्ञान

प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल ने शक्ति पीठ के शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, स्वामी गुरु शरणानंद, रामानंदाचार्य, स्वामी रामभद्राचार्य ऐसे संतो को विद्या दान दी है. देश में लगभग 10 से अधिक विश्वविद्यालयों में इनके द्वारा पढ़ाए गए शिष्य कुलपति पद पर कार्यरत हैं.

काशी विद्वत परिषद के हैं अध्यक्ष

प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल ने 1961 में सन्यासी संस्कृत महाविद्यालय में बतौर प्राचार्य छात्रों को शिक्षा दी. वर्ष 1974 में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्राध्यापक नियुक्त किए गए. वहां पर अपनी सेवा देने के बाद 1976 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अपनी सेवा दी. 1978 में फिर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में प्राचार्य के पद पर आएं. 1982 में सरकारी सेवा कार्यों से सेवानिवृत्त हो गए. अब वह काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष हैं. उत्तर प्रदेश नागकूप शास्त्रार्थ समिति और सनातन संस्कृति संवर्धन परिषद के संस्थापक भी हैं.

1999 में मिला था राष्ट्रपति पुरस्कार

प्रोफेसर शुक्ल को भारत सरकार ने 1999 संस्कृत के क्षेत्र में कार्य करने के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार दिया गया था. वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से इन्हें केशव पुरस्कार और वर्ष 2005 में महामहोउपाध्याय सम्मान से सम्मानित भी किया जा चुका है.

निःशुल्क देते हैं शिक्षा

प्रोफेसर 89 वर्ष की आयु में भी निःशुल्क संस्कृत की शिक्षा देते हैं. अस्वस्थ होने के कारण भी जो भी छात्र इनके यहां आता है. उसके समस्या का समाधान करते हैं. यही वजह रही कि आज देश के बड़े-बड़े पदों पर इनके द्वारा पढ़ाए गए छात्र आसीन हैं.

काशी वासियों का आशीर्वाद मिला

ईटीवी से खास बातचीत करते हुए प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आशीर्वाद प्रदान किया है. इन सब चीजों को देख कर के मन में प्रसन्नता होती है. काशी वासियों का आशीर्वाद है. जिन्हें पद्मश्री अवार्ड मिला है. वह अच्छे लोग हैं. मैं सबको शुभकामना देता हूं. आगे उन्होंने कहा संस्कृत के उत्थान से ही विश्व का कल्याण संभव है.

काशी में हर्ष का माहौल

अभिषेक शुक्ल ने बताया कि दादाजी को पद्मश्री सम्मान मिला है यह गौरव की बात है. एक योग्य विद्वान के पास यह पुरस्कार आया है. इससे पूरे संस्कृत जगत को यह सम्मान मिला है. अभिषेक ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद करते हैं. सभी बड़े अधिकारियों और मंत्रियों का आभार व्यक्त करते हैं.

Last Updated :Jan 26, 2021, 5:10 PM IST
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