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श्री काशी विश्वनाथ मंदिरः गर्भगृह से लेकर शिखर तक के पत्थर बदले जाएंगे, रिपोर्ट के बाद लिया गया फैसला

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Published : Jan 3, 2020, 10:24 AM IST

वाराणसी में 250 साल से भी पहले तैयार किए गए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य स्ट्रक्चर के पत्थरों को अब बदलने की तैयारी की जा रही है. ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि मंदिर के मुख्य स्ट्रक्चर पर हुए एनामेल पेंट की वजह से पौराणिक पत्थरों का क्षरण हुआ है.

काशी विश्वनाथ मंदिर
काशी विश्वनाथ मंदिर

वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य स्ट्रक्चर के पत्थर के साथ मंदिर के गर्भगृह में भी एनामेल पेंट के कारण अंदर में की गई नक्काशी के साथ कई पत्थर टूट कर गिर चुके हैं. बाहरी हिस्से के भी पत्थर खराब हो गए हैं और मंदिर के शिखर पर साखू की लकड़ी के बल पर लगाए गए स्वर्ण कलश भी ढीले पड़ गए हैं. इस वजह से मंदिर के शिखर से गर्भगृह में पानी रिसता है.

बदला जाएगा काशी विश्वनाथ मंदिर का मुख्य स्ट्रक्चर.

विशेषज्ञों और पुरातत्वविदों ने जताया था संदेह
बाबा दरबार में 4 साल पहले अन्य शिखरों, उप शिखरों को स्वर्ण मंडित कराने की तैयारी शुरू हुई, तो गर्भगृह की दीवारों की मजबूती को लेकर भवन विशेषज्ञों और पुरातत्वविदों ने संदेह जताया था. ऐसे में रुड़की स्थित प्रतिष्ठित सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) और आईआईटी रुड़की की एक्सपर्ट टीम से इसकी कई चरणों में जांच कराई गई.

इसमें शिखर स्वर्ण ढांचे के ढीला होने के संकेत मिले थे. पिछले साल भी स्वर्ण शिखर को चमकाने के लिहाज से विशेषज्ञ दल से जांच कराई गई थी. उसमें तीन तकनीकों से सफाई का परीक्षण किया गया, जिसमें लाइनर क्लाथ, हवा और पानी तकनीक शामिल थी. थ्रीडी मैपिंग समेत अन्य प्रविधियों से जांच के बाद सीबीआरआई ने रिपोर्ट दी है.

मुख्य स्ट्रक्चर के मरम्मत के साथ होगा निर्माण
आईआईटी रुड़की की तरफ से किए गए सर्वे के बाद प्रशासनिक अमले को मिली रिपोर्ट के आधार पर कॉरिडोर के निर्माण के साथ ही मंदिर के मुख्य स्ट्रक्चर के मरम्मत का निर्माण भी शुरू होगा. हाल ही में सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की की तरफ से विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों के साथ ही, यहां लगे एनामेल पेंट की पड़ताल की गई थी. इसकी रिपोर्ट मंदिर प्रशासन को मिल गई है.

हटाए जाएंगे एनामेल पेंट
रिपोर्ट में स्वर्ण शिखर खोल कर इसमें लगे पत्थरों की मरम्मत किए जाने की बात से लेकर मंदिर में लगे एनामेल पेंट को हटाने और यहां लगे कई पत्थरों की स्थिति खराब होने की वजह से इन को बदलने की बात कही गई है. इसके बाद इस दिशा में काम शुरू होने वाला है. इसके अतिरिक्त सोने के पत्तरों का नए सिरे से संयोजन भी किया जाएगा. इससे गर्भगृह की दीवारें और शिखर नए स्वरूप में नजर आएगा. इस कार्य की जिम्मेदारी किसी पुरातात्विक विशेषज्ञता वाली संस्था को दी जाएगी.

सीबीआरआई ने गर्भगृह, शिखर और दीवार की परीक्षण रिपोर्ट दी है. इसके आधार पर संरक्षण कार्य कराया जाएगा. इस पर न्यास परिषद में प्रस्ताव पारित किया जा चुका है. 10 जनवरी के बाद बिड में फर्म का चयन कर कार्य शुरू कराया जाएगा. साथ ही कॉरिडोर के निर्माण के जल्द शुरू होने के साथ मंदिर का निर्माण कार्य भी शुरू किया जाएगा.
- विशाल सिंह, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर

Intro:स्पेशल:

वाराणसी: 250 साल से भी ज्यादा पहले तैयार किए गए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य स्ट्रक्चर को भी अब बदलने की तैयारी की जा रही है. ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि मंदिर के मुख्य स्ट्रक्चर पर हुए एनामेल पेंट की वजह से एक पौराणिक पत्थरों का क्षरण हुआ है. मंदिर के गर्भ गृह में भी एनामेल पेंट के कारण अंदर की गई नक्काशी के साथ कई पत्थर टूट कर गिर चुके हैं, बाहरी हिस्से के भी पत्थर खराब हो जाए हैं और मंदिर के शिखर पर साखू की लकड़ी के बल पर लगाए गए स्वर्ण कलश भी ढीले पड़ गए हैं. जिसकी वजह से मंदिर के शिखर से गर्भ गृह में पानी रिसता है. इन सभी वजहों से आईआईटी रुड़की की तरफ से की गई सर्वे के बाद प्रशासनिक अमले को मिली रिपोर्ट के आधार पर कॉरिडोर के निर्माण के साथ ही मंदिर के मुख्य स्ट्रक्चर के मरम्मत का निर्माण भी शुरू होगा.Body:वीओ-01 दअरसल हाल ही में सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की की तरफ से विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों के साथ ही यहां लगे एनामेल पेंट की पड़ताल की गई थी जिसकी रिपोर्ट मंदिर प्रशासन को मिल गई है. इस रिपोर्ट में जिसमें स्वर्ण शिखर खोल कर इसमें लगे पत्थरों की मरम्मत किए जाने की बात से लेकर मंदिर में लगे एनामेल पेंट को हटाने और यहां लगे कई पत्थरों की स्थिति खराब होने की वजह से इन को बदलने की बात कही गई है. जिसके बाद इस दिशा में काम शुरू होने वाला है. इसके अतिरिक्त सोने के पत्तरों का नए सिरे से संयोजन भी किया जाएगा. इससे गर्भगृह की दीवारें व शिखर नए स्वरूप में नजर आएगा. इस कार्य की जिम्मेदारी किसी पुरातात्विक विशेषज्ञता वाली संस्था को दी जाएगी. रिपोर्ट मिलने के साथ ही श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद ने इसके लिए फर्म चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है.Conclusion:वीओ-02 मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह ने बताया कि सीबीआरआई ने गर्भगृह शिखर व दीवार के परीक्षण रिपोर्ट दी है. इसके आधार पर संरक्षण कार्य कराया जाएगा. इस पर न्यास परिषद में प्रस्ताव पारित किया जा चुका है. दस जनवरी के बाद बिड में फर्म का चयन कर कार्य शुरू कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि कॉरिडोर के निर्माण के जल्द शुरू होने के साथ ही मंदिर के निर्माण कार्य को भी शुरू किया जाएगा. दअरसल बाबा दरबार में चार साल पहले अन्य शिखरों-उप शिखरों को स्वर्ण मंडित कराने की तैयारी शुरू हुई तो गर्भगृह की दीवारों की मजबूती को लेकर भवन विशेषज्ञों व पुरातत्वविदों ने संदेह जताया था. ऐसे में रूड़की स्थित प्रतिष्ठित सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) और आईआईटी रुड़की की एक्सपर्ट टीम से इसकी कई चरणों में जांच कराई गई. इसमें शिखर स्वर्ण ढांचे के ढीला होने के संकेत मिले थे. पिछले साल भी स्वर्ण शिखर को चमकाने के लिहाज से विशेषज्ञ दल से जांच कराई गई थी. उसमें तीन तकनीकों से सफाई का परीक्षण किया गया जिसमें लाइनर क्लाथ, हवा व पानी तकनीक शामिल थी. थ्रीडी मैपिंग समेत अन्य प्रविधियों से जांच के बाद सीबीआरआई ने रिपोर्ट दी है.

बाइट- विशाल सिंह, मुख्य कार्यपालक, अधिकारी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर


गोपाल मिश्र

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