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ज्ञानवापी पर सीएम के बयान का जितेंद्रानंद सरस्वती ने किया समर्थन, कहा- दीवारें दे रहीं मंदिर होने की गवाही

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Published : Jul 31, 2023, 9:06 PM IST

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ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी (Gyanvapi Shringar Gauri Case) का मामला सुर्खियों में है. तीन अगस्त तक एएसआई के सर्वे पर भी रोक लगी हुई है. सोमवार को मामले पर सीएम ने भी बयान दिया.

ज्ञानवापी पर संतों ने सीएम के बयान का समर्थन किया है.

वाराणसी : ज्ञानवापी मामले में मुख्यमंत्री होगी आदित्यनाथ की तरफ से दिए गए बयान के बाद जबरदस्त प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रहीं हैं. सीएम के बयान का जहां एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य विरोध कर रहे हैं, वहीं संत इसे जायज ठहरा रहे हैं. वे पुराणों का हवाला देकर ज्ञानवापी के मंदिर होने की बात कह रहे हैं.

राष्ट्रीय संत समिति के महामंत्री ने जारी किया बयान : बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में ज्ञानवापी को लेकर बड़ा बयान दिया. सीएम योगी ने ज्ञानवापी को मस्जिद कहे जाने पर ऐतराज जताया. अंदर मिले तमाम सनातन धर्म के साक्ष्यों के आधार पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को पहल करते हुए इस स्थान को हिंदुओं को सौंपने के लिए कहा. इस संदर्भ में राष्ट्रीय संत समिति के महामंत्री आचार्य जितेंद्रानंद सरस्वती और काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायन द्विवेदी की तरफ से बयान जारी करते हुए सीएम योगी के बयान का समर्थन किया गया है.

ज्ञानवापी पूर्णतया मंदिर है : अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री आचार्य जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान का अखिल भारतीय संत समिति स्वागत और समर्थन करती है. संत समिति वर्षों से यह बार-बार पूछ रही है कि यदि फारसी, उर्दू समेत किसी भी मुस्लिम भाषा में ज्ञानवापी शब्द का प्रयोग मिले, और ज्ञान और वापी शब्द यदि उर्दू के शब्द हों तो ही मुस्लिम कम्युनिटी के लोग बात करें. वास्तव में ज्ञानवापी मस्जिद नहीं है. यह पूर्णतया मंदिर है. दीवारें चीख-चीख कर इसकी गवाही दे रही हैं. मुसलमानों को पहल करते हुए इस ऐतिहासिक भूल को सुधारने के लिए आगे आना चाहिए. अखिल भारतीय संत समिति इसका स्वागत करती है. उन्होंने कहा कि यह संघर्ष बहुत लंबा हो चला है. इसलिए मुस्लिम कम्युनिटी के लोगों को वार्ता के लिए आगे आना चाहिए. ज्ञानवापी को हिंदुओं को वापस लौटाना चाहिए.

पुराणों में भी है ज्ञानवापी का जिक्र : काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायन द्विवेदी ने कहा कि मुख्यमंत्री की तरफ से ज्ञानवापी को लेकर मंशा स्पष्ट की गई है. वास्तव में ज्ञान और वापी शब्द का प्रयोग हजारों वर्ष पहले शास्त्रों और पुराणों में ज्ञान व गंगा के रूप में किया गया है. सात वापियों के अंतर्गत आने वाले प्रधान वापी के रूप में हैं. इसे ही ज्ञानवापी कहते हैं. यहां हमारे ऐसे प्रतीक चिन्ह हैं जो ईश्वर के पूज्य चिन्ह हैं. उन चिन्हों को लेकर ही हम यह कह सकते हैं कि यह हमारी शास्त्र सम्मत जगह है. वह हमारे विश्वेश्वर की जगह है. काशी विद्वत परिषद इसका पूर्णतया समर्थन करती है. मुख्यमंत्री योगी के बयान से यूपी की जनता उत्साहित है.

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