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पांचवें चरण की वोटिंग में यूपी की 14 सीटों पर कैसी रही जातीय गोलबंदी, सियासी समीकरणों में उलटफेर के कितने आसार?, पढ़िए डिटेल - lok sabha election 2024

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 21, 2024, 10:01 AM IST

पांचवें चरण में यूपी की 14 सीटों पर हुई वोटिंग के रुझान कई जगहों पर लड़ाई को दिलचस्प बना रहे हैं, जबकि कुछ जगहों पर वोट बैंक में सेंध प्रत्याशियों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है. हालांकि यह केवल कयास ही हैं, परिणाम आने के बाद ही पूरी तस्वीर साफ हो पाएगी.

कई सीटों पर हो सकता है उलटफेर.
कई सीटों पर हो सकता है उलटफेर. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

लखनऊ : लोकसभा चुनाव 2024 के पांचवें चरण का मतदान प्रदेश की 14 लोकसभा सीटों पर सोमवार को हो गया. 2019 के चुनाव के पांचवें चरण की तुलना में इस बार मतदान फीसद लगभग बराबर ही रहा. 2019 में 14 सीटों पर 57.93 फीसद रहा तो इस बार 57.98 प्रतिशत वोटिंग हुई. साल 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार के चुनाव में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं. पिछले चुनाव में एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी का बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन था. सपा, बसपा के साथ राष्ट्रीय लोकदल भी गठबंधन के सहयोगी दल के रूप में रहा है. अबकी बार सियासी परिस्थिति बदली हुई थी. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी का गठबंधन कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडी गठबंधन के साथ रहा.

बहुजन समाज पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है. खेल बिगाड़ने की भरपूर कोशिश करने में जुटी रही. जबकि राष्ट्रीय लोक दल भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ है. 2019 के पांचवें चरण की सभी 14 सीटों में से 13 पर भाजपा का कब्जा रहा है. जबकि एक रायबरेली सीट कांग्रेस के पास ही रही. इस चरण की सभी 14 सीटों पर अबकी बार कांटे की टक्कर देखने को मिली. भारतीय जनता पार्टी का भले इन 13 सीटों पर कब्जा बना हुआ है लेकिन इस बार के चुनाव में सियासी समीकरणों में फेरबदल की वजह से चुनाव परिणाम भी बदले हुए नजर आ सकते हैं. 14 सीटों पर वोटिंग के रुझान ने कुछ हद तक स्थिति साफ कर दी है, हालांकि नतीजे आने के बाद ही जीत-हार का फैसला हो सकता है.

भाजपा व गठबंधन के बीच मुकाबला : संविधान बचाओ और भाजपा हराओ देश बचाओ की दलित समाज के बीच में शुरू हुई मुहिम के चलते कई सीटों पर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों ने मुकाबले को दिलचस्प बना डाला. बहुजन समाज पार्टी ने अपने हाथी की रफ्तार भले बढ़ाने की कोशिश की लेकिन इंडिया गठबंधन की उम्मीदवारों की राह मुश्किल करने की बात हर जगह खुलकर हुई तो जनता ने भाजपा व इंडिया गठबंधन के बीच ही मुकाबले को रोचक बनाने का काम किया.

दलित समाज के वोटर बिखरे नजर आए : पांचवें चरण के मतदान में दलित समाज के वोटर्स में जबरदस्त बिखराव देखने को मिला. बसपा के मजबूती से चुनाव नहीं लड़ने की वजह से उसका आधार वोट भी मजबूत प्रत्याशियों की तरफ घूमता हुआ नजर आया. इससे भाजपा और सपा कांग्रेस के इंडी गठबंधन के प्रत्याशी ही न सिर्फ मुख्य लड़ाई में नजर आए बल्कि दलित समाज के वोटर्स में हुईं सेंधमारी पर ही उनकी जीत-हार का दारोमदार टिक गया है.

पांचवें चरण में सीट वाइज मतदान प्रतिशत.
पांचवें चरण में सीट वाइज मतदान प्रतिशत. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

राजनाथ सिंह और राहुल गांधी मजबूत नजर आए : राजधानी लखनऊ में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व रायबरेली में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी मजबूत स्थिति में नजर आए. अमेठी में केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी व केएल शर्मा के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिली. लोकसभा सीट वाइज अगर बात करें तो लखनऊ में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की तीसरी बार चुनावी राह रोकने में सपा के विधायक व प्रत्याशी रविदास मेहरोत्रा पूरी ताकत लगाते हुए नजर आए लेकिन भाजपा का गढ़ और दूसरे दलों में राजनाथ की जबरदस्त स्वीकार्यता के चलते परिणाम राजनाथ के फेवर में ही जा सकता है.

मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में चली साइकिल : इंडी गठबंधन के प्रत्याशी रविदास मेहरोत्रा के पक्ष में सिर्फ अखिलेश यादव ने मात्र 1 किलोमीटर परिवर्तन चौक केडी सिंह स्टेडियम से हजरतगंज जीपीओ तक ही रोड शो करके खानापूर्ति की. जबकि कांग्रेस की तरफ से किसी बड़े चेहरे ने प्रचार नहीं किया. इससे राजनाथ सिंह की चुनावी राह आसान बनी रही. मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में साइकिल का पहिया तेजी से चला लेकिन भाजपा का जातिगत समीकरण यहां सभी दलों के लिए कड़ी चुनौती ही बना रहा.

खुद की जगह बनाते नजर आए बसपा प्रत्याशी : राजधानी की ही मोहनलाल गंज सीट पर भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर कुछ परेशान नजर आए. स्थानीय स्तर पर विरोध के चलते वह लगातार मायूस दिखे. हैट्रिक की कोशिश में जुटे कौशल किशोर को सपा के प्रत्याशी पूर्व मंत्री आरके चौधरी के साथ उनका सीधा मुकाबला नजर आया. स्थानीय विरोध के चलते यहां मुश्किल हो सकती है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर भी हुए मतदान से तस्वीर बदल सकती है. इस सीट पर बसपा प्रत्याशी राजेश कुमार चुनाव में खुद की जगह बनाते ही नजर आए.

रायबरेली लोकसभा सीट : रायबरेली में कांग्रेस मजबूती के साथ लड़ती हुई दिखी. जबकि भाजपा के दिनेश सिंह पूरी ताकत लगाए रहे. गांधी परिवार की इस पारंपरिक सीट पर राहुल गांधी के चुनावी मैदान में उतरने, साथ ही पूरे गांधी परिवार की सक्रियता और फिर प्रचार के लिए आईं सोनिया गांधी की भावुक अपील का असर खूब देखने को मिला. भाजपा के दिनेश का कुछ जगह पर व एक दो विधानसभा में उनके साथ में उनके स्वजातीय वोटर्स का साथ मिला. बसपा के परंपरागत मतदाता को छोड़कर बसपा प्रत्याशी ठाकुर प्रसाद यादव का कहीं खास प्रभाव देखने को नहीं मिला.

अमेठी लोकसभा सीट : अमेठी में इस बार कांग्रेस नेतृत्व की मजबूत सक्रियता के चलते हार-जीत का अंतर बहुत ही कम रहने वाला हो सकता है. केंद्रीय मंत्री भाजपा प्रत्याशी स्मृति इरानी और कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा में ही लड़ाई जमकर हुई. कुछ जगहों पर स्मृति ईरानी का विरोध देखने को भी मिला. कांग्रेस परिवार के साथ लम्बे समय से जुड़े रहे केएल शर्मा को अच्छा वोट मिलने की अंदेशा है. बसपा के प्रत्याशी नन्हे सिंह चौहान का खास असर नहीं देखने को मिला. इसके चलते यहां हार-जीत का अंतर कम ही रहने वाला होगा.

फतेहपुर लोकसभा सीट : फतेहपुर में केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति व समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली. दोनों लोग स्वजातीय मतदाताओं पर आश्रित होकर चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और बीजेपी के काम के आधार पर अयोध्या में राम मंदिर का असर यहां पर खूब देखने को मिला है. समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी नरेश उत्तम पटेल की साइकिल कुर्मी समाज के मतदाताओं के बीच अच्छी चली है. जबकि निषाद समाज से आने वाली साध्वी के पक्ष में भी उनके समाज के लोगों ने जबरदस्त मतदान किया है. बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी मनीष सचान को बहुत ज्यादा समर्थन नहीं मिला उन पर बाहरी होने के कुमार आरोप लगे और वह लड़ाई से बाहर दिखे.

पांचवें चरण कई दिग्गजों का चुनाव था.
पांचवें चरण कई दिग्गजों का चुनाव था. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

जालौन लोकसभा सीट : जालौन में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी व केंद्रीय राज्य मंत्री भानु प्रताप वर्मा की प्रतिष्ठा गांव पर लगी हुई नजर आई. वह तीसरी बार यहां से चुनाव मैदान में हैं. स्थानीय स्तर पर कुछ जगहों पर उनका विरोध भी हुआ. समाजवादी पार्टी प्रत्याशी नारायण दास अहिरवार से उनका सीधा मुकाबला देखने को मिला. बसपा प्रत्याशी सुरेश चंद्र गौतम अनुसूचित जाति आरक्षित सीट होने की वजह से भी उन्हें टक्कर देते हुए नजर नहीं आए. भाजपा का गढ़ माने जाने वाले शहरी इलाकों में भी इस बार सपा प्रत्याशी ने बीजेपी उम्मीदवार को कड़ी टक्कर देने का काम किया है.

हमीरपुर लोकसभा सीट : हमीरपुर में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी पुष्पेंद्र सिंह चंदेल समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह लोधी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली. भाजपा का परंपरागत लोधी वोट इस बार गठबंधन प्रत्याशी के साथ जाता हुआ नजर आया है. राम मंदिर, हिंदुत्व और राशन योजना का कितना असर होता है यह देखने वाली बात होगी.

कैसरगंज लोकसभा सीट : कैसरगंज लोकसभा सीट पर इस बार ब्रजभूषण शरण सिंह के खुद चुनाव मैदान में न होने की वजह से भारतीय जनता पार्टी को यहां समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी भगत राम मिश्रा से कड़ी टक्कर मिली है. ब्रजभूषण के बेटे करण भूषण को मतदाताओं के कम पसंद करने की उम्मीद है. यहां भाजपा के नाराज वोटरों व सजातीय मतदाताओं ने भगत राम मिश्रा को वोटिंग की. ऐसे में भाजपा व सपा उम्मीदवार के बीच सीधी लड़ाईदेखने को मिली. ब्रजभूषण पर महिला रेसलरों के आरोप के बाद उनकी चुनावी रहा मुश्किल हुई.

गोंडा लोकसभा सीट : गोंडा लोकसभा सीट पर भी भाजपा व इंडी गठबंधन के बीच जबरदस्त लड़ाई देखने को मिली. यहां से बीजेपी के प्रत्याशी कीर्तिवर्धन सिंह अंतिम समय तक अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटे रहे. समाजवादी पार्टी की युवा प्रत्याशी श्रेया वर्मा को ओबीसी समाज के मतदाताओं ने खूब पसंद किया, ऐसा अनुमान है. हालांकि गोंडा सीट पर भितरघात ने सबको चिंतित कर दिया है. बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार सौरभ कुमार यहां अपने कॉडर वोट बैंक को संभालने में जुटे रहे. मुख्य लड़ाई यहां सपा और भाजपा प्रत्याशी के बीच देखने को मिली. भाजपा व सपा प्रत्याशियों ने दलित समाज के वोटरों में खूब सेंध करने करने का काम किया.

बाराबंकी लोकसभा सीट : बाराबंकी लोकसभा सीट पर इस बार मतदाताओं ने जमकर वोट किया. पांचवें चरण की 14 लोकसभा सीटों पर सबसे ज्यादा मतदान बाराबंकी में ही हुआ. बाराबंकी में सबसे अधिक 67.10% मतदान के साथ सभी सीटों पर सबसे आगे रहा. इस सीट पर बीजेपी की चुनावी रहा मुश्किल होती हुई नजर आई. यहां से सांसद उपेंद्र रावत के एक वायरल वीडियो के बाद भारतीय जनता पार्टी ने राजरानी रावत को यहां से प्रत्याशी बनाया था और कांग्रेस ने यहां से वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया के बेटे तनुष पुनिया को चुनाव मैदान में उतारा. इस सीट पर दलित समाज के वोटरों ने युवा चेहरे तनुष पुनिया को जमकर वोट किया. भारी संख्या में हुई वोटिंग की वजह से भी यहां कांग्रेस प्रत्याशी मजबूत बताए जा रहे हैं. हालांकि पीएम मोदी राशन योजना व हिंदुत्व कार्ड से भाजपा प्रत्याशी को कितना वोट मिला यह तो मतगणना के दिन ही पता चलेगा.

फैजाबाद लोकसभा सीट : फैजाबाद लोकसभा सीट पर राम मंदिर का असर देखने को मिला. यहां भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी लल्लू सिंह हैट्रिक लगाने की कोशिशें में जुटे रहे जबकि उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अवधेश प्रसाद से रहा. जातिगत समीकरणों से मुकाबला रोचक रहा लेकिन राम मंदिर निर्माण के बाद भव्य पूजन का असर मतदाताओं पर हावी रहा. मतदान के दौरान सपा और भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला. बहुजन समाज पार्टी ने यहां से सच्चिदानंद पांडे को प्रत्याशी घोषित किया था जिन्होंने अपने स्वजाति मतदाताओं को साधने की कोशिश की.

बांदा लोकसभा सीट : बांदा लोकसभा सीट पर मुख्य लड़ाई में यहां समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी कृष्णा पटेल व भाजपा उम्मीदवार आरके सिंह पटेल के बीच देखने को मिला. इस बार ब्राह्मण मतदाता चुप होकर मतदान किया है. इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी कृष्णा पटेल के पक्ष में जाति समीकरण बेहतर होने और संविधान बचाओ आरक्षण बचाओ की मुहिम की वजह से दलित समाज का वोट भी खूब मिला है. ऐसे में यहां भाजपा प्रत्याशी की चुनावी राह मुश्किल हो सकती है. हालांकि पीएम मोदी के बड़े चेहरे व हिंदुत्व जैसे विषयों ने भी भाजपा प्रत्याशी को जीत के लिए आश्वस्त कर रखा है.

झांसी लोकसभा सीट : झांसी लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अनुराग शर्मा और कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य के बीच लड़ाई होती हुई नजर आई. भाजपा के मजबूत इलाकों में से एक झांसी में इस बार भी बीजेपी के पक्ष में मतदान होता हुआ नजर आया है, जबकि मुस्लिम मतदाता भी मतदान को लेकर खूब जागरूक नजर आए. इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी प्रदीप जैन आदित्य के पक्ष में भी माहौल नजर आया. बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रवि प्रकाश कुशवाहा के अपने समाज के बीच भी अच्छी पकड़ नहीं होने से चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होता हुआ नजर आया.

कौशांबी लोकसभा सीट : कौशांबी लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विनोद सोनकर व समाजवादी पार्टी को उम्मीदवार पुष्पेंद्र सरोज के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला. पुष्पेंद्र सरोज समाजवादी पार्टी के नेता इंद्रजीत सरोज के बेटे हैं और दलित समाज और ओबीसी समाज के बीच उनकी अच्छी पकड़ और पैठ बताई जाती है. इसके अलावा जनसत्ता दल के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की बीजेपी उम्मीदवार विनोद सोनकर से नाराजगी भी बड़ा मुद्दा कौशांबी सीट पर रहा है. राजा भैया ने अमित शाह से मुलाकात के बावजूद खुलकर भाजपा को समर्थन नहीं दिया. सूत्रों का दावा है कि राजा भैया से जुड़े लोगों ने समाजवादी पार्टी को समर्थन किया है.

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