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बारिश ने बढ़ाया जापानी बुखार का खतरा, जानिए इसके लक्षण और उपचार

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Published : Jul 29, 2021, 7:25 PM IST

जापानी बुखार.
जापानी बुखार.

बारिश के दिनों में मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियां तेजी से फैलती हैं. इनमें डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया और जापानी बुखार प्रमुख हैं. वाराणसी में इस समय जापानी बुखार का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. वहीं दूसरी ओर कोरोना और अन्य मरीजों के कारण जिला अस्पताल के बेड फुल चल रहे हैं. आगे जानिए कि इन बीमारियों के लक्षण और इसके उपचार क्या हैं.

वाराणसी: बारिश का मौसम आते ही जगह-जगह जलभराव और गंदगी जमा होने से कई संक्रामक बीमारियों का खतरा मंडराने लगता है. ऐसे में सभी को सतर्क व सावधान रहने की जरूरत है. वर्तमान समय में जिले में अन्य संक्रामक बीमारियों के साथ जापानी बुखार का भी खतरा बढ़ गया है. इसको लेकर डॉक्टर जहां अलर्ट मोड पर हैं, तो वहीं स्वास्थ्य विभाग के द्वारा संचारी रोग नियंत्रण अभियान के अंतर्गत डेंगू, मलेरिया के साथ ही जापानी इन्सेफेलाइटिस (जेई), चिकनगुनिया, फाइलेरिया आदि संक्रामक बीमारियों के बारे में ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के लोगों को आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा जागरूक किया जा रहा है.

क्या है जापानी बुखार
जिला मलेरिया अधिकारी शरद चंद पांडे का कहना है कि जापानी इन्सेफेलाइटिस (Japanese encephalitis) को ही आम बोलचाल में जापानी बुखार कहा जाता है. यह एक दिमागी बुखार है, जो वायरल संक्रमण से फैलता है. इसके वायरस मुख्य रूप से गंदगी में पनपते हैं. इस बीमारी का वाहक मच्छर (क्यूलेक्स) है. वायरस जैसे ही शरीर में प्रवेश करता है, वह दिमाग की ओर चला जाता है. बुखार के दिमाग में जाने के बाद व्यक्ति की सोचने, समझने, देखने की क्षमता कम होने लगती है और संक्रमण बढ़ने के साथ खत्म हो जाती है. आमतौर पर एक से 14 साल के बच्चे और 65 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग इसकी चपेट में आते हैं. उन्होंने बताया कि जेई की निःशुल्क जांच की सुविधा बीएचयू में उपलब्ध है. बारिश के मौसम में इस बीमारी का खतरा बढ़ गया है.

जापानी बुखार के लक्षण

बुखार, सिरदर्द, गर्दन में जकड़न, कमजोरी और उल्टी इस बुखार के शुरुआती लक्षण हैं. समय के साथ सिरदर्द में बढ़ोतरी होने लगती है और हमेशा सुस्ती छाई रहती है. यदि यह लक्षण दिखें, तो नजरअंदाज न करें.

  • तेज बुखार, सिरदर्द, अति संवेदनशील होना और लकवा मारना.
  • भूख कम लगना भी इसका प्रमुख लक्षण है.
  • यदि बच्चे को उल्टी और बुखार हो और खाना न खा रहे हों. बहुत देर तक रो रहे हों, तो डॉक्टर के पास जरूर ले जाएं.
  • जापानी बुखार में लोग भ्रम का भी शिकार हो जाते हैं. पागलपन के दौरे तक पड़ते हैं.

डेंगू ने भी दे दी है दस्तक
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि डेंगू एक जानलेवा संक्रामक रोग है, जो कि संक्रमित मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है. अकेला एक संक्रमित मच्छर ही अनेक लोगों को डेंगू से ग्रसित कर सकता है. बरसात के मौसम में ही डेंगू का खतरा बढ़ने लगता है. डेंगू फैलाने वाले मच्छर दिन में ही काटते हैं. इसके मच्छर ठहरे हुए व साफ पानी में पनपते हैं. जैसे-कूलर के पानी, रुंधे हुये नालों में और नालियों में. डेंगू कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को आसानी से हो सकता है. इसलिए इसके प्रति बेहद सावधान, सतर्क व जागरूक रहने की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि जनवरी 2021 से अभी तक जिले में तीन डेंगू के मरीज पाए गए हैं. जिले के सभी शहरी एवं ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्रों पर डेंगू के निःशुल्क जांच की सुविधा मौजूद है.

डेंगू के लक्षण
तेज बुखार, मांस पेशियों एवं जोड़ों में अधिक दर्द, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, जी मिचलाना, उल्टी, दस्त तथा त्वचा पर लाल रंग के दाने, इत्यादि.
स्थिति गम्भीर होने पर प्लेटलेट्स (platelets) की संख्या में तेजी से कमी, नाक, कान, मुंह या अन्य अंगों से रक्त स्राव, ये सभी लक्षण हैं. जिला मलेरिया अधिकारी ने कहा कि सिर्फ एक से दो लक्षण होने पर भी डेंगू पॉजिटिव आ सकता है. इसलिए सभी लक्षणों के होने का इंतजार नहीं करना चाहिए. यदि बुखार एक से दो दिन में ठीक न हो, तो तुरन्त नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर इसकी जांच करानी चाहिए.

डेंगू की पहचान
कई बार डेंगू की गंभीर अवस्था को कुछ चिकित्सक येलो फीवर भी समझ लेते हैं, लेकिन पेशाब की जांच से सही जानकारी मिल पाती है. खून की जांच में एंटीबॉडीज का माप बढ़ जाता है, क्योंकि डेंगू रोग के विषाणु खून में भी होते हैं, इसलिए खून की जांच भी की जा सकती है.
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ऐसे करें बचाव

  • साफ-सफाई रखें, कोशिश करें कि घर के आस-पास गंदगी न होने पाए.
  • गंदे पानी के संपर्क में न आएं.
  • बरसात के मौसम में खानपान के प्रति सचेत रहें.
  • स्वच्छ पानी पिएं.
  • घर के आस-पास पानी न जमा होने दें.
  • घरों की खिड़कियों तथा रोशनदानों में मच्छर जालियां लगवाएं.
  • सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें.
  • पूरी आस्तीन की कमीज के साथ-साथ जूतों के साथ जुराब पहनें.
  • इसके अलावा समय से बच्चों का टीकाकरण कराएं.
  • बच्चे को 9 माह पर तथा 16 से 24 माह पर क्रमशः जेई प्रथम व जेई द्वितीय का टीका अवश्य लगवाना चाहिए. इससे मस्तिष्क बुखार पर किसी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है.
  • सुअर पालन घर के आस-पास या रिहायशी आबादी से दूर रखें.
  • भोजन करने के पहले, शौच के बाद और जानवरों के संपर्क में आने के बाद हाथ जरुर धोएं.
  • यदि घर में बर्तनों आदि में पानी भरकर रखना है, तो ढक कर रखें. यदि जरुरत न हो तो बर्तन खाली कर या उल्टा करके रख दें.
  • कूलर, गमले आदि का पानी रोज बदलते रहें. यदि पानी की जरूरत न हो, तो कूलर आदि को खाली करके सुखायें.


अस्पतालों के बेड फुल
गौरतलब है कि इन दिनों वाराणसी जनपद में संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है और यही वजह है कि सरकारी अस्पतालों के बेड पूरी तरीके से भरे हुए हैं. अस्पतालों में हर दूसरा मरीज संक्रामक बीमारी का शिकार है. इसको लेकर प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है. लगातार लोगों को जागरूक करने में जुटी हुई है.
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