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कुश्ती संघ अध्यक्ष पद चुनाव: बनारस के संजय सिंह ठोक रहे ताल, जानिए बृजभूषण शरण सिंह के क्यों हैं करीबी

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 19, 2023, 10:39 PM IST

Updated : Dec 20, 2023, 6:21 AM IST

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भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद का चुनाव (Indian Wrestling Federation President Election) 21 दिसंबर को होगा. इसके लिए दो प्रत्याशी मैदान में हैं. इसमें एक महिला प्रत्याशी और दूसरे पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Former President Brijbhushan Sharan Singh) के करीबी संजय सिंह (Candidate Sanjay Singh). जानिए संजय सिंह कौन हैं और इनका बृजभूषण शरण सिंह से क्या संबंध है.

कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करते संजय सिंह

वाराणसी: विवादों में रहने की वजह से भारतीय कुश्ती महासंघ के सबसे बड़े पद पर रहने वाले बृजभूषण शरण सिंह के इस्तीफा दिए जाने के बाद लंबे वक्त से इस पद पर उनके ही किसी करीबी के फिर से कब्ज होने की चर्चा चली आ रही है. माना जा रहा है कि 21 दिसंबर को होने वाले भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद पर बनारस के संजय सिंह काबिज हो सकते हैं. संजय नॉमिनेशन भी फाइल कर चुके हैं और अब ऐसा माना जा रहा है कि लंबे समय से इस संघ में अपना कब्जा जमाने वाले बृजभूषण शरण सिंह अपने ही राइट हैंड कहे जाने वाले संजय को इस पद की कमान सौंप सकते हैं.

हालांकि, बृजभूषण शरण सिंह के इस पद से इस्तीफा देने के बाद कुश्ती संघ का चुनाव अगस्त से ही चला चला रहा है. लेकिन, इस बार नोटिफिकेशन जारी करते हुए 21 दिसंबर को होने वाले चुनाव की तैयारी की घोषणा कर दी गई. भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव 21 दिसंबर को होंगे और उसी दिन नतीजे भी आ जाएंगे. अध्यक्ष पद के चुनाव में एक तरफ जहां बृजभूषण शरण सिंह के करीबी और बनारस के संजय सिंह उम्मीदवार है तो एक अन्य महिला प्रत्याशी अनीता भी मैदान में हैं.

बृजभूषण शरण सिंह का स्वागत करते संजय सिंह
बृजभूषण शरण सिंह का स्वागत करते संजय सिंह

संजय सिंह बृजभूषण शरण सिंह के सबसे करीबी

दरअसल, बृजभूषण शरण सिंह संजय सिंह को अपना सबसे करीबी मानते हैं. इसके अलावा प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से होने की वजह से संजय सिंह के नाम का प्रस्ताव खुद बृजभूषण शरण सिंह ने रखा था और अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया था. कुश्ती संघ के चुनावों की प्रक्रिया अब तेज हो गई है. पूरे देश में 25 इकाइयों, 25 राज्य में होने वाली वोटिंग 21 दिसंबर को होगी. कुल 50 वोटर इस मतदान में हिस्सा लेंगे. इसमें मध्य प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव भी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इसकी बड़ी वजह यह है कि मोहन यादव मध्य प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं. इसके अलावा कई बड़े दिग्गज भी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. हर इकाई में दो वोट पड़ते हैं. बृजभूषण शरण सिंह अपने ही प्रत्याशी की जीत शुरू से कंफर्म रहे हैं. उनका साफ तौर पर कहना था कि 25 में से 20 राज्य हमारे साथ हैं. इसलिए मामला एक तरफा है.

बृजभूषण शरण सिंह से बात करते संजय सिंह
बृजभूषण शरण सिंह से बात करते संजय सिंह

संजय सिंह 2008 में वाराणसी कुश्ती संघ के जिला अध्यक्ष बने थे

सबसे बड़ी बात यह है कि संजय सिंह 2008 में वाराणसी कुश्ती संघ के जिला अध्यक्ष बनाए गए थे. बृजभूषण के करीबी होने का फायदा उन्हें पूरी तरह से मिला और कुश्ती में पहली बार बनारस में महिलाओं को अखाड़े में उतारने का श्रेय भी संजय सिंह को ही जाता है. संजय सिंह ने उस वक्त मिट्टी की कुश्ती को गड्ढे तक ले जाने का भी प्रयास शुरू किया और बृजभूषण शरण ने उनका पूरा साथ दिया, जिससे यह काम भी संभव हो पाया. संजय सिंह मूलत चंदौली के रहने वाले हैं और खेती किसानी से जुड़ा इनका काम होने की वजह से इनको लोग मिट्टी से जुड़ा हुआ हमेशा से मानते रहे हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संजय सिंह कुश्ती संघ से 2010 से जुड़े हुए हैं. वाराणसी कुश्ती संघ के अध्यक्ष के अलावा उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कुश्ती संघ के संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी भी संजय निभा रहे हैं.

बृजभूषण शरण सिंह के साथ संजय सिंह
बृजभूषण शरण सिंह के साथ संजय सिंह

'गांव की पहलवानी की तरफ आकर्षित करने में संजय सिंह की बड़ी भूमिका'

51 वर्ष के संजय कुश्ती के प्रति काफी गंभीर रहते हैं. वाराणसी कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष राजीव सिंह रानू संजय के बेहद करीबी हैं. उन्होंने बताया कि गांव की पहलवानी और गांव में मिट्टी पर लोगों को पहलवानी की तरफ आकर्षित करने में संजय सिंह बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं. पिता और बाबा किसान परिवार से जुड़े थे और ग्रामीण परिवेश के साथ ही मजबूत आर्थिक आधार होने के कारण पिता और बाबा की तरफ से ही गांव में खेतों में अखाड़ा बनवाकर कुश्ती लड़वाने की परंपरा की शुरुआत उनके बचपन में ही हुई. बचपन से जब पहलवानों के बीच यह रहकर बड़े होने लगे तो संजय का रुझान इस तरफ ज्यादा आने लगा. काशी हिंदू विश्वविद्यालय से अपनी बीएड और एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद संजय हमेशा से ही बनारस के अखाड़े और बनारस के पहलवानों के प्रति काफी सजग दिखाई देते रहे. यही वजह है कि जब 2009 में उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ बना तो बृजभूषण शरण सिंह प्रदेश अध्यक्ष चुने गए और उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय बने.

'बनारस में छह बड़ी प्रतियोगिता करवाने का श्रेय संजय सिंह को'

राजीव सिंह रानू बताते हैं कि बृजभूषण शरण सिंह के उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष बनने के बाद संजय सिंह ने कुश्ती के लिए बहुत सा काम किया. जब अखिल भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष के तौर पर बृजभूषण चुने गए तो उसके बाद बनारस में एक के बाद एक छह बड़ी प्रतियोगिता करवाने का श्रेय भी संजय सिंह को ही गया. संजय सिंह ने ही प्रयास करके 2017 में पहली बार अंडर 17 कुश्ती बनारस में करवाई, जिसमें बृजभूषण शामिल होने भी पहुंचे थे.

रानू बताते हैं कि संजय सिंह का कुश्ती के इतना जुड़ाव है कि हर वर्ष अपने जन्मदिन पर संजय सिंह 12 महिला पहलवानों को गोद लेते हैं. उनकी डाइट से लेकर उनके हर खर्च को वह पूरे साल उठाते हैं. फिर अगले जन्मदिन पर जो 12 महिला पहलवानों में से सही से ईमानदारी से प्रैक्टिस करके देश के लिए मेडल लाने की तैयारी कर रही होती हैं, उन्हें आगे बढ़ाते हैं नहीं तो उस लिस्ट में कुछ नई महिला पहलवानों को जोड़ा जाता है. यह कार्य भी लगभग 10 वर्ष से ज्यादा वक्त से किया जा रहा है.

बता दें कि 21 दिसंबर को अखिल भारतीय कुश्ती महासंघ का चुनाव होगा. इसमें अध्यक्ष पद के लिए दो चेहरे सामने हैं. एक संजय सिंह और दूसरी एक महिला प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने वाली अनीता श्योराण मैदान में हैं. 21 को ये साफ हो जाएगा कि आखिर कौन इस पद पर काबिज होता है. लेकिन, इस चर्चित चुनाव में एक बार फिर बनारस ही चर्चा में है.

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Last Updated :Dec 20, 2023, 6:21 AM IST
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