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ज्ञानवापी प्रकरण : 1991 से चल रहा विवाद, वादी पक्ष कर रहा मजबूत साक्ष्य होने का दावा, जानिए कब क्या हुआ

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Published : Aug 3, 2023, 3:54 PM IST

अब तक हुई कार्रवाई की डिटेल.
अब तक हुई कार्रवाई की डिटेल.

एएसआई सर्वे के आदेश के बाद ज्ञानवापी प्रकरण (Court proceedings in Gyanvapi case so far) एक बार फिर से सुर्खियो में है. यह विवाद 1991 से चल रहा है.

वाराणसी : ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे को लेकर हाईकोर्ट ने आज निर्णय देते हुए सर्वे जारी रखने के आदेश दे दिए हैं. कल इसकी कार्रवाई भी शुरू हो जाएगी. एएसआई की टीम को फिर से वापस बुलाया गया है. वाराणसी के अलावा लखनऊ, आगरा और दिल्ली समेत अन्य जगहों से एएसआई के 32 लोगों की टीम को फिर से वाराणसी आने के निर्देश मिल चुके हैं. वहीं सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी गई है. हर गतिविधि की निगराना की जा रही है. वहीं इन सबके बीच एक बार फिर से ज्ञानवापी को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो चुका है. आइए जानते हैं क्या है विवाद, और कब-कब क्या हुआ.

अब तक हुई कार्रवाई की डिटेल.
अब तक हुई कार्रवाई की डिटेल.

1991 से चल रहा विवाद : ज्ञानवापी प्रकरण का विवाद 1991 से चल रहा है. 1991 में दायर किए गए वाद के बाद 2021 में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में अलग से एक याचिका दायर की गई थी. वाराणसी में 19 वाद इस प्रकरण में दायर किए गए हैं. इसमें मुख्य वादिनी राखी सिंह के अलावा रेखा पाठक, मंजू ब्यास, सीता साहू और लक्ष्मी देवी भी शामिल हैं. इन महिलाओं ने नियमित पूजा दर्शन के अधिकार की मांग करते हुए ज्ञानवापी परिसर में कमीशन कार्रवाई की मांग की थी. जिस पर पिछले साल अनुमति मिलने के बाद सिविल कोर्ट के आदेश पर कमीशन की कार्रवाई पूरी की गई है. कई ऐसे साक्ष्य सामने आए जिसके बाद पूरे देश में खलबली मच गई. पिछले साल कार्रवाई के दौरान वजूखाने में एक शिवलिंगनुमा पत्थर मिलने के बाद मामला और गरमा गया. मामले में हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे. इसके बाद पूरे परिसर में वजू खाने को सील करके इसकी निगरानी के आदेश दिए गए और लगातार इस स्थान पर मिले कथित शिवलिंग जिसे मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है. उसकी कार्बन डेटिंग वैज्ञानिक जांच की भी मांग. इस पर अभी तक निर्णय नहीं आया है.

19 मई को सर्वे के आदेश दिए गए
19 मई को सर्वे के आदेश दिए गए थे.
ज्ञानवापी में सनातन धर्म के कई निशान भी मिले हैं.
ज्ञानवापी में सनातन धर्म के कई निशान भी मिले हैं.

27 जुलाई को पूरी हुई थी बहस : इन सबके बीच वजूखाने के छोड़कर पूरे परिसर के एएसआई सर्वे की मांग सिविल कोर्ट में वादी पक्ष की तरफ से की गई थी. इस पर 23 जुलाई को कोर्ट ने आदेश देते हुए इस कार्रवाई को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए थे, लेकिन 24 जुलाई को जब यह कार्रवाई शुरू हुई तो मामला मुस्लिम पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया था. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी. हाईकोर्ट में सुनवाई होने के बाद 27 जुलाई को बहस पूरी करते हुए कोर्ट ने इस प्रकरण पर 3 अगस्त को फैसला सुनाने का आदेश दिया था. जिस पर आज न्यायालय की तरफ से एएसआई के सर्वे को पुनः किए जाने का आदेश दिया गया है.

कल से सर्वे का काम शुरू हो जाएगा.
कल से सर्वे का काम शुरू हो जाएगा.

परिसर दे रहा मंदिर होने की गवाही : सबसे बड़ी बात यह है कि वादी पक्ष लगातार इस बात का दावा कर रहा है कि उनके पास ऐसे साक्ष्य सबूत हैं जो यह स्पष्ट करते हैं कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया है. इस बारे में वादी पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी से फोन पर हुई बातचीत में बताया कि हमारे पास कमीशन की कार्रवाई के दौरान की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी है. इसमें सैकड़ों फोटो और वीडियो इस बात का प्रमाण है कि अंदर मंदिर के अवशेष और मंदिर के टूटे शिखर मूर्तियां और तमाम और चीजें मौजूद हैं, जो इस पूरे परिसर के मंदिर होने की गवाही दे रहीं हैं. पश्चिमी दीवार पर मौजूद त्रिशूल घंटा स्वास्तिक और फूल के चिन्ह सारी चीजों को स्पष्ट कर रहे हैं. फिलहाल कमीशन की कार्रवाई में मिले यह सुबूत कोर्ट में पेश किए गए थे. इसके आधार पर सर्वे की कार्रवाई को आगे बढ़ाने का काम भी किया गया है.

एएसआई सर्वे के आदेश दिए गए हैं.
एएसआई सर्वे के आदेश दिए गए हैं.
ज्ञानवापी में सनातन धर्म के कई निशान भी मिले हैं.
ज्ञानवापी में सनातन धर्म के कई निशान भी मिले हैं.

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मामले से जुड़े अदालती घटनाक्रम : अगस्त 2021 में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में रोजाना पूजा-पाठ की अनुमति के लिए पांच हिंदू श्रद्धालुओं ने वाराणसी की दीवानी अदालत में याचिका दायर की. आठ अप्रैल 2022 में दीवानी अदालत ने परिसर के सर्वेक्षण का आदेश दिया और अजय कुमार मिश्रा को इस कार्य का प्रभारी नियुक्त किया. 13 मई, 2022 में उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर में सर्वेक्षण के मद्देनजर यथास्थिति रखने का अंतरिम आदेश देने से इनकार किया.17 मई, 2022 में उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित कर वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को परिसर के अंदर के क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.
20 मई, 2022 में उच्चतम न्यायालय ने मामले को सिविल जज से जिला जज को स्थानांतरित कर दिया. 24 जुलाई, 2023 में उच्चतम न्यायालय ने परिसर में एएसआई के सर्वेक्षण पर 26 जुलाई शाम पांच बजे तक रोक लगाई, उच्च न्यायालय से मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करने को कहा. 27 जुलाई को हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बातों को सुनने के बाद अगले दिन इस प्रकरण पर फैसला सुरक्षित रखते हुए 3 अगस्त को फैसला सुनाए जाने की तिथि निर्धारित की. 3 अगस्त 2023 को हाईकोर्ट की तरफ से एएसआई सर्वे का आदेश जारी किया गया.

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