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आज नवरात्रि का पांचवां दिन: संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण करती हैं स्कंदमाता, यह पूजा विधान

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Published : Apr 6, 2022, 7:24 AM IST

देवी आराधना का पर्व नवरात्र चल रहा है और नवरात्रि के 4 दिन संपन्न होने के बाद आज पांचवा दिन है. हर दिन माता के अलग-अलग रूप का पूजन नवरात्र में किया जाता है और आज पांचवें दिन माता स्कंद की पूजा का विधान है.

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नवरात्रि का पांचवां दिन

वाराणसी: देवी आराधना का पर्व नवरात्र चल रहा है और नवरात्रि के 4 दिन संपन्न होने के बाद आज पांचवा दिन है. हर दिन माता के अलग-अलग रूप का पूजन नवरात्र में किया जाता है और आज पांचवें दिन माता स्कंद की पूजा का विधान है. स्कंदमाता सौम्य रूप के साथ भक्तों को दर्शन देती हैं. जानें क्या है स्कंदमाता की छवि और उनके पूजन का तरीका.

शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंद माता की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति-समृद्धि के साथ ही एकाग्रता आती है. इतना ही नहीं मां के दर्शन मात्र से ही जिंदगी में बड़े से बड़ा संग्राम जीतने की शक्ति मिल जाती है. मां का आशीर्वाद मिलने से हर मुश्किल आसान होती है और जीवन में जीत होती है.

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता के दर्शन से संतान प्राप्ति या यूं कहें पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है. स्कंदमाता पद्मासन और देवी दुर्गा के स्वरूप के रूप में भी जानी जाती हैं. ऐसी मान्यता है कि पुत्र कार्तिकेय से अति प्रेम रखने की वजह से माता को स्कंदमाता के रूप में जाना जाता है. माता चार भुजाओं वाली हैं और दो भुजाओं में माता ने कमल पुष्प ले रखा है, जबकि उनके गोद में कार्तिकेय विराजमान हैं.

स्कंद माता का पूजा विधान अन्य देवियों की तरह ही माना जाता है. माता को सफेद रंग अति प्रिय है और सफेद वस्त्रों के साथ भोग में केला या सफेद मिठाईयां माता को समर्पित करनी चाहिए. खोए की बर्फी या फिर जीने की सफेद मिठाइयों से माता आती प्रसन्न होती हैं.

पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि मां का यह स्वरूप मातृत्व से भरा हुआ है. स्कंद माता के दर्शन से संतान प्राप्ति में आसानी होती है. मां का यह स्वरूप संतान की रक्षा के साथ उन लोगों को लाभ देता है जो संतान प्राप्ति के लिए परेशान हैं.

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इस मंत्र से करें मां का पूजन:
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी |।

ध्यान मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु शांति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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