ETV Bharat / state

चित्रकूट जेल हत्याकांड के बाद चर्चा में आया सीतापुर

author img

By

Published : May 15, 2021, 12:35 PM IST

आरोपी अंशुल दीक्षित चर्चा में आया.
आरोपी अंशुल दीक्षित चर्चा में आया.

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जेल में शुक्रवार को फायरिंग हुई. इस फायरिंग में जेल के अंदर दो बदमाशों की हत्या कर दी गई. वहीं हत्यारा बदमाश अंशुल दीक्षित भी पुलिस एनकाउंटर में मारा गया. अंशुल दीक्षित सीतापुर जनपद का रहने वाला था.

सीतापुर: जिले के पड़ोसी जनपद चित्रकूट के जिला जेल में हुए हत्याकांड में सीतापुर का नाम चर्चा का विषय बना हुआ है. इसकी वजह है कि एनकाउंटर में मारे गए अंशुल दीक्षित उर्फ अंशु दीक्षित उर्फ सुमित दीक्षित सीतापुर जनपद का रहने वाला था.

शुक्रवार को चित्रकूट जेल गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा. चित्रकूट जेल में बंद कैदी शार्प शूटर अंशुल दीक्षित उर्फ अंशु दीक्षित ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर पश्चिमी यूपी के शातिर बदमाश मुकीम काला और मेराजुद्दीन उर्फ मेराज अली की हत्या कर दी. जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने अंशुल दीक्षित को मार गिराया था.

सीतापुर का निवासी है अंशुल
अंशुल दीक्षित मूल रूप से सीतापुर जिले के मानपुर थाना क्षेत्र के ग्राम कोड़रा का निवासी था. काफी समय पहले परिवार सहित शहर कोतवाली क्षेत्र के आरएमपी रोड पर रहता था. जिसके बाद परिवार समेत शहर के ग्वालमंड़ी में जाकर रहने लगा, लेकिन पिछले तीन साल से उसके परिवार के लोग यहां से कहीं और चले गए.

गोरखपुर में हुई गिरफ्तारी
दिसंबर 2014 को यूपी एसटीएफ के डिप्टी एसपी विकास चंद्र त्रिपाठी की टीम ने अंशुल दीक्षित को गोरखपुर में गिरफ्तार किया था. तब अंशुल के कब्जे से एक पिस्तौल, एक तमंचा और कारतूस मिले थे. वह पूर्वांचल में नाम बदल कर किसी बड़ी वारदात की फिराक में था. गोरखपुर में गिरफ्तारी के बाद से ही अंशुल दीक्षित जेल में बंद था. एसटीएफ ने उसे सीएमओ विनोद आर्या के बहुचर्चित हत्याकांड के आरोप में गिरफ्तार किया था.

गिरफ्तारी के दौरान हुए मुठभेड़ में डिप्टी एसपी एसटीएफ विकास चन्द्र त्रिपाठी, कांस्टेबल अनूप कुमार, एसआई सत्य प्रकाश सिंह और हेड कॉन्स्टेबल भानू प्रताप सिंह बाल-बाल बचे थे. एसटीएफ की पूछताछ में अंशुल दीक्षित ने स्वीकार किया था कि वह सीतापुर के तत्कालीन एमएलसी भरत त्रिपाठी और उनके बेटे परीक्षित त्रिपाठी की हत्या के लिए साथियों की तलाश करने के लिए गोरखपुर आया था.

कई फर्जी आईडी कार्ड रखता था अंशुल दीक्षित
अंशुल दीक्षित उर्फ अंशु दीक्षित नाम बदलने में माहिर था. 2014 में जब एसटीएफ ने उसे दबोचा था तो उसकी तलाशी के दौरान उसके पास से एक ग्रीन कार्ड मिला था. जिस पर रामनाथ देवरिया के कमान संख्या 24 निवासी आदित्य मिश्रा अंकित था. एक आधार कार्ड मिला था, जिस पर आदित्य मिश्रा निवासी 299/2 ए साकेत नगर टुजुर भोपाल, मध्य प्रदेश लिखा था. वहीं उसके पास से बरामद वोटर आईडी कार्ड में भी नाम पता फर्जी पड़ा था. इन सभी आईडी कार्ड पर अंशुल दीक्षित की ही फोटो लगी थी.

अंशुल दीक्षित पर लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र नेता विनोद त्रिपाठी की हत्या सहित कई अन्य लोगों की हत्या करने का आरोप है. अंशुल दीक्षित पर जीआरपी सीतापुर ने 5 हजार, जबकि भोपाल, मध्य प्रदेश पुलिस ने 10 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था.

2013 में पुलिस गिरफ्त से हो गया था फरार अंशुल
साल 2013 में अंशुल दीक्षित को सीतापुर से लखनऊ पेशी पर लाया जा रहा था तो वह जीआरपी के सिपाहियों को नशीली गोलियां खिलाकर फरार हो गया. उसके बाद से ही अंशुल फरार चल रहा था. 27 सितंबर 2014 को अंशुल दीक्षित की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ लखनऊ यूनिट के सब इंस्पेक्टर संदीप मिश्रा, भोपाल के हबीबगंज इलाके में पहुंचे थे. उनके साथ भोपाल एसओजी के दो सिपाही भी थे. रात करीब 10:30 बजे जब इस टीम ने अंशुल को पकड़ने की कोशिश की तो टीम पर फायरिंग कर अंशुल फिर से फरार हो गया. इसमें एसटीएफ के सब इंस्पेक्टर संदीप मिश्रा और भोपाल पुलिस के दो सिपाही भी घायल हुए थे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.