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फर्जी पासवर्ड व यूजर आईडी से सत्यापन कर धान खरीद करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, चार गिरफ्तार

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Published : Feb 5, 2023, 10:38 PM IST

फर्जी तरके से किसानों का सत्यापन
फर्जी तरके से किसानों का सत्यापन

भदोही में जिले के अधिकारियों का फर्जी पासवर्ड यूजर आईडी जनरेट करने के बाद फर्जी तरके से किसानों का सत्यापन कर धान खरीदी करने वाले गिरोह के चार सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है.

भदोही: जिले में रविवार को फर्जी आईडी और पासवर्ड बनाकर किसानों का सत्यापने कर किसानों का धान खरीदने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है. जिसमें जिला खाद्य विपणन विभाग के संविदा कर्मी कंप्यूटर ऑपरेटर समेत चार को गिरफ्तार कर लिया गया है. इस बात की पुष्टि एसपी डॉक्टर अनिल कुमार ने की है.
9 दिसंबर को जिला खाद्य विवरण अधिकारी जनपद भदोही ने अपने कार्यालय व एडीएम, एसडीएम ज्ञानपुर , एसडीएम भदोही, एसडीएम औराई जनपद भदोही का यूजर आईडी पासवर्ड अनाधिकृत रुप से किसी अज्ञात व्यक्तियों द्वारा बदलने और किसानों का फर्जी तरीके से सत्यापन किए जाने के मामले में थाना ज्ञानपुर में मुकदमा दर्ज कराया था.

इस मामले की जांच के लिए पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार ने टीम गठित कर आरोपियों की गिरफ्तारी व बरामदगी के निर्देश दिए थे. रविवार को मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर साइबर क्राइम सेल, थाना औराई व थाना ज्ञानपुर की संयुक्त टीम ने कार्रवाई करते हुए मिश्रा राइस मिल के मालिक अनिल मिश्र, शिवम मिश्र व गोविन्द मिश्र और शुभम पाण्डेय को गिरफ्तार किया है. गिरोह के अन्य आपराधिक घटनाओं में संलिप्तता की जांच सहित 1106 किसानों के रजिस्ट्रेशन सम्बन्धी अन्य जानकारियां प्राप्त की जा रही है.


पूछताछ में गिरफ्तार अभियुक्तों के सरगना अनिल मिश्र ने बताया कि मेरा मुख्य कारोबार राइस मिल का है. जिसमें सरकारी क्रय किये गये धानों की कुटाई का भी काम किया जाता है. मुझे वर्ष 2022-23 में सरकार द्वारा निर्धारित की गई 6600 मैट्रिक टन (6 लाख 60 हजार कुन्टल) जनपद भदोही में धान क्रय का लक्ष्य की जानकारी मिली थी. जिसके आधार पर हम लोगों ने सुनियोजित तरीके से सितम्बर और अक्टूबर 2022 महीने में अपने परिचत व्यक्तियों का आधार लगाकर फर्जी तरीके से किसान बनाकर रजिस्ट्रेशन किया और फिर उसका सत्यापन करके धान क्रय केन्द्र समिति से सम्पर्क स्थापित कर अपने राइस मिल पर धान की कुटाई के लिए डिलेवरी कागज ले लिया. इसके बाद चावल जो सरकार को भेजना होता है उसको बाजार से सस्ते दामों पर खरीद कर सरकार को डिलेवरी कर ज्यादा पैसा कमाने की नियत से यह काम करते थे. लेकिन सरकारी जांच की जानकारी होने पर यह काम बंद कर दिया था.

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