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भदोहीः बजट से कालीन इंडस्ट्री मायूस, अब ODOP से उम्मीदें

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Published : Feb 2, 2020, 2:42 PM IST

यूपी के भदोही जिले में हस्तनिर्मित कालीनों पर अब विदेशी मशीनमेड कालीन भारी पड़ने लगे हैं. फिलहाल इस बजट में छोटे निर्यातकों के लिए 'निर्विक' और 'ओडीओपी' योजना से धन का प्रावधान किए जाने से कालीन कारोबार जगत ने राहत की सांस ली है.

कालीन इंडस्ट्री
कालीन इंडस्ट्री

भदोहीः विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाली हस्तनिर्मित कालीन उद्योग को आम बजट से काफी उम्मीदें थी, लेकिन बजट में सीधे तौर पर कालीन उद्योग को कोई लाभ नहीं दिया गया. कालीन निर्यातक चाहते थे कि मशीनमेड कालीनों के सामने हस्तनिर्मित कालीन उद्योग को गति देने के लिए सरकार को सब्सिडी में बढोतरी करनी चाहिए थी, ऐसा न होने से हस्तनिर्मित कालीन उद्योग की चुनौतियां और बढ़ गई हैं. हालांकि निर्विक बीमा योजना और एक्सपोर्ट हब बनाने के ऐलान से कालीन उद्योग को जरूर कुछ फायदा पहुंच सकता है, जिसकी समीक्षा करने में निर्यातक जुटे हुए हैं.

कालीन उद्योग को चुनौती.

मशीनमेड कालीन हस्तनिर्मित कालीन के लिए बनी चुनौती
पूरे देश से 12 हजार करोड़ से अधिक की कालीन विदेशी बाजारों में निर्यात की जा रही हैं. मशीनमेड कालीन हस्तनिर्मित कालीनों के सामने बड़ी चुनौती बनकर इस उद्योग को नुकसान पहुंचा रही हैं. ऐसे में कालीन उद्योग के निर्यताकों की मांग थी कि पूर्व में निर्यात पर मिलने वाले दस फीसदी ड्रा बैक सब्सिडी को दोबारा शुरू करना चाहिए.

संभावनाएं तलाशने में जुटे निर्यातक
अभी वर्तमान समय में ड्रा बैक 3.4 फीसदी है, इससे कालीन निर्यताकों को सीधे तौर पर लाभ मिलता था और इससे तमाम चुनौतियों से निबटने में सहायता भी मिलती थी. एक फरवरी को पेश हुए बजट में इसमें किसी तरह के बढ़ोतरी का एलान न होने से कालीन निर्यातक निर्यात के लिए किए गए दूसरे ऐलान में संभावनाएं तलाशने में जुट गए हैं.

एक्सपोर्ट हब बनाने की बात
युवा कालीन निर्यातक इम्तियाज अंसारी का कहना है कि सरकार ने हर जिले को निर्यात के दृष्टि से एक्सपोर्ट हब बनाने की बात बजट में की है. इसके लिए जमीनी स्तर पर एक कमेटी भी बनाई जा रही है, लेकिन ऐसे प्रयासों का आगे क्या लाभ मिलेगा, यह देखने वाली बात होगी. वहीं असलम महबूब अंसारी कहते हैं कि सीधे तौर पर कालीन उद्योग को इस बजट से कोई लाभ नहीं मिल रहा है, बल्कि जो टैक्स के नए स्लैब पेश किए गए हैं, उससे भी हम जैसे निर्यातकों को बहुत फायदा नहीं समझ आ रहा है.

Intro:विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाली हस्तनिर्मित कालीन उद्योग को आम बजट से काफी उम्मीदें थी लेकिन बजट में सीधे तौर पर कालीन उद्योग को कोई लाभ नही दिया गया। कालीन निर्यातक चाहते थे चुनौती बनी मशीनमेड कालीनों के सामने हस्तनिर्मित कालीन उधोग को गति देने के लिए सरकार को सब्सिडी में बढोत्तरी करनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नही होने से अब हस्तनिर्मित कालीन उद्योग की चुनौतियां और बढ़ गयी हैं। हालांकि निर्भीक बीमा योजना और एक्सपोर्ट हब बनाने के एलान से कालीन उद्योग को कुछ फायदा पहुंच सकता है जिसकी समीक्षा में निर्यातक जूट हुए हैं। 


Body:पूरे देश से 12 हजार करोड़ से अधिक की कालीन विदेशी बाजारों में निर्यात की जा रही हैं लेकिन मशीनमेड कालीन हस्तनिर्मित कालीनों के सामने बड़ी चुनौती बनकर इस उद्योग को नुकसान पहुंचाने पर आमादा है। ऐसे में कालीन उद्योग के निर्यताको की मांग थी कि पूर्व में निर्यात पर मिलने वाले दस फीसदी ड्रा बैक सब्सिडी को दोबारा शुरू करना चाहिए। Conclusion:जबकि वर्तमान में ड्रा बैक 3.4 फीसदी है। इससे कालीन निर्यताको को सीधे तौर पर लाभ मिलता था और इससे तमाम चुनौतियों से निबटने में सहायता मिलती थी। लेकिन बजट में इसके किसी तरह के बढोत्तरी का एलान न होने से कालीन निर्यातक निर्यात के लिए किए गए दूसरे एलान में संभावनाएं तलाशने में जुटे हैं। युवा कालीन निर्यातक इम्तियाज अंसारी का कहना है कि सरकार ने हर जिले को निर्यात के दृष्टि से एक्सपोर्ट हब बनाने की बात बजट में की है इसके लिए जमीनी स्तर पर एक कमेटी भी बनाई जा रही है लेकिन ऐसे प्रयासों का आगे क्या लाभ मिलेगा यह देखने वाली बात होगी। वहीं असलम महबूब अंसारी कहते हैं कि सीधे तौर पर कालीन उद्योग को इस बजट से कोई लाभ नही मिल रहा है बल्कि जो टैक्स के नए स्लैब पेश किए गए हैं उससे भी हम जैसे निर्यताको को बहुत फायदा नही समझ आ रहा। 

बाईट-इम्तियाज अंसारी, कालीन निर्यातक

बाईट-असलम महबूब, कालीन निर्यातक 
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