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कोरोना ने रोके 'फोर्जड व्हील प्लांट' के बढ़ते कदम, जर्मन एक्सपर्ट के इंतजार में रेल पहिया कारखाना

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Published : Oct 24, 2020, 10:02 PM IST

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रायबरेली रेल पहिया कारखाना.

यूपी के रायबरेली जिले में स्थित फोर्जड व्हील प्लांट पिछले 6 से बंद पड़ा है. इस वजह से कारखाने में उत्पादन नहीं हो पा रहा है. कारखाने के अधिकारियों का दावा है कि यदि सब कुछ ठीक ठाक रहता तो 1 लाख फोर्जड व्हील प्रति वर्ष की उत्पादन शुरु हो चुका होता. हॉट ट्रायल मशीनिंग व ऑनलाइन टेस्टिंग समेत कई जरूरी स्टेज अधूरे रहने के कारण फिलहाल अभी कुछ कह पाना मुश्किल है.

रायबरेलीः रेल पहिया कारखाने के कामकाज पर कोरोना का जबरदस्त असर देखने को मिला है. पहिया निर्माण की ओर तेजी से बढ़ रहे कारखाने को लॉकडाउन के कारण मार्च में ही ठहरना पड़ा था. जर्मन मशीनरी के इंस्टॉलेशन और कमिश्निंग का कार्य अंतिम चरण में पहुंचने के बावजूद सब कुछ थम गया. नतीजा यह है कि बीते 6 माह से जर्मन इंजीनियर के अभाव में कामकाज ठप है. कारखाने के अधिकारियों का दावा है कि यदि सब कुछ ठीक ठाक रहता तो 1 लाख फोर्जड व्हील प्रति वर्ष की उत्पादन क्षमता के साथ स्थापित हुए इस कारखाने में उत्पादन शुरु हो चुका होता. हॉट ट्रायल मशीनिंग व ऑनलाइन टेस्टिंग समेत कई जरूरी स्टेज अधूरे रहने के कारण फिलहाल अभी कुछ कह पाना मुश्किल है. यही कारण है कि रायबरेली के लालगंज स्थित आधुनिक रेल डिब्बा कारखाने के परिसर में स्थापित राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड के इस पहिया कारखाने पर अब राजनीति घमासान भी छिड़ता नजर आ रहा है. जिले के कांग्रेसी नेता इस मसले पर जहां सत्तारुढ़ दल भाजपा पर निशाना साधते नजर आ रहे हैं वहीं बीजेपी की तरफ से भी जबरदस्त पलटवार देखा जा रहा है.

फोर्जड व्हील प्लांट में बंद पड़ा काम.

भाजपा सरकार की गलत नीतियों की भेंट चढ़ा रेल पहिया कारखाना
बीते 06 माह से रेल पहिया कारखाने में पहिया निर्माण का कार्य ठप होने से कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा है. सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली के जिलाध्यक्ष पंकज तिवारी कहते हैं कि रेल पहिया कारखाने की सौगात स्थानीय सांसद सोनिया गांधी द्वारा दी गई थी. उद्देश्य यही था कि एमसीएफ में हो रहे रेल डिब्बे निर्माण में पहिए की जरूरत को स्थानीय स्तर पर ही पूरा किया जा सके. वर्ष 2013 में इसका शिलान्यास हुआ था पर केंद्र सरकार के ढुलमुल रवैया के कारण सालों बीत जाने के बावजूद अब तक उत्पादन शुरू नहीं हो सका. अब कोरोना के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है. आखिर इतने वर्षों में सरकार किसी भी भारतीय इंजीनियर को जर्मन इंजीनियर से प्रशिक्षित क्यों नहीं करा पाई. यह दर्शाता है कि यह कारखाना पूरी तरह से विदेशियों के ही बलबूते सरकार की चलाने की मंशा थी और किसी भी भारतीय एक्सपर्ट को इस पूरे प्रोजेक्ट पर नहीं लगाया गया था. नहीं तो अब तक पहिया उत्पादन का कार्य शुरु हो गया होता.

जल्द शुरु होगा कारखाने में पहियों का उत्पादन
कांग्रेस के आरोपों को एकसिरे से नकारते हुए भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष और प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य आरबी सिंह कहते हैं कि कोरोना वैश्विक महामारी है. जिसका असर देश दुनिया के तमाम देशों में भी देखा जा रहा है. रेल पहिया कारखाना जर्मन कंपनी की निगरानी में बनाया जा रहा था. लगभग कार्य पूरा हो चुका है और पहिया उत्पादन भी शुरु हो गया था. बस टेस्टिंग सहित कुछ अन्य कार्य बाकी थे पर कोरोना के कारण सभी जर्मन एक्सपर्ट को अपने देश वापस लौटना पड़ा. अब जैसे ही कोरोना की रफ्तार पर नियंत्रण पाया जाता है, सभी जर्मन एक्सपर्ट लालगंज वापसी करेंगे और कुछ ही समय में उत्पादन कार्य संपन्न कराया जा सकेगा.

जर्मन एक्सपर्ट के वापस आने के 1 से डेढ़ महीने के अंदर ही गतिमान होगा कारखाना
रेल पहिया कारखाना के महाप्रबंधक संजय कुमार झा ने बताया कि हीट ट्रीटमेंट फर्नेस, मशीनिंग एरिया की मशीनों और ऑनलाइन टेस्टिंग मशीनों का हॉट ट्रायल अभी बाकी है. जो जर्मन एक्सपर्ट्स इंजीनियर के आने के बाद ही पूरा हो सकेगा. इससे पूर्व के महीनों की लगातार मेहनत के बाद फैक्ट्री परिसर में मौजूद रहे करीब 30 से 35 जर्मन एक्सपर्ट इंजीनियर की निगरानी में 8 फरवरी 2020 को फोर्जिंग यूनिट व रोटेटिंग फर्नेस का हॉट ट्रायल सफलतापूर्वक किया गया था. प्रतिदिन करीब 60 पहियों का निर्माण किया गया और 15 मार्च तक लगभग 450 पहिए तैयार हो गए थे. उन्हें टेस्टिंग प्रक्रिया में लेकर आना था पर तभी कोरोना की दस्तक ने जर्मन एक्सपर्ट को वापस लौटने पर मजबूर किया और काम काज कुछ दिनों तक बंद रहा.

17 मई से स्थानीय प्रशासन ने पुनः काम शुरु करने की इजाजत दी है. तय नियमों के तहत काम शुरु हो चुका है. मशीनिंग वर्क जर्मन एक्सपर्ट के आने के बाद ही शुरु हो पाएगा. उसके लिए पहले जर्मनी की सरकार अपने देश के लोगों को भारत आने की इजाजत दें. इंटरनेशनल फ्लाइट्स की भारत में शुरुआत हो और भारत सरकार उन्हें वीजा दे. इसके बाद ही जर्मन सुपरवाइजर वापस रायबरेली आ सकेंगे और तभी मशीन के बाकी बचे काम को पूरा किया जा सकेगा. इतना भरोसा जरुर है कि जर्मन एक्सपर्ट के आने के 1 से डेढ़ महीने के अंदर इस प्लांट से फोर्जड व्हील का उतपादन गति पकड़ता दिखाई देगा.

लालगंज का फोर्जड व्हील प्लांट पर एक नजर
भारतीय रेल और इस्पात मंत्रालय के बीच 2012 में हुए एमओयू के तहत राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड द्वारा लालगंज के रेल कोच फैक्ट्री परिसर से लगी भूमि पर रेल पहिया कारखाने की नींव रखी गई थी. 8 अक्टूबर 2013 को यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने तत्कालीन इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा, रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में इसका शिलान्यास किया था. दुनिया की बेहद आधुनिकतम व शीर्ष तकनीक में शुमार जर्मन टेक्नोलॉजी पर आधारित इस प्लांट के संचालित होने से बड़ी मात्रा में खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा कोष की बचत हो सकेगी. सौ फीसदी ऑटोमेशन व रोबोटिक्स पर आधारित इस प्लांट के बलबूते लालगंज विश्व के मानचित्र पर स्थापित हो सकेगा.

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