प्रयागराजः यूपी बोर्ड के इतिहास में पहली बार 25 अप्रैल को ही दसवीं और बारहवीं का परीक्षा परिणाम घोषित किया गया. यूपी बोर्ड का गठन 1921 में किया गया था. बोर्ड की पहली परीक्षा और बोर्ड का पहला परीक्षा परिणाम 1923 में जारी किया गया था. यूपी बोर्ड के 100 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब बोर्ड ने दसवीं और बारहवीं के परीक्षा परिणाम 25 अप्रैल को जारी किया है. इससे पहले इतनी जल्दी यूपी बोर्ड का रिजल्ट कभी जारी नहीं हो सका था. इससे पहले 2019 में 27 अप्रैल को रिजल्ट घोषित किया गया था.
कब किस तारीख को आया रिजल्टः 2011 में 10 जून, 2012 में 8 जून, 2013 में 8 जून, 2014 में 30 मई, 2015 में 17 मई, 2016 में 15 मई, 2017 में 9 जून, 2018 में 29 अप्रैल, 2019 में 27 अप्रैल, 2020 में 27 जून, 2021 में 31 जुलाई, 2022 में 18 जून, 2023 में 25 अप्रैल को यूपी बोर्ड का रिजल्ट जारी हुआ था.
30 सालों का टूटा रिकॉर्ड, नहीं कोई पुनर्परीक्षा न पेपर आउटः यूपी बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ला ने बताया कि 30 सालों के बाद ऐसा हुआ है, जब बोर्ड की परीक्षा के दौरान एक भी परीक्षा दोबारा नहीं करवानी पड़ी. किसी विषय की परीक्षा का पेपर आउट नहीं हुआ. किसी परीक्षा केन्द्र या किसी भी प्रश्नपत्र का गलत पेपर नहीं खोला गया. जिस वजह से दोबारा परीक्षा करवाने की नौबत नहीं आयी. उन्होंने बताया कि एक भी सेंटर से किसी परीक्षा का पेपर लीक नहीं हुआ, जिस वजह से दूसरी बार परीक्षा करवाने की जरूरत नहीं पड़ी. साल 1997 के बाद हर वर्ष किसी न किसी वजह से परीक्षा प्रदेश में कहीं किसी सेंटर पर दूसरी बार करवानी ही पड़ती थी. लेकिन इस बार यूपी बोर्ड की परीक्षा की सटीक प्लानिंग का नतीजा था कि परीक्षा में किसी भी स्तर पर ऐसी कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई.
बोर्ड परीक्षा के दौरान बनायी गयी थी ये व्यवस्थाः बोर्ड सचिव के अनुसार यूपी में बोर्ड के परीक्षा केंद्रों की निगरानी के लिए 936 संवेदनशील परीक्षा केन्द्र और 242 अति संवेदनशील परीक्षा केन्द्र चिह्नित किये गये थे.इसके साथ ही नकल विहीन परीक्षा करवाने के लिए यूपी एसटीएफ से मिली की रिपोर्ट के बाद 87 स्कूलों को परीक्षा केन्द्र नहीं बनाया गया था. प्रदेश के सभी 8753 परीक्षा केन्द्रों पर 8753 स्टैटिक मजिस्ट्रेट के साथ केन्द्र व्यवस्थापक और वाह्य केन्द्र व्यवस्थापक तैनात किए गए थे. इसके परीक्षा केन्द्रों के निरीक्षण एवं पर्यवेक्षण के लिए सभी जनपदों में 1390 सेक्टर मजिस्ट्रेट और 455 जोनल मजिस्ट्रेट के अलावा 521 सचल दस्ता के साथ 75 राज्य स्तरीय पर्यवेक्षक अधिकारी तैनात किए गए थे.यही नहीं पूरे प्रदेश में 8 हजार 753 परीक्षा केंद्रों पर नकल विहीन परीक्षा करवाने के लिए वॉइस रिकॉर्डर वाले सीसीटीवी कैमरे के जरिये निगरानी की जा रही थी.
मुख्यालय के साथ ही जनपद स्तर पर कंट्रोल रूम बनाया गयाः बोर्ड की परीक्षा में बोर्ड के मुख्यालय के साथ ही प्रदेश भर के हर जिले में कंट्रोल रूम बनाया गया था.इसके साथ ही क्षेत्रीय कार्यालय में भी कंट्रोल रूम की स्थापना की गयी थी.इसके अलावा लखनऊ में बोर्ड के कैंप ऑफिस में सभी हाईटेक तकनीक से बनाये गए कन्ट्रोल रूम से परीक्षा केंद्रों की मॉनीटरिंग की जा रही थी. इसके साथ ही नकल रोकने के लिए भी थी पूरी व्यवस्था की गई थी.जिसके तहत दूसरे के स्थान पर परीक्षा देने वाले 133 मुन्ना भाइयों को पकड़ा गया. साथ ही अनुचित साधनों का प्रयोग करते हुए 81 परीक्षार्थी पकड़े गए. पेपर लीक या पेपर खोलने के दौरान होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए परीक्षा केंद्रों के स्ट्रॉग रूम की जांच रात में भी की जा रही थी. इसी के तहत प्रदेश भर के 8 हजार 753 परीक्षा केंद्रों पर बोर्ड के अफसरों की 632 टीम ने 28 हजार 716 बार निरीक्षण किया. इतना ही नहीं बोर्ड की तरफ से पहली बार परीक्षा के पेपर की सुरक्षा के लिए 4 लेयर वाली सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी.
दसवीं में 89.78 और बारहवीं में 75.52 फीसदी छात्र हुए पासः बता दें कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल औऱ इंटर की परीक्षा का परिणाम मंगलवार को घोषित कर दिया गया है.बोर्ड की परीक्षा में दसवीं में कुल 89.78% प्रतिशत छात्र छात्राएं सफल हुए हैं. जबकि बारहवीं में कुल 75.52% छात्र छात्राएं सफल घोषित हुए हैं. दसवीं में बालकों के उत्तीर्ण प्रतिशत 86.64 है जबकि छात्राओं का उत्तीर्ण प्रतिशत 93.34 है. इसी तरह से बारहवीं में बालकों का उत्तीर्ण प्रतिशत 69.34 है. जबकि बालिकाओं का उत्तीर्ण प्रतिशत 83 है.इस साल भी दसवीं और बारहवीं में बालकों की अपेक्षा बालिकाओं ने बाजी मारी है.