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प्रयागराज: इस मंदिर में पूरी होती है भक्तों की सभी मनोकामनाएं, पुराणों में है इसका वर्णन

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Published : Oct 3, 2019, 6:12 AM IST

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में माता कल्याणी का मंदिर बहुत ही प्राचीन है. नवरात्रि के दिनों में यहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है और सभी भक्त अपनी मनोकामनाएं लिए इस मंदिर में आते हैं.

इस मंदिर में पूरी होती है भक्तों की सभी मनोकामनाएं.

प्रयागराज: यूं तो देश में माता के कई प्राचीन और विख्यात मंदिर हैं. जहां माता कई रुपों में अपने सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्णं करती हैं, लेकिन प्रयागराज में माता कल्याणी का मंदिर बहुत ही प्राचीन है. पौराणिक मान्यता के अनुसार माता के हाथों की उंगलियां यहीं पर गिरी थी. महा शक्तिपीठ मां कल्याणी देवी जी का यह मंदिर अति प्राचीन पुराण वर्णित शक्तिपीठ है. एक प्रमाण के अनुसार वर्तमान में जो मां की प्रतिमा है, वह 32 अंगुल ऊंची है. नवरात्रि के दिनों में यहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है और सभी भक्त अपनी मनोकामनाएं लिए इस मंदिर में आते हैं.

इस मंदिर में पूरी होती है भक्तों की सभी मनोकामनाएं.

यहीं पर गिरी थीं माता की उंगलियां

भारत की गौरवमई आध्यात्मिक परंपरा में शक्ति उपासना का अपना स्थान रहा है. इस मंदिर के पुरोहितों की माने तो इस बात का जिक्र पुराणों में है कि यहां पर माता की उंगलियां गिरी थीं. तब से यह शक्तिपीठ के नाम से जाना जाने लगा. 1500 वर्ष पुरानी यह प्रतिमा कल्याणी देवी मोहल्ले में स्थापित है. पद्म पुराण के अनुसार भगवती ललिता ही कल्याणी देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं. ऐसी मान्यता है कि महाऋषि याज्ञवल्क्य ने मां भगवती की आराधना करके 32 उंगली की देवी कल्याणी की प्रतिमा स्थापित की थी.

कुछ ऐसा है माता का रूप

देवी की प्रतिमा मंडल के मध्य भाग में स्थित है. जिसमें चतुर्भुज रूप में सिंह पर आसीन देवी कल्याणी विद्यमान हैं. मूर्ति के शेष भाग में एक आभा चक्र, मस्तक पर योनि लिंग और फणींद्र शोभा यान है. मध्य मूर्ति के बाईं ओर भगवती छिन्नमस्ता की प्रतिमा है, उनके दक्षिण भाग में महादेव जिनके अंग में पार्वती विराजमान हैं.

जानिए मंदिर के पुरोहित ने क्या कुछ कहा

मंदिर के पुरोहित सुशील पाठक का कहना है कि शीतला अष्टमी के दिन यहां विशाल मेले का आयोजन होता है. जहां दूर-दूर से लोग माता के दर्शन करने के लिए आते हैं. अश्विन मास आषाढ़ मास के नवरात्रों में यहां पर अपनी मनोकामना लिए भक्तों का तांता लगा रहता है. मंदिर के पुरोहित की माने तो यहां पर बड़े-बड़े राजनेता चाहे वह जवाहरलाल नेहरू हों, लालकृष्ण आडवाणी हो या फिर मुरली मनोहर जोशी और अन्य भारत की बागडोर संभालने वाले नेता-राजनेता यहीं से आशीर्वाद लेकर ऊंचे पदों पर आसीन हुए हैं.

Intro:प्रयाग इसी जगह गिरी थी मां की हाथों की उंगलियां जिसे कल्याणी के नाम से जान आ गया
ritesh singh
7007861412
प्रयागराज में माता कल्याणी का मंदिर बहुत ही प्राचीन है! माता हाथ की उंगलियां यहीं पर गिरी थी! महा शक्तिपीठ मां कल्याणी देवी जी का अति प्राचीन पुराण वर्णित शक्तिपीठ है! वर्तमान में जो मां की प्रतिमा है एक प्रमाण के अनुसार 32 उंगली उची है! कल्याणी मां की प्रतिमा 15 वर्ष पुरानी है !मां का स्थान पहले यमुना के किनारे एक मडिया में नीम के पेड़ के नीचे था नवरात्रि के दिनों में यहां पर भक्तों का ताता लगा रहता है और सभी मनोकामना लिए इस मंदिर पर आते हैं!


Body: भारत की गौरवमई आध्यात्मिक परंपरा में शक्ति उपासना का अपना स्थान रहा है! मंदिर की पुरोहितों की माने तो पुराणों में विदित है कि माता की उंगलियां यहीं पर गिरी थी तब से यह शक्तिपीठ के नाम से जाने जाने लगी! 1500 वर्ष पुरानी इस प्रतिमा कल्याणी देवी मोहल्ले में स्थापित है! पद्म पुराण के अनुसार भगवती ललिता ही कल्याणी देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं! ऐसी मान्यता है कि महा ऋषि याज्ञवल्क्य मां भगवती की आराधना करके 32 उंगली की देवी कल्याणी की प्रतिमा स्थापित की थी! देवी की प्रतिमा मंडल के मध्य भाग में चतुर्भुज रूप में सिंह पर आसीन देवी कल्याणी विद्यमान हैं! मूर्ति के शेष भाग में एक आभा चक्र मस्तक पर योनि लिंग व फणींद्र शोभा यान! मध्य मूर्ति के बाईं ओर भगवती छिन्नमस्ता की प्रतिमा है! उनके दक्षिण भाग में महादेव जिनके अंग में पार्वती विराजमान है !मंदिर के पुरोहित सुशील पाठक का कहना है कि शीतला अष्टमी के दिन यहां बहुत विशाल मेले का आयोजन होता है जहां दूर-दूर से लोग माता के दर्शन करने को आते हैं! अश्विन मास आषाढ़ मास के नवरात्रों में यहां पर अपनी मनोकामना लिए भक्तों का तांता लगा रहता है! मंदिर के पुरोहित की माने तो यहां पर बड़े-बड़े राजनेता चाहे वह जवाहरलाल नेहरू हूं लालकृष्ण आडवाणी हूं मुरली मनोहर जोशी व अन्य भारत की बागडोर संभालने वाले नेता राजनेता यहीं से आशीर्वाद लेकर ऊंचे पदों पर आसीन हुए हैं!

बाइट --- सुशील पाठक(मंदिर पुरोहित और प्रबंधक)
बाइट ---- राजकुमार (श्रद्धालू)


Conclusion:मौका चाहे जो भी हो लेकिन इस माता के शक्तिपीठ पर आना कोई भी भक्त नहीं भूलता और यहां पर 12 मास भक्तों का तांता लगा रहता है क्योंकि मां कल्याणी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं
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