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बाढ़ से हर कोई त्रस्त, लोग जाए तो जाए कहां, राहत शिविरों में रहता है अंधेरा

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Published : Aug 15, 2021, 9:44 PM IST

यूपी के प्रयागराज में बाढ़ से हर कोई परेशान है. पुराना यमुना पुल इलाके में किसी का घर 6 से 8 फीट तक पानी में डूबा है तो किसी के मुहाने तक पानी है. रोजमर्रा मजदूरी कर अपना जीवन बसर करने वाले गरीबों का आरोप है कि इनको कोई भी सरकारी मदद अभी तक नहीं मिली है.

बाढ़ से हर कोई त्रस्त
बाढ़ से हर कोई त्रस्त

प्रयागराज: संगमनगरी में इन दिनों बाढ़ ने कहर मचाया हुआ है. बाढ़ ग्रस्त इलाकों में परेशानी तो बहुत है, लेकिन अपना घर छोड़कर कोई जाना नहीं चाहता है. ऐसा ही हाल जिले के पुराना यमुना पुल इलाके का भी है. यहां के बाढ़ ग्रस्त इलाकों में गरीब तबके के लोगों का घर पूरी तरह से पानी में डूब गया है, लेकिन वह अपने आशियानों से दूर नहीं जाना चाहते हैं. बाढ़ से पीड़ित लोग सड़कों पर ही खुले आसमान के नीचे दिन रात गुजार रहे हैं. इनका आरोप है कि उनकी कोई मदद नहीं कर रहा. सरकारी अमला तो दूर कोई सामाजिक संगठन भी अभी तक सामने नहीं आया है.इस इलाके में बीती रात से गंगा-यमुना का जलस्तर धीरे धीरे कम होना शुरू हो गया है लेकिन अभी भी स्थिति सही नहीं है. लोग गंगा का जलस्तर घटने का इंतजार कर रहे हैं.

पुराना यमुना पुल इलाके में किसी का घर 6 से 8 फीट तक पानी में डूबा है तो किसी के मुहाने तक पानी है. ऐसे में घर का सामान तो छत पर रख दिया गया है, मगर जब बारिश होती है तो वह सामान भी भीग जाता है.

बाढ़ से हर कोई त्रस्त

रोजमर्रा मजदूरी कर अपना जीवन बसर करने वाले इन गरीबों का आरोप है कि इनको कोई भी सरकारी मदद अभी तक नहीं मिली है. जो लोग आते भी हैं वह बस फोटों खींचा कर चले जाते हैं. बाढ़ पीड़ितों का आरोप है कि जो राहत शिविर बनाए गए हैं, उनमें कोई व्यवस्था नहीं है. बाढ़ पीड़ित बबलू का कहना है कि शिविर में बिजली की भी कोई व्यवस्था नहीं है. बरसात के दिनों में इन राहत शिविरों में खतरा बना रहता है, इस कारण से यह अपने आशियाने के सामने सड़कों पर ही अपने दिन गुजार रहे हैं.

फिलहाल बड़े इलाकों में सामाजिक संस्थाएं और राजनैतिक पार्टियों के लोग रासन बाटते समय अपनी अपनी फोटो खींचा कर मीडिया और सोशल मीडिया वायरल कर रहे हैं, लेकिन इन रोजमर्रा की जिंदगी जीने वालों का दर्द देख कर लगता है कि उस राहत सामग्री के असली हकदार यही थे.

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