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High court news: पूर्व मंत्री कमलेश पाठक की गैंगस्टर मामले में जमानत खारिज

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Published : Feb 28, 2023, 9:25 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री कमलेश पाठक को गैंगस्टर के मामले जमानत की अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि याची के खिलाफ दर्ज मुकदमों की संख्या देखते हुए इस मामले में जमानत नहीं दी जा सकती है.

पूर्व मंत्री कमलेश पाठक
पूर्व मंत्री कमलेश पाठक

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री कमलेश पाठक की गैंगस्टर के मामले में जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि याची के विरुद्ध दर्ज मुकदमों की लंबी फेहरिस्त और उसके आपराधिक कृत्यों को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता है कि यह मामला जमानत देने योग्य है. कमलेश पाठक पर महिला अधिवक्ता और उसकी बहन की दिनदहाड़े हत्या करने सहित करीब 37 मुकदमे दर्ज हैं. उसकी जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने सुनवाई की.

कमलेश पाठक के खिलाफ 11 जुलाई 2020 को थाना प्रभारी औरैया जिला औरैया ने गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था. आरोप है कि गैंग के सदस्यों के साथ कमलेश पाठक वसूली, अपहरण, फिरौती, रंगदारी, सरकारी जमीनों पर कब्जा करने, दिनदहाड़े फायरिंग, मारपीट, हत्या, बलवा आदि करने के आदी हैं. उनका गैंग क्षेत्र में दहशत का पर्याय है. कमलेश पाठक पर 15 मार्च 2020 को महिला अधिवक्ता मंजू चौबे और उसकी बहन सुधा चौबे की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर देने का आरोप है. हत्या जमीन पर कब्जा करने के लिए दी गई थी.

जमानत अर्जी पर कमलेश पाठक के अधिवक्ता का कहना था कि उसके विरुद्ध दर्ज सभी मुकदमे राजनीतिक विद्वेष के कारण दर्ज कराए गए. वह समाजवादी पार्टी में पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री रहा है. यह भी कहा गया कि याची के विरुद्ध जिन 37 मामलों का अपराधिक इतिहास है. उनमें से 12 मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लग चुकी है. याची महिला अधिवक्ता की हत्या के मामले में भी जमानत पर है. कुल मिलाकर इस वक्त उसके खिलाफ सिर्फ चार मामलों में ट्रायल चल रहा है.

दूसरी तरफ अभियोजन का कहना था कि याची ऐसा व्यक्ति है, जो गैंगस्टर की परिभाषा में पूरी तरीके से खरा उतरता है. वह अपने क्षेत्र में दहशत का दूसरा नाम है. महिला अधिवक्ता की हत्या के मामले में उसे मिली जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. कोर्ट का कहना था कि किसी अपराध में अपराधिक कृत्य और अपराधिक विचार दोनों तत्वों का होना आवश्यक है. याची के मामले में यह दोनों तत्व स्पष्ट दिखाई देते हैं यहां आपराधिक कृत्य भी किया गया है और आपराधिक विचार भी दिखाई देता है. याची का लंबा आपराधिक इतिहास है जिसे देखते हुए यह मामला जमानत देने योग्य नहीं है.

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