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पत्नी और साले की हत्या के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज

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Published : May 31, 2022, 7:58 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अपराध का केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य होने से जमानत पाने का आधार नहीं मिल जाता. यह भी देखा जायेगा कि साक्ष्य की कड़ियां विश्वसनीय रूप से मिल रही हैं या नहीं. कोर्ट ने कहा साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के तहत आरोपी पर स्वयं को निर्दोष साबित करने का भार है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि अपराध का केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य होने से जमानत पाने का आधार नहीं मिल जाता. यह भी देखा जायेगा कि साक्ष्य की कड़ियां विश्वसनीय रूप से मिल रही हैं या नहीं. कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त अपनी पत्नी और साले को मेला दिखाने साथ ले गया और दूसरे दिन पत्नी और साले की खेत में लाश पाई गई. देशी कट्टा भी बरामद किया गया है, जिससे गोली मारकर हत्या करने का आरोप लगाया गया है.

इस पर पहले से ही दहेज उत्पीड़न की शिकायत थी. कोर्ट ने कहा साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के तहत आरोपी पर स्वयं को निर्दोष साबित करने का भार है. परिस्थितियां श्रृंखला बना रही हैं. कोर्ट ने अपराध में संलिप्तता, आरोप की गंभीरता, संभावित सजा, गवाहों से छेड़छाड़ की आशंका को देखते हुए जमानत पर रिहा करने का आदेश देने से इंकार कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी (Justice Saurabh Shyam Shamsheri) ने बिजनौर के नूरपुर थाना क्षेत्र के धमरौला निवासी सोमपाल की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है. मृतका के भाई विक्रम सिंह ने बिजनौर कोतवाली में एफआईआर दर्ज करायी. जिसमें अपने जीजा पर पत्नी और साले की हत्या करने का आरोप लगाया. दो सह अभियुक्त शालिम और कपिल की भी संलिप्तता पाई गई.

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याची का कहना था की घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है. परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की कड़ियां नहीं मिलती. दोनों शव 700 मीटर की दूरी पर अलग-अलग खेतों में थे. देशी कट्टा बरामदगी फर्जी है. प्राथमिकी और दर्ज बयान में भिन्नता है. वह 17 अगस्त 19 से जेल में बंद हैं. कोर्ट ने इस तर्क को सही नहीं माना और कहा कि परिस्थितियां श्रृंखला बना रही हैं. साथ ले गया था तो क्या हुआ, उसी पर बताने का भार है.

आरोप लगा बयान से पलटने वाली पीड़ित पर संक्षिप्त विचारण कार्यवाही का निर्देश

वहीं एक और मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़ित के बयान से पलटने और अभियोजन पक्ष का समर्थन न करने से अभियुक्त के छूटने के बढ़ते केसों को गंभीरता से लिया है और ट्रायल कोर्ट को बयान पलटने वाले सह अभियुक्त के साथ शादी शुदा जीवन बिता रही पीड़ित के खिलाफ झूठा बयान देने का संक्षिप्त विचारण करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि दुराचार के आरोप लगने पर अगर पीड़ित को सरकार ने मुआवजा दिया हो तो उसकी वसूली की जाय.

सभी सह अभियुक्तों को पीड़ित के बयान से जमानत पर छूटने की पैरिटी, (समानता) के आधार पर याची की भी सशर्त जमानत मंजूर कर ली है और व्यक्तिगत मुचलके और दो प्रतिभूति पर रिहा करने का निर्देश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने जन्नत उर्फ उर्वेश की जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है. कोर्ट ने कहा कि अक्सर ऐसे मामले कोर्ट में आ रहे हैं, जिसमें दुराचार पीड़ित के बयान से पलटने के कारण अभियुक्त छूट रहे हैं. यह कोर्ट कार्यवाही में खलल है. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि किसी को झूठ बोल कर न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. अभियुक्त या पीड़ित किसी को भी न्यायिक कार्यवाही को प्रभावित करने की छूट नहीं दी जा सकती.

कोर्ट ने याची के मामले में भी पीड़िता पर संक्षिप्त कार्यवाही करने का निर्देश दिया है

कोर्ट ने कहा की पहचान परेड के बजाय सबूतों के आधार पर ट्रायल होना चाहिए, क्योंकि अभियोजन गवाह के पक्षद्रोही होने से अपराध के आरोपियों को बरी किया जा रहा है. इसके साथ ही कोर्ट में झूठ बोलने वाले गवाहों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.

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