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मुकदमों की पैरवी न होने पर हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से मांगा जवाब

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Published : Sep 10, 2021, 10:53 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा कि हमें यह कहते हुए दुख है कि समय दिए जाने के बावजूद केंद्र सरकार (central government) के अधिवक्ता मुकदमों में सरकार का पक्ष रखने के लिए उपस्थित नहीं हो रहे हैं.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने केंद्र सरकार (central government) पर कड़ा रुख दिया है. कोर्ट ने कहा कि हमें यह कहते हुए दुख है कि समय दिए जाने के बावजूद केंद्र सरकार के अधिवक्ता मुकदमों में सरकार का पक्ष रखने के लिए उपस्थित नहीं हो रहे हैं. कोर्ट ने इस मामले में अपर सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर 22 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति डॉक्टर के जे ठाकर और न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र की खंडपीठ ने नेहरू युवा केन्द्र की जिला संयोजिका शमीम बेगम की याचिका पर दिया है.

मामले में याची के खिलाफ गलत तरीके से एचआरए का भुगतान करा लेने के आरोप में दोषी करार देते हुए कार्रवाई की गई. इसके खिलाफ याचिका केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने खारिज कर दी, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. याची का कहना है कि सेवानिवृत्ति में मात्र दो वर्ष बचे हैं और उसके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई करते हुए उसके तीन वेतन वृद्धि (इंक्रीमेंट) स्थाई रूप से रोक दिए गए. कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. दो बार समय दिए जाने के बावजूद केंद्र सरकार ने न तो जवाब दाखिल किया और न ही कोई अधिवक्ता केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए उपस्थित हुआ. इस पर कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य में केंद्र सरकार के मुकदमों की पैरवी ठीक से नहीं हो रही है. बावजूद इसके हमने सहायक सॉलीसीटर जनरल से अनुरोध किया है कि मुकदमे में केंद्र सरकार की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ. कोर्ट को आश्वासन दिया गया कि कोई न कोई अधिवक्ता सुनवाई के दौरान उपस्थित होगा. इसके बावजूद कोई अधिवक्ता नहीं आया. याचिका की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी.

सार्वजनिक स्थलों पर अवैध धार्मिक निर्माण हटाने का मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी (Additional Chief Secretary Home Avnish Kumar Awasthi) को सड़क, गली, पार्क और सार्वजनिक संपत्ति पर मंदिर, मस्जिद, चर्च व गुरुद्वारों के अवैध निर्माण (
illegal construction) पर रोक लगाने व अतिक्रमण हटाने के मामले में 30 दिन में एक्शन प्लान पेश‌ करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने पूछा है कि सार्वजनिक स्थलों को अवैध धार्मिक निर्माण से किस तरह से बचाएंगे. कोर्ट ने रिपोर्ट के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. कहा है कि यदि हलफनामा दाखिल करने में विफल रहते हैं तो हाजिर हो कर कारण बतायें कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाय. याचिका की सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने अब्दुल कयूम की अवमानना याचिका पर दिया है. याची का कहना है कि कोर्ट ने 13 सितंबर को अंतरिम आदेश से सार्वजनिक स्थलों से अवैध धार्मिक निर्माण हटाने का निर्देश दिया है, जिसका पालन नहीं किया जा रहा है. सरकार कड़े कदम नहीं उठा रही है. और हलफनामा दाखिल कर माफी मांग रही है. अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.

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