ETV Bharat / state

इलाहाबाद HC: प्रदेश सरकार को कोर्ट ने नरोरा बांध से 3700 क्सूसेक पानी छोड़ने का दिया निर्देश

author img

By

Published : Jan 6, 2022, 11:07 PM IST

3700 क्सूसेक पानी छोड़ने का दिया निर्देश
3700 क्सूसेक पानी छोड़ने का दिया निर्देश

प्रयाग माघ मेले के दौरान गंगा में नरोरा से 3700 क्यूसेक पानी छोड़ने का हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है.कानपुर के चर्म उद्योगों का गैर शोधित पानी गंगा में गिरने पर रोक लगाई गई. काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का मलबा गंगा में डालने पर मुख्य अधिशासी अधिकारी से जवाब तलब किया गया.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने गंगा प्रदूषण मामले में प्रदेश सरकार को प्रयाग माघ मेला के दौरान नरोरा बांध से 3700 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया है. गंगा जल की शुद्धता बरकरार रखने के लिए कोर्ट ने कानपुर और आसपास के जिलों की टैनरियों का गैर शोधित गंदा पानी गंगा नदी में गिरने पर रोक लगाने को कहा है.

कोर्ट को बताया गया कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Temple Corridor) बनाने में जो मलबा घरों और मंदिरों को तोड़ने से निकला उसे गंगा नदी के भीतर डाल दिया गया है. इसके साथ ही गंगा पार नहर निर्माण कर करोड़ों रुपये की बर्बादी की गई है. ये काम किस कानून के तहत किया गया है समझ से परे हैं.

वकीलों ने कोर्ट को बताया कि एक ओर केंद्र सरकार गंगा नदी को साफ करने के लिए करोड़ों खर्च कर रही है. वहीं दूसरी ओर काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनाने में मलबा गंगा में डालकर दीवार खड़ी की गई है. जिससे ललिता घाट पर जल जमाव से संड़ांध हो रही है. हाईकोर्ट ने इस पर काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के अधिवक्ता विनीत संकल्प से कहा कि वो इस मामले में अपना स्पष्टीकरण अगली सुनवाई की तिथि 14 फरवरी 2022 तक दे.

जनहित याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पूर्णपीठ कर रही है. याची अधिवक्ता, वीसी श्रीवास्तव और सुनीता शर्मा ने प्रयागराज की एस टी पी और नालों का सर्वे कर हलफनामा दाखिल किया. उन्होंने कहा कि कई एस टी पी काम नहीं कर रही है. इसके साथ ही कहा कि कई जगह सीवर लाइन को जोड़ा नहीं गया है. एसटीपी और नालों का बायोरेमेडियल से शोधित पानी जांच के लिए भेजा गया है. जिसे ट्रीट के बाद भी उसमें पीलापन और चिपचिपाहट रहती है.

केंद्र सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी ने सेना और विभिन्न विभागों द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी. हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि एसटीपी का बिजली बिल 2019 के बाद से लगभग 66 लाख रुपया बकाया है. इसका भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है. कोर्ट ने एसटीपी के क्रियाशील होने और उसके द्वारा पानी को साफ करने की योजना और विस्तृत ब्यौरा देने को कहा है. कोर्ट ने प्रयागराज में माघ मेला को देखते हुए निर्देश दिया है कि गंगा में पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ा जाये.

इसे भी पढ़ें- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से एम्बुलेंस की स्थिति की मांगी जानकारी

न्याय मित्र अरूण कुमार गुप्ता ने वाराणसी विश्वनाथ कारीडोर, नहर निर्माण और प्रयागराज में गंगा कछार में अवैध निर्माण पर पक्ष रखा और प्रदेश सरकार व काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनाने में गंगा को प्रदूषित करने का मुद्दा उठाया. अधिवक्ता शैलेश सिंह और अरविंद नाथ अग्रवाल ने गंगा में जल बहाव और मोरी व झूंसी में एस टी पी निर्माण की मांग की.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.