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मलिन बस्तियों के बच्चों की जिंदगी में रंग भर रहा 'प्रोजेक्ट पाठशाला'

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Published : Dec 20, 2020, 5:40 PM IST

मुरादाबाद में प्रोजेक्ट पाठशाला.
मुरादाबाद में प्रोजेक्ट पाठशाला.

यूपी के मुरादबाद में 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक 53 प्रतिशत लोग ही शिक्षित हैं. यहां के लोगों की पढ़ाई आर्थिक तंगी के कारण छूट जाती है. जिसके लिए 'परिवर्तन-द चेंज' नाम की संस्था ने आगे आकर गरीब और मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाना शुरू किया है. जानें इस खास रिपोर्ट में.

मुरादाबादः अपनी औद्योगिक संपन्नता की वजह से पूरे देश और दुनिया में पीतल नगरी मुरादाबाद एक अलग स्थान रखता है. लेकिन यहां कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे सरकार और समाज रोजाना दो-दो हाथ कर रहा है. शिक्षा का पिछड़ापन मुरादाबाद की एक मूलभूत समस्याओं में से एक है. 2011 में हुई जनगणना के अनुसार मुरादाबाद में 53 प्रतिशत शैक्षिक लोग थे. यह संख्या दस वर्षों में जरूर बढ़ी होगी.

'परिवर्तन-द चेंज' ने गरीब और मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाया.

आर्थिक तंगी से छूटती है पढ़ाई
पीतल नगरी में शिक्षा का स्तर कुछ इस कदर है कि यहां आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के बच्चे या तो कम उम्र में काम करने लगते हैं. ऐसा करने से उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है. आगे चलकर आलम ऐसे हो जाते हैं कि उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ती है. इन्हीं समस्याओं से निजात दिलाने के लिए सरकार एक तरफ अपना प्रयास कर रही है। वहीं, दूसरी तरफ कुछ सामाजिक संस्थाएं हैं, जो गुणवत्तापरक और क्रिएटिव शिक्षा देने के लिए आगे आ रही हैं.

2018 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट पा8शाला
2018 में शुरू हुई 'परिवर्तन-द चेंज' नाम की संस्था शिक्षा, पर्यावरण, विमेन सेफ्टी, चाइल्ड सेफ्टी इत्यादि विषयों पर मुरादाबाद और आसपास के जिलों में काम कर रही है. 'परिवर्तन द चेंज' संस्था का मलिन और गरीब बस्तियों में रहने वाले बच्चों के लिए एक इनीशिएटिव पाठशाला (पा8शाला) नाम से चलाया जाता है. एक साल की मेहनत के बाद तकरीबन 500 बच्चों को शिक्षा की तरफ आगे बढ़ाया जा चुका है.

क्या है पाठशाला इनिशिएटिव
'परिवर्तन - द चेंज' संस्था का पाठशाला इनीशिएटिव मुरादाबाद समेत अन्य जिलों के 10 स्थानों पर चलाया जा रहा है. जहां पर कमोबेश गरीब तबके के बच्चे पढ़ते हैं. 'पाठशाला' इनिशिएटिव में समाज के कुछ ऐसे लोगों को जिम्मेदारी दी जाती है, जो बच्चों को पढ़ा सकें और उनकी शैक्षणिक क्षमता के साथ-साथ उनके दैनिक क्रिया कर्म और बौद्धिक क्षमता का विकास करते हुए बदलाव भी ला सकें.

मलिन बस्तियों के बच्चों पर ध्यान
जनपद में तीन स्थानों पर प्रत्येक पाठशाला कार्यक्रम के तहत 25 से 40 बच्चों के कक्षाएं ली जाती हैं. पढ़ाई के लिए संस्था ऐसे स्थान का चुनाव करती है, जहां मलिन बस्तियों के बच्चे आसानी से पहुंचे सके और उनके मां-बाप भी निगरानी रख सकें. इन पाठशालाओं में बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ वह तमाम चीजें करवाई जाती हैं, जो उनके सीखने-सिखाने में मददगार साबित हो सकें.

सीख रहे हैं बच्चे, आ रहा है सकारात्मक बदलाव
ईटीवी भारत से बात करते हुए दो बच्चों की मां पिंकी कहती हैं कि यहां पर हमारा बच्चा तकरीबन दो महीने से रोजाना पढ़ने के लिए आता है. इसमें हम लोग सकारात्मक बदलाव देख रहे हैं. पहले जहां उसकी पढ़ाई छूट गई थी. अब हम लोग उसे आगे पढ़ाने का मन बना रहे हैं. अगर हमारे बच्चे इस अस्थाई स्कूल में नहीं भी आते तो टीचर्स जाकर घरों से उन्हें बुलाकर लाते हैं. वह कहती हैं कि यहां पर मिल रही शिक्षा के कारण बच्चों में रहन-सहन के तरीके में भी बदलाव देखने को मिल रहा है.

बेसिक शिक्षा पर देते हैं ध्यान
यहां पढ़ाने वाली एक वालेंटियर शिक्षिका योगिता ईटीवी भारत से बताती हैं कि हम लोगों का लक्ष्य यह नहीं है कि बच्चों को स्कूलों में सिर्फ एडमिट करवाया जाए. हम लोग 6 से 14 साल के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए काम करते हैं. यह अति गरीब बच्चे हैं इसलिए सबसे पहले शिक्षा के प्रति इनके अंदर रुचि पैदा करना आवश्यक है. हम इसलिए इन्हें किताबी पढ़ाई कम करवाकर क्रिएटिव लर्निंग पर ज्यादा ध्यान देते हैं.

2016 में शुरू हुआ सफर
'परिवर्तन-द चेंज संस्था' के संस्थापक कपिल कुमार ईटीवी भारत से बात करते हुए बताते हैं कि इस संस्था के आइडिया की शुरुआत 2016 से हुई. फिर दो साल तक हमने छोटे मोटे स्तर पर काम किया. हमने एनजीओ के तहत तीन लक्ष्य निर्धारित किए, जिस पर हम लोग काम कर रहे हैं. शिक्षा, पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण.

शिक्षा के अलावा कई और काम
कपिल ने बताया कि शिक्षा के लिये चलने वाले पाठशाला प्रोजेक्ट में हम लोग मलिन बस्तियों के ड्रॉपआउट या स्कूल छोड़ देने वाले छात्रों पर ध्यान देते हैं और उन्हें शत-शत शिक्षा में जोड़ने का काम करते हैं. पर्यावरण के क्षेत्र में हम लोग काम करते हुए पेड़ पौधों को लगाना, लोगों को जागरूक करना, कूड़ा प्रबंधन पर ध्यान देना, वाटर कंजर्वेशन और रिवर कंजर्वेशन पर काम करते हैं. इसके साथ ही हम लोग पंथिनी नाम की एक योजना के जरिए महिला सशक्तिकरण, महिलाओं के खिलाफ हो रहे घरेलू अपराध के समय काउंसलिंग व अन्य महिलाओं से जुड़ी समस्याओं पर काम करते हैं.

पाठशाला प्रोजेक्ट है अहम
कपिल बताते हैं कि मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों के लिए चलाई जाने वाली हमारी पाठशाला प्रोजेक्ट का मुख्य तौर पर उद्देश्य यही है कि उन बच्चों को मुख्यधारा की पढ़ाई में लाया जा सके. जो किसी वजह से या तो ड्रॉप आउट हो गए हैं या उनको पढ़ाई छोड़नी पड़ी है.

माता पिता के सामने करवाते हैं पढ़ाई
कपिल बताते हैं हम पाठशाला प्रोजेक्ट के जरिए कोशिश करते हैं कि ऐसे बच्चों को चिन्हित किया जाए और उनके माता-पिता के बीच जाकर ही उन्हें शिक्षित करने का काम किया जाए. उनके शिक्षा के प्रोजेक्ट में हम लोग ऐसे क्रियाकलापों को शामिल करते हैं. जिससे उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में बदलाव आ सके और पढ़ाई को उनकी आदत में शामिल करवाया जा सके.

तकरीबन 500 बच्चों की बदली जिंदगी
कपिल बताते हैं, हमने अभी तक देहरादून, लखनऊ, मुरादाबाद, रामपुर, धामपुर के साथ-साथ अन्य कई जगहों पर इस तरह का काम किया है. बहुत अच्छे रिजल्ट के आ रहे हैं. हमने तकरीबन 500 बच्चों को काउंसलिंग की है और उन्हें पढ़ाने लिखाने का काम किया है. उनमें से ढाई सौ बच्चों को हमने सरकारी स्कूलों में दाखिल करवाने का काम भी किया है.

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