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क्या बौद्ध मठ गिराकर बनाई गई मेरठ की शाही मस्जिद, देखें क्या कहते हैं इतिहासकारों के साक्ष्य

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Published : Aug 14, 2023, 5:54 PM IST

अंग्रेजों की देश में हुकूमत से पहले मुस्लिम आक्रांताओं (Muslim King) ने मंदिर, मठों (Indian Temple Monastery) को ध्वस्त करने का अभियान चलाकर उनके ऊपर ही अपने धार्मिक स्थल बनाए, ऐसा इतिहास में दर्ज है. अयोध्या की बाबरी मस्जिद (Ayodhya Babri Masjid) से लेकर काशी की ज्ञानवापी (Gyanvapi Mosque) के साथ ही मथुरा में भी ऐसा हुआ. इस पर खूब चर्चाएं हैं. अब उत्तर प्रदेश का मेरठ भी इतिहासकारों के बयान और दावों के बाद से सुर्खियों में आ गया है. आइए जानते हैं क्या है पूरी कहानी

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मेरठ की शाही मस्जिद पर इतिहासकारों के दावे पर आधारित रिपोर्ट

मेरठ: इन दिनों काशी के ज्ञानवापी पर नियमित सर्वे की कार्रवाई जारी है. एएसआई के सर्वे से हर दिन नए अपडेट आ रहे हैं. वहीं मथुरा के श्रीकृष्ण जन्म भूमि को लेकर भी खूब चर्चाएं हो रही हैं. इसी बीच बीते कुछ दिनों से मेरठ में भी ऐतिहासिक शाही मस्जिद को लेकर खूब चर्चा हो रही हैं. मेरठ कॉलेज के रिटायर प्रख्यात इतिहासकार डॉ. केडी शर्मा का दावा है कि मेरठ की शाही मस्जिद को बौद्धमठ को ढहाकर बनाया गया था. मुहम्मद गजनी ने शाही मस्जिद अपने वजीर से बनवाई थी. इसको लेकर वे तमाम साक्ष्य भी अपने पास होने का दावा करते हैं.

Meerut Royal Mosque
इतिहासकार डॉ. केडी शर्मा ने बौद्ध मठ होने के साक्ष्य में दिखाए पिलर.

मुहम्मद गजनवी के शासन में बनी थी शादी मस्जिदः इतिहासकार की मानें तो इस्लामिक कैलेन्डर के मुताबिक 410 हिजरी में भारत आए मुस्लिम आक्रांता मुहम्मद गजनवी ने पुराने मेरठ के सबसे ऊंचे टीले पर बने बौद्ध मठ को ध्वस्त किया था और वहां एक मजिस्द का निर्माण कराया था. वर्तमान में इसी को शाही मस्जिद के नाम से पहचाना जाता है. वह कहते हैं कि 1875 में भयंकर भूकंप आया था, जिसमें मस्जिद का कुछ हिस्सा टूट गया था. उस वक्त वहां बड़ी संख्या में इंडो-बुद्धिस्ट और मौर्य पाषाण काल के कई पिलर पड़े देखे जा सकते थे, जो लम्बे समय तक वहां पड़े भी रहे.

Meerut Royal Mosque
मेरठ की शाही मस्जिद

दो पिलर दे रहे गवाहीः इतिहासकार डॉ. केडी शर्मा का कहना है कि उनमें से दो पिलर उनके पास सुरक्षित हैं. उनके एक खास मित्र असलम सैफी ने उन्हें दो पिलर दिए थे. जब उन्होंने उन दोनों पिलर्स को इतिहास के तथ्यों से जोड़ते हुए उन्हें परखा तो यह साफ हो हुआ कि बौद्ध मंदिर ध्वस्त किया गया था, जिसके बाद आक्रांताओं ने मस्जिद खड़ी की. इतिहासकार देवेश शर्मा भी केडी शर्मा की बात का समर्थन करते हैं. वह कहते हैं कि मेरठ में 119 साल पहले ब्रिटिश हुकुमत में पब्लिश हुए गजेटियर में भी इस घटना का जिक्र है.

Meerut Royal Mosque
इतिहासकार डॉ. केडी शर्मा द्वारा बौद्ध मठ होने के दिखाए गए साक्ष्य.

इतिहासकारों के पास गेजेटियर के साक्ष्य भीः केडी शर्मा गेजेटियर के साक्ष्य भी पुस्तक में सबूत के तौर पर पेश करते हैं. वह कहते हैं कि ऐसी और भी कई पुस्तकें हैं जिनमें बौद्ध और हिंदू मठ-मंदिरों को तोड़कर उनके ऊपर मस्जिद बनाए जाने की पुष्टि होती है. इतिहासकार देवेश शर्मा का कहना है कि मेरठ न सिर्फ हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण स्थान रहा है बल्कि जैन धर्म से जुड़े लोगों के साथ-साथ बौद्ध धर्म से ताल्लुक रखने वाले लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण स्थान रहा है. यहां तमाम ऐसे साक्ष्य हैं जो यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं कि मेरठ में मस्जिद को गैर मुस्लिम धर्म के धर्मस्थल को तोड़कर ही बनाया गया है.

Meerut Royal Mosque
मेरठ की शाही मस्जिद

बौद्ध मठ होने के ये भी हैं प्रमाणः देवेश शर्मा कहते हैं कि जहां शाही मस्जिद है, उसके आसपास तमाम ऐसे धार्मिक स्थल भी हैं, जिनसे काफी हद तक इस बात को प्रमाणित किया जा सकता है. एक बात जो सभी को समझनी चाहिए कि जहां पर जामा मस्जिद मेरठ में है, वहां आसपास में आज भी अधिकतर लोग हिन्दू हैं. इससे भी यह बात प्रमाणित होता है कि यहां पहले मस्जिद नहीं थी. फिलहाल इस पूरे मामले पर मुस्लिम स्कॉलर और शहर काजी प्रोफेसर जैनुल राशिदीन कहते हैं कि शाही मस्जिद की उम्र करीब एक हजार साल है. वह इतिहासकारों के दावों को लेकर कहते हैं कि इसके निर्माण और अवशेष से जुड़े दावे गलत हैं. यह सब निराधार हैं.

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