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मऊ: 24 साल पुराने हत्या के मामले में बड़ा फैसला, अधिवक्ता समेत दो को फांसी की सजा

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Published : Feb 11, 2020, 7:39 PM IST

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अपर जिला कोर्ट का बड़ा फैसला.

यूपी के मऊ में अपर जिला कोर्ट ने संपत्ति के विवाद में 24 साल पहले हुई हत्या के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अधिवक्ता समेत दो लोगों को फांसी की सजा सुनाई है. कोर्ट का यह फैसला लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है.

मऊ: अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट ने संपत्ति के विवाद में 24 साल पहले हुई हत्या के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. न्यायालय ने अधिवक्ता समेत दो लोगों को फांसी की सजा सुनाई है. दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है. कोर्ट का यह फैसला लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है.

अपर जिला कोर्ट का बड़ा फैसला.

जानिए पूरा मामला

शासकीय अधिवक्ता फौजदारी अजय सिंह के अनुसार मामला सराय लखंसी थाना क्षेत्र का है. रैकवारेडीह गांव में 24 साल पहले 12 मार्च 1996 को संपत्ति के विवाद में दुबरी पाण्डेय की गला काटकर हत्या कर दी गई थी. मामले में पांच लोगों को नामजद किया गया था. आरोपी इंद्रासन पांडेय और घनश्याम पांडेय की मौत हो जाने पर उनके विरुद्ध मुकदमे की कार्रवाई समाप्त कर दी गई थी. वहीं एक आरोपी नाबालिग होने के चलते उसकी पत्रावली किशोर न्याय बोर्ड भेज दी गई.

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शनिवार को इस मामले में एडीजे ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने और पत्रावली पर उपलब्ध सबूतों का अवलोकन करने के बाद आरोपी अधिवक्ता राकेश पाण्डेय और यशवंत चौबे को हत्या और सबूत मिटाने का दोषी पाया. इसके बाद दोनों को फांसी की सजा सुनाई गई है.

Intro:मऊ - मऊ के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर 1 ने बड़ा फैसला सुनाया। जमीन के विवाद में 24 साल पहले अपने दादा के धार धार हथियार से सिर काट कर हत्या करने के मामले में अधिवक्ता पोते समेत दो लोगों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है इस मामले में पांच लोगों को नामजद किया गया था। जिसमें 2 की मौत हो गई जबकि नाबालिग आरोपी के पत्रावली को अलग कर दिया था कोर्ट के आदेश के बाद दोनों को वापस जेल भेज दिया गया मामला सा लखंसी थाना क्षेत्र के रिक्वायर्ड गांव का है। 12 मार्च 1996 को हुई थी जघन्य हत्या।


Body:24 साल बाद फांसी की सजा सुनते ही पूरे कोर्ट परिसर में चर्चा का विषय बन गया। पूरे प्रकरण पर शासकीय अधिवक्ता फौजदारी अजय सिंह ने बताया कि 24 साल पहले हत्या के बाद सर काट के पूरे गांव में घुमाया गया था पूरे प्रकरण को एडीजे ने दोनों पक्षों के तर्को को सुनने और पत्रावली पर उपलब्ध सबूतों का अवलोकन करने के बाद आरोपी अधिवक्ता राकेश पांडे और यशवंत चौबे को हत्या व सबूत मिटाने का दोषी पाया आरोपी इंद्रासन पांडे व घनश्याम पांडे की मौत हो जाने के चलते उनके खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई समाप्त कर दी गई थी वहीं आरोपी मिथिलेश उर्फ दीपू पांडे के नाबालिक होने के चलते उनके पत्रावली अलग कर किशोर न्याय बोर्ड भेज दी गई इस दौरान राकेश पांडे ने हाथ में लिए हुए धारदार हथियार से दो बारी पांडे का सिर और दोनों हाथ के अंगूठे काट दिए थे इसके बाद सिर और अंगूठे पोखरी में फेंक दिए वादी की तहरीर के आधार पर पुलिस ने मामले की रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त हथियार और पोखरी से मृतक का सिर व अन्य अंग बरामद किए साथ ही विवेचना पूरी कर सभी के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र प्रेषित किया था कोर्ट ने अभियोजन की ओर से पैरवी करते हुए एडीजीसी फौजदारी अजय कुमार सिंह ने कुल 9 गवाहों को पेश कर अपना पक्ष रखा बचाव पक्ष से भी पांच गवाहों को पेश कर तर्क दिया गया कि उन्हें झूठा फंसाया गया है।


Conclusion:फांसी की सजा मऊ में अब तक पहली बार किसी कोर्ट ने आदेश किया है इस आदेश के बाद चर्चा का विषय बना हुआ है।


बाइट - अजय सिंह - शासकीय अधिवक्ता

वेद मिश्रा
मऊ
9415219385
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