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प्रोफेसर हरिदत्त शर्मा ने कहा- संस्कृत का विश्व में मान, लेकिन देश में मुश्किल दौर से गुजर रही

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Published : Mar 30, 2023, 11:09 PM IST

विश्व भारती पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर हरिदत्त शर्मा ने कहा कि संस्कृत का विश्व में लगातार मान सम्मान बढ़ रहा है, लेकिन देश में अब भी दोयम दर्जा ही मिलता है.

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प्रोफेसर हरिदत्त शर्मा ने कहा- संस्कृत देश में मुश्किल दौर से गुजर रही.

लखनऊ : इस महान देश का जो संस्कृत के लिए जो पुरस्कार महान विभूतियों को दिए गए हैं. आज उसी विश्व भारती पुरस्कार से मुझे सम्मानित किया गया. उन महान विभूतियों के योग्य किसी कारण से मुझे समझा और यह सम्मानित किया. मैं इसके लिए निश्चित रूप से इस संस्थान के प्रति अनुग्रहीत महसूस कर रहा हूं. यह बातें विश्व भारती पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर हरिदत्त शर्मा ने कहीं. उन्हें उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की ओर से वर्ष 2021 का विश्व भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान का जन्म आज से चार दशक पूर्व उत्तर प्रदेश संस्कृत अकादमी नाम से जन्म हुआ था. यह एक बहुत छोटे से दो कमरों में शुरू हुआ था, पर आज या एक बड़े संस्था के रूप में बदल चुका है. आज यह संस्था न केवल संस्कृत के विस्तार के लिए काम कर रही है, बल्कि युवाओं को प्रशासनिक सेवाओं जैसे फील्ड में भी सफलता प्राप्त करने में मौका प्रदान कर रही है. प्रोफेसर हरिदत्त शर्मा ने बताया कि मैंने विश्व के 17 से अधिक देशों का भ्रमण किया है. मैंने वहां देखा कि उन देशों में विशेष तौर से रामायण का बड़े स्तर पर अनुवाद उन देशों की भाषाओं में किया गया है. इसके अलावा भगवद गीता व मनुस्मृति का भी अनुवाद हो रहा है. आज पूरा विश्व संस्कृत को अपना रहा है, पर हमारे देश में आज भी संस्कृत को दोयम दर्जे की भाषा समझी जाती है.

इस अवसर पर प्रमुख सचिव भाषा जितेंद्र कुमार ने कहा कि अगले कुछ दिनों में संस्कृत संस्थान को खुद का भवन मिल जाएगा. यह कार्यक्रम नए परिसर में ही होना था, पर कुछ काम अधूरे रह जाने के कारण इसे जैन संस्थान में आयोजित कराना पड़ा. उन्होंने समारोह में आए सभी विद्वानों को आश्वस्त किया कि जल्द ही नए भवन में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा जिसमें मुख्यमंत्री द्वारा आप सभी विद्वानों को दोबारा बुलाया जाएगा. संस्कृत के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले विद्वान को विश्व भारती पुरस्कार उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्था के द्वारा दिया जाता है. इस पुरस्कार में विश्व भारती पुरस्कार के तहत ₹501000 का नगद राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्कृत के विद्वान को मिलता है. इसके अलावा महर्षि वाल्मीकि पुरस्कार जिसके तहत 201000 का पुरस्कार दिया जाता है. तीसरा सबसे बड़ा पुरस्कार महर्षि नारद पुरस्कार है जिसमें विजेता को ₹101000 का पुरस्कार दिया जाता है. इसके अलावा विभाग वेद पंडित पुरस्कार, नामित पुरस्कार के तहत ₹51000 संस्कृत विद्वानों को देता है. संस्कृत सम्मान समारोह में प्रमुख सचिव न्याय प्रमोद कुमार श्रीवास्तव, निदेशक संस्कृत संस्थान विनय कुमार श्रीवास्तव, कुलपति संपूर्णानंद विश्वविद्यालय हरे राम त्रिपाठी सहित कई गणमान्य व्यक्ति समारोह में उपस्थित थे.

इन्हें दिए गए पुरस्कार

विश्व भारती पुरस्कार प्रोफेसर हरिदत्त शर्मा
महर्षि वाल्मीकि पुरस्कार प्रोफेसर कामता प्रसाद त्रिपाठी "पीयूष" व डॉ. नवलता
महर्षि नारद पुरस्कार प्रोफेसर धर्म दत्त चतुर्वेदी
विशिष्ट पुरस्कार प्रोफेसर उपेंद्र कुमार त्रिपाठी, डॉ. मुरारी लाल अग्रवाल, प्रोफेसर बृजभूषण ओझा, प्रोफ़ेसर हरिप्रसाद अधिकारी, डॉक्टर विनोद राव पाठक

वेद पंडित पुरस्कार : डॉ. अमंद मिश्रा, विजय कुमार पारीक, शिवम कुमार चौबे, किरण कुमार, अंकित तिवारी, अंकित शुक्ला, रघुवर प्रसाद शुक्ला, विनय कुमार शुक्ला, ऋषभ उपाध्याय व आनंद कुमार तिवारी.

नामित पुरस्कार
कालिदास पुरस्कार- डॉ. रविंद्र कुमार गदाधर
व्यास पुरस्कार- प्रोफेसर रामकृष्ण पांडे परमहंस
वाणभट्ट पुरस्कार- डॉ. महेश चंद्र शर्मा गौतम
शंकर पुरस्कार- डॉ. श्रीरामा एएस
पाणिनि पुरस्कार- डॉ. पंकज कुमार व्यास

विशेष पुरस्कार वर्ष 2021
कालिंदी- प्रोफेसर कामता प्रसाद त्रिपाठी पीयूष
यजुर्वेद में दार्शनिक तत्व- डॉ. ममता मेहरा
सूचना अधिकार अधिनियम 2005 संस्कृत में अनुवाद- डॉ. तेजेस्कर पांडे
कालिदास साहित्य में ईश्वर तत्व- आराधना मिश्रा
मणिकणः- प्रोफेसर राम किशोर त्रिपाठी
भारतीय वाड्मय में आचार्य विद्यासागर महाराज का योगदान- प्रोफेसर अशोक कुमार जैन

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