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यूपी का माफियाराज: मोहल्ले का गुंडा कैसे बन गया 75000 का इनामी गैंगस्टर, अनिल दुजाना की क्राइम कुंडली

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Published : Apr 28, 2022, 5:42 AM IST

Updated : Apr 28, 2022, 12:27 PM IST

यूपी का माफियाराज.
यूपी का माफियाराज.

आतंक का दूसरा नाम...जिसके नाम से थर्राता था पश्चिमी उत्तर प्रदेश...AK47 जिसका खिलौना...हार किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं...जिसके ऊपर था 75,000 का इनाम. कौन था ये जुर्म की दुनिया का शहंशाह. यूपी का माफिया राज में इस बार आपको बताएंगे एक ऐसे गैंगस्टर की कहानी जो मोहल्लों की लड़ाई लड़ते लड़ते बन गया जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह, जो अपने ही गांव के उस डाकू से प्रभावित था जिसने इंदिरा गांधी को मारने की धमकी दी थी. यूपी का माफिया राज में इस बार कहानी अनिल नागर उर्फ अनिल दुजाना की.

जो दर्जनों पुलिस फोर्स के बीच बुलेट प्रूफ जैकेट पहनता है, जिसके हाथों में हथकड़ी होती है वो शख्स कोई और नहीं बल्कि अपराध की दुनिया में हाफ सेंचुरी लगा चुका गैंगेस्टर अनिल दुजाना है. उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर (नोयडा) में बादलपुर इलाके का दुजाना गांव का एक सीधे सादे लड़के अनिल नागर की असल कहानी शुरू होती है 2002 से, जब उसके उसके खिलाफ गांव के महेन्द्र राठी ने सायकिल चोरी के आरोप में एफआईआर दर्ज करायाा. उस एक FIR ने गांव के लड़के जो जुर्म के रास्ते पर ऐसा धकेला कि उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. अनिल दुजाना अपराध जगत में ऐसा नाम बन गया जिससे पुलिस भी कांपती थी. जिसके ऊपर थे 18 मर्डर समेत 62 केस और 75000 का इनाम.

यूपी का माफियाराज.

अनिल नागर उर्फ अनिल दुजाना, ऐसे ही जरायम की दुनिया का बादशाह और दिल्ली हरियाणा और यूपी पुलिस का मोस्ट वांटेड अपराधी नही बना था. महज एक चोरी के मुकदमे से 18 मर्डर समेत रंगदारी, लूटपाट, जमीन पर कब्जा, कब्जा छुड़वाना और आर्म्स एक्ट समेत 60 से भी अधिक मुकदमों का कुख्यात गैंगस्टर बना अनिल दुजना का इतिहास जानना हो तो सबसे पहले दुजाना गांव के बारे में जानना होगा. उस गांव के बारे में जानना होगा जिस गांव की मिट्टी में एक मासूम सा अनिल नागर गैंगस्टर अनिल दुजना बना था.

इंदिरा गांधी को मारने की धमकी देने वाले सुंदर डाकू से प्रभावित

यूपी के गौतमबुद्ध नगर यानि नोयडा में बादलपुर थाना क्षेत्र है और इसी इलाके के दुजाना गांव में एक कुख्यात अपराधी सुंदर नागर उर्फ़ सुंदर डाकू हुआ करता था. 70 के दशक में सुंदर का दिल्ली तक खौफ था. कहा जाता है सुंदर डाकू ने अपने सनकी मिजाज के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी हत्या की धमकी दी थी. हालांकि कई बार गिरफ्तार होने के बाद अंत में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में सुन्दर दुजाना को मार गिराया गया था. सुंदर डाकू की मौत के बाद सालों इस गांव की आबोहवा शांत रही. लेकिन तब तक अनिल नागर का जन्म हो चुका था. अनिल नागर की जैसे जैसे उम्र बढ़ रही थी, वैसे-वैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मिट्टी रक्तरंजित हो रही थी. आपसी रंजिस के चलते सायकिल चोरी के आरोप में अनिल जेल गया तो जेल के अंदर ही उसने अपना नाम के आगे से नागर को हटा दिया. अब उसे जरायम की दुनिया का सबसे बड़ा गैंगेस्टर बनना था, इसलिए उसने सुंदर दुजाना की ही तरह अपने गांव का नाम सरनेम में जोड़ लिया. जेल से निकलने के बाद अनिल दुजाना के पास कोई भी मदद के लिए आता और किसी भी व्यक्ति से अपनी जान का खतरा बताता तो दुजाना उसकी हत्या कर देता था. एनसीआर समेत पश्चिमी यूपी में जमीन पर कब्जा करना, कब्जा छुड़वाना, लूट करना और रंगदारी मांगना, अब हर तरह के अपराध में अनिल दूजाना माहिर हो चुका था. अनिल की उम्र के बढ़ने के साथ-साथ पश्चिमी यूपी में गैंगवार भी उफान पर था. गैंगवॉर की शुरुआत महेंद्र फौजी और सतबीर गुर्जर की आपसी अदावत से हुई थी. इसी बीच सतबीर गैंग के ही दो जिगरी दोस्तों के बीच जंग छिड़ गयी. कभी एक दूसरे पर जान छिड़कने वाले नरेश भाटी और सुंदर भाटी एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए.
कहा जाता है कि साल 2002 में आपसी रंजिश के चलते लगाए गए साइकिल चोरी के इल्जाम में जब अनिल नागर जेल गया तो उसने अपना भविष्य जरायम की दुनिया में लिखना तय कर लिया. अनिल पैसे लेकर जमीन में कब्जा दिलाने और लूट की घटनाओं को अंजाम देने लगा. लेकिन इस दौरान अनिल की दबंग छवि ने पश्चिमी यूपी के एक और गैंगेस्टर नरेश राठी के संपर्क मे ला दिया और उसके एक काम ने उसे बना दिया पश्चिमी यूपी में अपराध की दुनिया का आका.

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गैंगस्टर सुंदर भाटी की हत्या के लिए दूजाना ने चलाई थी AK47
अनिल दुजना कैसे गैंगेस्टर नरेश भाटी के गैंग का भरोसेमंद शार्पशूटर बन गया इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है. दरअसल, साल 2004 में जिस नरेश भाटी को माफिया सुंदर भाटिया ने भारी सुरक्षा के बावजूद मौत के घाट उतार दिया था, उसी नरेश के छोटे भाई रणदीप ने सुंदर भाटी की हत्या करने की कसम खा ली थी. रणदीप की कसम पूरी करने को अमलीजामा पहनाने के लिए आगे आया उसका मामा अमित कसाना. उस वक़्त अनिल दुजाना अमित कसाना का जिगरी यार हुआ करता था. इसी लिए अमित ने अनिल दुजना को भी आने साथ ले लिया. नवंबर 2011 में सुंदर भाटी को मारने के लिए तीनों ने गाजियाबाद के साहिबाबाद में होने वाली सुंदर भाटी के साले की शादी चुनी. मकसद था रणदीप का बदला चुकाना और लोगों के सामने हत्या कर अपनी दहशत कायम करना. रणदीप, कसाना और दुजाना ने 18 अक्टूबर 2011 को गैंगस्टर सुंदर भाटी पर एके-47 से ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई, लेकिन भाटी बच निकला, हालांकि इस घटना में तीन लोग मारे गए.

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जेल से ऑपरेट कर रहा था गैंग
इस तिहरे हत्याकांड के बाद पुलिस ने अनिल दुजाना को गिरफ्तार कर लिया हालांकि उसकी गिरफ्तारी सुंदर भाटी की हत्या के मामले में नहीं बल्कि एक प्रधान की हत्या के मामले में हुई थी. दरअसल, 22 नवंबर 2011 को खेड़ीगांव के प्रधान जयचंद को गोलियों से भून दिया गया. इस हत्याकांड में अनिल दुजाना नामजद आरोपी था. लेकिन जिस मकसद से अनिल दुजाना ने सुंदर भाटी पर AK 47 से गोलियों की बौछार की थी वो अब तक पूरा नहीं हुआ था. जरायम की दुनिया में छा जाने का सपना अब वो जेल से पूरा करने लगा और वहीं से गैंग को ऑपरेट करना शुरू किया. अनिल दुजाना जेल से अपना गैंग ऑपरेट कर रहा था. जेल के बाहर सुंदर भाटी और दुजाना गैंग के बीच गैंगवार चल रही थी और इसी बीच साल 2014 में अनिल के छोटे भाई जय भगवान केे सीने में 10 गोलियां दाग कर हत्या कर दी गयी. आरोप लगा कि सुंदर भाटी के गैंग ने जय भगवान की हत्या की है. इसके बाद पश्चिमी यूपी गोलियों से थर्रा उठा. भाटी दुजाना गैंग के बीच गैंगवार बढ़ गया. अब सुंदर भाटी और अनिल दूजाना किसी भी कीमत पर एक दूसरे को मारना चाहते थे. इसी लिए अनिल दूजाना ने पूर्वांचल के गैंगेस्टर मुन्ना बजरंगी को जेल में बंद सुंदर भाटी की हत्या करने के लिए एक करोड़ की सुपारी दे डाली.दिल्ली में पेशी के दौरान सुंदर को मारने की योजना बनी लेकिन बजरंगी के गुर्गे उसे मार नहीं सके, लेकिन दूजाना के गैंग ने सुंदर के सबसे खास राहुल की हत्या कर दी.

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दुजाना के खिलाफ बुलेटप्रूफ जैकट पहन लड़ा चुनाव
जरायम की दुनिया में एक अलग मुकाम पाने की चाहत के साथ ही अनिल दूजाना ने राजनीति में भी अपनी किस्मत आजमानी चाही. साल 2016 के पंचायत चुनाव में जेल के अंदर से ही चुनाव लड़ाा. बुलेटप्रूफ जैकेट पहन प्रचार कर रहे विरोधी प्रत्याशी संग्राम को 10 हजार वोटों से मात दे दी. बताया जाता था कि प्रचार के दौरान अनिल के विरोधी प्रत्याशी संग्राम के साथ 30 पुलिसकर्मियों की भारी भरकम फौज चलती थी.
दरअसल, दुजाना गांव की चोरी की घटना से 18 हत्याओं को अंजाम देने वाले अनिल दूजाना ने अपने खौफ से पश्चिमी यूपी में सिक्का जमा लिया था. आम से लेकर खास तक के दिल में दुजाना नाम की दहशत घर कर चुकी थी. जेल में बंद रहने के बाद भी दूजाना की तूती बोलती थी. ऐसे में उसने राजनीति में कदम रखने का फैसला किया. दुजाना ने जेल से पर्चा भरा उसके खिलाफ भी कई महारथी चुनाव की मंशा पाले हुए थे लेकिन दुजना गैंग की दहशत से पीछे हट गए. इन्ही के बीच के संग्राम सिंह ने अचानक अनिल दूजाना के खिलाफ पर्चा दाखिल कर दिया. जेल के अंदर रहने के बाद भी अनिल दूजाना की दहशत इस कदर थी कि संग्राम बुलेटप्रूफ़ जैकेट पहन 30 पीएसी जवानों के साथ चुनाव प्रचार में निकलता था. हालांकि परिणाम दूजाना के पक्ष में आये और वो 10 हजार वोटों से जीत गया.

पेशी के दौरान की थी सगाई
अनिल दूजाना से जुड़ी अपराध की कहानियां जितनी रोचक है उतनी ही उसकी सगाई और शादी के किस्से भी. बागपत की रहने वाली पूजा से साल 2019 में अनिल दुजना ने पेशी के दौरान कोर्ट में ही अंगूठी पहना कर सगाई कर ली थी. यही नही साल 2021 में जैसे ही दुजाना जेल से जमानत पर रिहा हुआ उसने शादी भी कर ली. कहा जाता है कि जिस पूजा से अनिल दुजाना ने शादी की थी उसके पिता लीलू का बागपत के ही राजकुमार से 40 बीघा ज़मीन को लेकर सालों से विवाद चल रहा था. राजकुमार ने अपनी दो बेटियों की शादी कुख्यात अपराधी हरेंद्र खड़खड़ी और उसके भाई से कर दी थी. जिसके बाद राजकुमार के मुकाबले पलड़ा कमजोर न हो जाए, इसलिए पूजा के पिता ने अपनी बेटी के लिए हरेंद्र से भी बड़े अपराधी अनिल दुजाना से उसकी शादी फिक्स कर दी. अब अनिल दूजाना जेल में बंद था, तो शादी कैसे हो इसे लेकर चर्चा गर्म होने लगी. अनिल दूजाना ने 16 फरवरी 2019 की तारीख सगाई के लिए मुक़र्रर की. इस दिन दुजाना कोर्ट में पेशी के लिए महराजगंज जेल से गौतमबुद्ध नगर जिला जेल पहुंचा. पेशी के दौरान बागपत की पूजा भी दुल्हन की तरह तैयार होकर कोर्ट पहुंची. दोनो ने एक दूसरे को अंगूठी पहनाई और सगाई कर ली. वहीं दो साल बाद 2021 को जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद उसने पूजा से शादी कर ली.
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दिल्ली में दबोचा गया दुजाना
2012 से जेल मे बंद अनिल दूजाना 9 साल बाद साल 2021 में जेल से बाहर तो आ गया, लेकिन बाहर खतरा बड़ा था. एक ओर पुराने दुश्मन दूसरी ओर गैंगस्टर्स के खिलाफ योगी सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस नीति. एक के बाद एक अपराधी एन्काउंटर में मारे जा रहे थे. अनिल दुजाना के ऊपर नोयडा पुलिस ने 50,000 और बुलंदशहर पुलिस ने 25,000 का इनाम घोषित कर रखा था.
साल 2021 में दूजाना जमानत पर जेल से बाहर आ गया लेकिन पुराने मामलों को लेकर कोर्ट ने उसके खिलाफ NBW जारी कर दिया. यही नहीं उसके ऊपर यूपी पुलिस ने 75 हजार का इनाम घोषित कर रखा था. अनिल दूजाना जेल से बाहर यह सोच कर आया था कि वो एक बार फिर यूपी में अपनी दहशत कायम कर सकेगा लेकिन इस दौरान सूबे में जरायम की दुनिया के एक से एक बादशाह एनकाउंटर में मारे जा रहे थे. एक ओर दुजना को जान का डर था दूसरी ओर उसे अपने खासमखास राहुल सिंह नागर की हत्या का बदला भी लेना था जिसकी हत्या सुंदर भाटी के गुर्गों ने दिल्ली के एक बिजनेसमैन की मदद से की थी. अनिल दूजाना उसी बिजनेसमैन की हत्या करने दिल्ली के मंडावली पहुचा था. 7 जनवरी 2022 को दिल्ली की क्राइम ब्रांच ने अनिल दुजाना को उसके 2 साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया. हालांकि कुछ लोग ये भी कहते है कि दूजाना ने एनकाउंटर के डर से साठगांठ कर दिल्ली में खुद की गिरफ्तारी करवाई थी.

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Last Updated :Apr 28, 2022, 12:27 PM IST
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