यूपी का माफियाराज: गर्लफ्रेंड, महंगी गाड़ियों के शौकीन 'सुपारी किलर' की खूनी दास्तां

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Published : Apr 12, 2022, 6:01 AM IST

Updated : Apr 12, 2022, 6:34 AM IST

यूपी का माफियाराज

जहां लेता हत्या की सुपारी वहां बना लेता गर्लफ्रैंड...पुलिस की गिरफ्त से फरार होने में माहिर...ब्रांडेड कपड़े और महंगी गाड़ियां जिसका शौक...सुर्खियां में रहना, शेरो शायरी करना उसकी पसंद.आज यूपी का माफिया राज में बात 35 साल के उस गैंगस्टर की जिसने अपराध की दुनिया में कदम तो रखा चोरी से लेकिन कुछ ही वक्त में बन गया 10 लाख का इनामी हत्यारा. कौन था वो कुख्यात सुपारी किलर

लंबा कद...चेहरे पर मासूमियत, रंग गोरा और आंखों में अजीब सा सूनापन...देखने में किसी बॉलीवुड स्टार से कम नहीं, लेकिन शौक बैंक रॉबरी, टोल रॉबरी, लक्ज़री कारों की चोरी, सुपारी किलिंग और ढेर सारी गर्लफ्रेंड्स रखना. आखिर कौन है सीधा सादा सा दिखने वाला ये नौजवान जो बन गया जरायम की दुनिया का खूंखार चेहरा बताएंगे आपको उससे पहले अगर आप जानना चाहते हैं शार्प शूटर माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की अनसुनी कहानी या जानना चाहते हैं मोहब्बत में नाकाम भोला जाट कैसे बना जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह तो ईटीवी भारत पर पढ़िए यूपी का माफिया राज सीरीज़ के दोनों लेख.

उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर के सरनावली गांव में यशपाल मलिक के घर बेटा पैदा होने पर पूरा परिवार फूला नहीं समा रहा था. बेटे का नाम अमित मलिक रखा गया. मां बाप ने परवरिश में कोई कमी नहीं रखी लेकिन संगत अमित को गलत रास्ते पर ले गई और वो अमित मलिक से बन गया भूरा. अमित मलिक के बेहद गोरे रंग की वजह से उसे भूरा नाम दिया गया.

यूपी का माफियाराज

भूरा का पहला 'क्राइम'

16 साल की उम्र में ही उसने एक मोबाइल शॉप वाले की बाइक चोरी कर ली, लेकिन पकड़ा गया. 2002 में जेल से बाहर आने के बाद वो पहले से ज़्यादा उग्र हो गया था. उसे साथ मिला मुज़फ्फरनगर के कुख्यात बदमाश भाई नीटू कैल और बिट्टू कैल का जिनके साथ मिलकर उसने उस मेडिकल स्टोर मालिक विनीत की हत्या कर दी जिसकी गवाही पर उसे जेल हुई थी.

अपराध की दुनिया में रोज़ नई सीढ़िया चढ़ता जा रहा भूरा पश्चिमी यूपी के खतरनाक माफिया सुनील राठी के संपर्क में आया तो उसके अंदर का शैतान और भी मुखर हो गया. राठी के कहने पर साल 2002 में अमित भूरा ने बदमाश उदय वीर काला की हत्या कर दी. साल 2004 में बागपत के बड़े अपराधी धर्मेंद्र किरठल पर उसी के गांव में दिनदहाड़े हमला कर दिया. हमले में धर्मेंद्र किरठल तो बच गया लेकिन उसके पिता, चाचा समेत 3 लोगों की मौत हो गयी. इस वारदात ने यूपी पुलिस को हिला कर रख दिया. उस समय के तेज़तर्रार आईपीएस नवनीत सिकेरा को हत्या में शामिल गिरोह के सफाए का ज़िम्मा सौंपा गया. नवनीत सिकेरा ने पुष्पेंद्र, अनिल, राजीव सहित तमाम सदस्यों का सफाया कर दिया लेकिन अमित भूरा बच निकला.

पैसों की भूख, महंगी कार और लड़कियों का शौक

शातिर अमित भूरा के अपराध का ग्राफ जिस तेज़ी से बढ़ रहा था उसी तेज़ी से उसके शौक बढ़ रहे थे. पैसों की भूख और ब्रांडेड कपड़े, महंगी कारों के साथ साथ नई नई गर्लफ्रेंड बनाना भी भूरा के शौक में शामिल था. अपनी अय्याशियों को पूरा करने के लिए उसने हाईवे पर लूटपाट भी शुरू कर दी. हाइवे पर जो गाड़ी उसे जच जाती वो उसे लूट लेता था. पुलिस के रिकॉर्ड में कहा गया है कि अमित भूरा महंगी गाड़ियां लूटा करता था. हाइवे पर गुज़रने वाली महंगी कारें उसके निशाने पर होती थी. इसके लिए वो पुरानी कार लेकर नेशनल हाइवे पर घात लगाए बैठा रहता था. जैसे ही उसे कोई लक्ज़री कार दिखती तो सबसे पहले अपनी पुरानी कार से उस कार में टक्कर मारता, टक्कर लगते ही कार मालिक नीचे उतरता तो उसे पिस्टल दिखाकर भूरा उसकी कार छीन लेता था. खासबात ये थी कि भूरा हाईवे पर कार अकेले लूटा करता था. कहा तो ये भी जाता है कि भूरा जिन लक्ज़री कार को लूटता था उसी कार से अपनी गर्लफ्रैंड को घुमाया करता था. लड़कियों को भी पता था कि जिस कार में वो घूम रहीं हैं, वो लूटी गई है. पुलिस को भूरा के मोबाइल की जांच में छह ऐसी लड़कियों के नंबर पता चले जो भूरा की गर्लफ्रेंड थीं. अपने व्हॉट्सएप डीपी में इन सभी लड़कियों ने भूरा की फोटो लगा रखी थी. पुलिस की गहन छानबीन में सामने आया कि सभी छह लड़कियां भूरा का काम-धंधा जानने के बाद भी उससे जुड़ी हुई थीं. ये सभी लड़कियां मेरठ, नोएडा, देहरादून और दिल्ली की बताई गईं.

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पैसों के लिए टोल प्लाज़ा को बनाया निशाना

भूरा लड़कियों पर पानी की तरह पैसे बहा रहा था. ऐसे में अब उसके पैसे खत्म होने लगे थे. पैसों की कमी पूरा करने के लिए उसने एक टोल प्लाज़ा लूटने का प्लान बनाया. 2 दिसंबर, 2009 को भूरा ने अपने साथियों के साथ हाइवे पर टोल वसूलने वाली कंपनी बीके एसएस के जोनल ऑफिस में धावा बोला और 19 लाख रुपये लूट लिए.

पुलिस के लिए सिरदर्द बना भूरा

टोल प्लाज़ा की लूट कर भूरा ने पुलिस को सीधी चुनौती दे दी थी. पुलिस को किसी भी कीमत पर भूरा चाहिए था. पुलिस ने भूरा गैंग के ही एक सदस्य को इनफॉर्मर बना लिया. मुखबिर से सूचना मिली की भूरा दिल्ली के कड़कड़डूमा में एक टोल लूटने वाला है. 2 फरवरी, 2010 को जैसे ही भूरा टोल लूटने कड़कड़डूमा पहुंचा उसे दिल्ली पुलिस ने धर दबोचा. पुलिस के लिए ये बड़ी कामयाबी थी लेकिन उनकी ये खुशी ज़्यादा दिन न रह सकी. 2011 को भूरा को दिल्ली के रोहणी जिला न्यायालय में पेशी के लिए लाया गया. भूरा के साथ कॉन्स्टेबल और दो अन्य पुलिस जवान मौजूद थे. रोहिणी कोर्ट के बाद भूरा को लेकर गाजियाबाद कोर्ट भी जाना था. भूरा के पास थोड़ा समय था. पुलिसवालों को रिश्वत देकर भूरा ने कॉन्स्टेबल को अपनी गर्लफ्रैंड से मिलवाने के लिए राज़ी कर लिया. कॉन्स्टेबल भूरा को लेकर दिल्ली के एक फ्लैट ले गया जहां से उसी सिपाही ने भूरा को भगा दिया.

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फरार होने के बाद भूरा का बढ़ा आतंक

पुलिस की गिरफ्त से फरार हो कर अमित भूरा अब और आतंक मचाने में आमादा हो गया था. अमित ने देहरादून के एक शॉपिंग मॉल में लूट की घटना को अंजाम दिया. 14 जून, 2018 को फरीदाबाद के पास हाइवे पर एलईडी टीवी से भरे ट्रक को लूट लिया. अमित भूरा के खिलाफ अब तक दिल्ली के मधु बिहार, मालवीय नगर, जनकपुरी, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, कीर्ति नगर थानों के अलावा गाज़ियाबाद के इंदिरापुरम, मुजफ्फरनगर शहर कोतवाली, शामली, फगुणा, बागपत, पंजाब के गुरदासपुर और देहरादून थाने पर 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हो चुके थे. इनमें बरेली में शुगर मिल की 15 लाख की रकम लूटने का केस भी दर्ज है.

गिरफ्तारी के बाद फिर दिया पुलिस को चकमा

जून, 2011 में दिल्ली की स्पेशल सेल ने भूरा को एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया. भूरा की गिरफ्तारी के साथ ही 4 राज्यों की पुलिस ने राहत की सांस ली, लेकिन 3 साल बाद 15 दिसंबर, 2014 को देहरादून पुलिस लाइन से हेड कांस्टेबल गंगाराम, कांस्टेबल प्रदीप कुमार, इलम चंद्र, धर्मेंद्र और रविंद्र सैलाना ग्राम प्रधान की हत्या के आरोप में कोर्ट में पेशी के लिए अमित भूरा को लेकर आ रहे थे. पुलिस उसे टैम्पो में लेकर बैठी थी. इसकी जानकारी भूरा के साथियों को हो चुकी थी. बागपत से निकलते ही बदमाशों ने टैम्पों को घेरकर फायरिंग शुरू कर दी और अमित को पुलिस की गिरफ्त से छुड़ा लिया. हमले से घबराकर सिपाहियों ने अपने हथियार भी फेंक दिए और भाग खड़े हुए. अमित और उसके साथी जाते-जाते दो एके-47 और एक एसएलआर भी उठा कर ले गए.

कैसे खत्म हुआ भूरा का खेल?

मोस्ट वॉन्टेड अमित भूरा देहरादून में पुलिस कस्टडी से फरार हुआ तो यूपी, हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड में हड़कंप मच गया. उत्तराखंड में कई अफसरों पर गाज भी गिरी. फरारी के चंद घंटे बाद ही अमित भूरा पर 50 हजार का इनाम घोषित कर दिया. भूरा दिनोंदिन कितना खूंखार हो चुका था ये इस बात से साबित होता है कि यूपी और उत्तराखंड ने मिलकर उसे ज़िन्दा या मुर्दा पकड़ने वाले को 10 लाख का इनाम देने की घोषणा कर दी थी. अमित भूरा को पकड़ने के लिए नोएडा में स्पेशल कंट्रोल रूम बना दिया गया. इस कंट्रोल रूम में दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड के तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया जो भूरा को पकड़ने के लिए जाल बुना करते. तीनों राज्यों की पुलिस की हर घेराबंदी को तोड़ते हुए अमित अपने साथी सचिन खोखर के साथ पंजाब जा पहुंचा. तीनों राज्यों की पुलिस की आंख उस समय खुली की खुली रह गयी, जब 4 अप्रैल, 2015 को पंजाब से खबर आई कि 10 लाख के इनामी भूरा को उसके साथी के साथ पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

पटियाला जेल में कैद भूरा फेसबुक पर एक्टिव

फिलहाल अमित भूरा पटियाला की जेल में सलाखें गिन रहा है. अमित मलिक भूरा नाम से फेसबुक पर अकाउंट है जिस पर अक्सर नई पोस्ट आती रहती हैं. कहा तो जाता है कि भूरा बाकायदा जेल के अंदर से खुद फेसबुक चलाता है. फ़ोटो पोस्ट करता है, शायरी लिखता है और जेल के बाहर योगी राज में जिन अपराधियों का एनकाउंटर होता है उनकी फ़ोटो पर मिस यू भाई भी लिखता है. 30 साल की उम्र में पटियाला जेल में कैद हुआ भूरा अब 37 साल का हो चुका है, लेकिन हरकतें बताती हैं कि उसके तेवर आज भी ढीले नहीं पड़े हैं.

Last Updated :Apr 12, 2022, 6:34 AM IST
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