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यूपी निकाय चुनाव में उसी को मिलेगा वोट जो करेगा आवारा पशुओं की समस्या पर चोट

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Published : Apr 25, 2023, 10:43 PM IST

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उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में आवारा पशुओं की एंट्री हो गई है. ग्रामीण के साथ शहरी लोग भी आवारा पशुओं के उत्पात से परेशान हैं. राज्य सरकार के तमाम दावों के बावजूद इस समस्या का समाधान नहीं हो सका है. ऐसे में लोग निकाय चुनाव के दावेदारों की नीयत भांप कर ही वोट करने के मूड में हैं.

यूपी निकाय चुनाव में उसी को मिलेगा वोट जो करेगा आवारा पशुओं की समस्या पर चोट

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव के लिए प्रत्याशी मैदान में हैं. हर प्रत्याशी स्थानीय मुद्दों को लेकर जनता के बीच है और जनता अपने सवालों और समस्याओं को लेकर प्रत्याशियों का इंतजार कर रही है. लोकसभा और विधानसभा चुनावों की ही तरह इन निकाय चुनाव में छुट्टा जानवर का भी मुद्दा हावी हो रहा है. गांव से लेकर शहर की गलियों में छुट्टा जानवर आतंक मचाया हुए हैं. ऐसे में नगर निगमों, नगर पंचायतों और पालिकाओं में आम जनता इस बार छुट्टा जानवरों से निजात दिलाने वालों को वोट देने के बात कह रही है.

यूपी निकाय चुनाव में उसी को मिलेगा वोट जो करेगा आवारा पशुओं की समस्या पर चोट
यूपी निकाय चुनाव में उसी को मिलेगा वोट जो करेगा आवारा पशुओं की समस्या पर चोट


नगर निकाय चुनाव के लिए 17 महापौर, 1420 पार्षद, नगर पालिका परिषदों के 199 अध्यक्ष, नगर पालिका परिषदों के 5327 सदस्य, नगर पंचायतों के 544 अध्यक्ष और नगर पंचायतों के 7178 सदस्यों के निर्वाचन के 4 व 11 मई को मतदान होगा. ऐसे में सभी राजनीतिक दल और निर्दलीय प्रत्याशी आम जनता के बीच मुद्दों को लेकर वोट मांग रहे हैं. इन मुद्दों के बीच इन प्रत्याशियों के सामने सबसे अधिक छुट्टा जानवर की समस्या से निजात दिलाने को लेकर जनता सवाल पूछ रही है. वो निर्वर्तमान पार्षदों, मेयर, सभासदों और नगर पंचायत अध्यक्षों से अब तक इस समस्या को हल न करने का कारण और नए प्रत्याशियों से समस्या को हल करने के उपाय के बारे में पूछ रहे हैं.

यूपी निकाय चुनाव में उसी को मिलेगा वोट जो करेगा आवारा पशुओं की समस्या पर चोट
यूपी निकाय चुनाव में उसी को मिलेगा वोट जो करेगा आवारा पशुओं की समस्या पर चोट
शहरवासी भी अब आवारा पशुओं से परेशान राजधानी के शहरी इलाके जैसे गोमतीनगर, इन्दिरानगर, मड़ियांव, डालीगंज समेत पूरे शहर में आवारा पशुओं को भरमार है. ऐसे में शहर की सरकार चुनने में इस बार शहरवासी भी आवारा पशुओं की समस्या को ध्यान में रख रहे हैं. फैजुल्लागंज वार्ड 4 के रहने वाले धीरेंद्र प्रताप सिंह कहते है कि गलियों में सांड लड़ते हैं. आने जाने वालों को अक्सर इनसे जूझना पड़ रहा है. मौजूदा पार्षद से शिकायत करने पर जवाब मिलता है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर सभी जानवरों को गौशाला भेज दिया गया है, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है. ऐसे में इस बार वोट आवारा पशुओं को निजात दिलाने का वादा करने वाले को दिया जाएगा. फैजुल्लागंज वार्ड 2 के रहने वाले नितिन अवस्थी कहते हैं कि हमारे वार्ड की प्राथिमकता ही आवारा पशुओं से निजात दिलाने की है. जो भी प्रत्याशी इस समस्या को दूर करने का भरोसा दिलाएगा हम उस पर विचार करेंगे. नितिन कहते हैं कि कब तक नेताओं के झूठे वादों के चलते हमारे लोग इन आवारा पशुओं को वजह से चोटिल होते रहेंगे. नगर पंचायतों में आवारा पशु हॉट मुद्दानगर पंचायतों में भी आवारा पशुओं का मुद्दा गर्म है. हर मतदाता प्रत्याशियों से इस समस्या के विषय में पूछ रहा है. इसके पीछे कारण यह है कि जब भी शहर में आवारा पशुओं के खिलाफ अभियान चलता है, तो ये पशु उठा कर ग्रामीण इलाकों में छोड़ दिए जाते हैं और यहां के जनप्रतिनिधि सिर्फ दिखावे के लिए पशुओं को गौशाला में डालते हैं. जिसके चलते कभी सड़क दुर्घटना, कभी बच्चों पर हमले का डर तो कभी फसलों की बर्बादी हो रही है. इसको लेकर क्षेत्र के मतदाता नाराज हैं. मलिहाबाद नगर पंचायत के युवा मतदाता मुहम्मद कलीम कहते हैं कि हर बार चुनाव में जन प्रतिनिधि आवारा पशुओं से निजात दिलाने का वादा करते हैं और फिर जितने के बाद भूल जाते हैं. ऐसे में इस बार गांव से नगर पंचायत बने मलिहाबाद का प्रमुख मुद्दा आवारा पशु हैं. सड़कों पर घूम रहे गौवंशदरअसल, आवारा पशु चुनाव के लिए कितना बड़ा मुद्दा बन सकता है, यह सरकार ने पहले ही भांप लिया था. इसी के चलते चुनावों के ऐलान से कुछ दिन पहले ही सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों की बैठक आवारा पशुओं को गौशाला में भेजने के लिए डेडलाइन दी थी. बावजूद इसके अब भी सड़कों पर आवारा पशुओं को भरमार है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 6700 से ज्यादा गोवंश संरक्षण स्थल चलाए जा रहे हैं. जिनमें लगभग 11.30 लाख पशुओं को रखा गया है. हाल ही में मुख्य सचिव द्वारा सीएम को प्रेषित की गई रिपोर्ट बताती है कि गोवंश आश्रय स्थलों पर कुपोषण के साथ-साथ चारा, पानी, दवा आदि का उचित प्रबंध नहीं है. जिन जिलों में खामियां पाई गई हैं, उनमें लखनऊ, देवरिया, कन्नौज, हाथरस, हमीरपुर, सोनभद्र और बागपत के गौ संरक्षण स्थल शामिल हैं.

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