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राज ही रह गया कृष्णानंद राय की हत्या, सभी आरोपी बरी

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Published : Jul 4, 2019, 11:41 AM IST

गाजीपुर के मोहम्मदाबाद क्षेत्र में साल 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी गई. लंबे राजनीतिक और कानूनी संघर्षों के बाद भी गवाहों के मुकरने से आरोपी बरी हो गए. इसके साथ यह मामला अब राज ही बन कर रह गया. इस मामले ने 14 सालों में कई अहम मोड़ लिए.

2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी.

गाजीपुर: बीजेपी के लोकप्रिय नेता और विधायक कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों की 2005 में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. इस हाईप्रोफाइल मर्डर केस में एके 47 जैसी अत्याधुनिक ऑटोमेटिक रायफल उपयोग करने का बात सामने आई थी. मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी. इस हत्याकांड में बसपा विधायक मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी समेत पांच लोग आरोपी थे.


14 साल की चले इस केस में दिल्ली कोर्ट ने आखिरकार अपना फैसला सुनाया. साक्ष्य के अभाव में सभी पांचों आरोपी को बरी कर दिया गया. बता दें कि हत्याकांड का प्रमुख आरोपी कहा जाने वाला खूंखार अपराधी मुन्ना बजरंगी की बीते दिनों यूपी के बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई.


कौन थे कृष्णानंद राय
तीन भाइयों में सबसे छोटे कृष्णानंद राय का जन्म 1955 में गाजीपुर के एक किसान परिवार में हुआ था. गांव में प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद 13 साल की उम्र में बनारस पढ़ने आ गए. बीएचयू में पढ़ाई करने के बाद कृष्णानंद ने ठेकेदारी करने शुरू कर दी. मनोज सिन्हा से नजदीकियों कारण भाजपा से जुड़े और विधानसभा चुनाव लड़ा और 2002 में विधायक बने.


पूरा घटनाक्रम

  • 29 नवंबर 2005 को मोहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय की छह अन्य लोगों के साथ हत्या कर दी गई.
  • 21 फरवरी 2006 को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अजाज-उल-हक, अफजाल अंसारी, प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी, अता-उर-रहमान और फिरदौस के खिलाफ पहला आरोप पत्र दायर किया.
  • 15 मार्च 2006 को उप्र पुलिस द्वारा मुख्तार अंसारी के खिलाफ दूसरा आरोप-पत्र दायर किया गया.
  • मई 2006 को कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश दिए.
  • मई 2006 को अलका राय ने उच्चतम न्यायालय में अपनी सुरक्षा को लेकर आशंका जताते हुए मामले का स्थानांतरण करने का अनुरोध किया.
  • 2013 में उच्चतम न्यायालय ने मामले के मुकदमे की सुनवाई गाजीपुर जिला अदालत से दिल्ली के सत्र न्यायालय में स्थानांतरित की.
  • 15 मार्च 2014 को मामले में प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी के खिलाफ छठा आरोप-पत्र दायर किया गया.
  • 03 जुलाई 2019 को गवाहों के मुकरने पर अदालत ने अंसारी और छह अन्य को बरी किया.
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