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विधानसभा सदन से दूर रहे आजम, अखिलेश से नाराजगी या फिर बीमारी है बहाना?

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Published : Jun 1, 2022, 9:13 PM IST

विधानसभा सदन की कार्यवाही जिस दिन शुरू हुई थी, उसी दिन आजम खान ने शपथ ली थी. उसके बाद से वे सदन की कार्यवाही में एक बार भी नजर नहीं आए. इसे लेकर राजनितीक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है.

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आजम और अखिलेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र करीब 8 दिन और 56 घंटे चला. खास बात यह रही कि उत्तर प्रदेश को विकास की राह पर तेजी से आगे ले जाने को लेकर 6:15 लाख करोड़ रुपये का बजट सदन में पेश किया गया. वहीं, चर्चा इस बात की भी रही कि आखिरकार आजम खान सदन की कार्यवाही से दूर क्यों रहे? विधानसभा सदन की कार्यवाही जिस दिन शुरू हुई, उसी दिन आजम खान विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना (Assembly Speaker Satish Mahana) से मिले और विधायक पद की शपथ ग्रहण की. बेटा अब्दुल्ला आजम ने भी विधायक पद की शपथ ग्रहण की. लेकिन सदन की कार्यवाही से आजम खान शुरू से लेकर आखिरी दिन तक नदारद रहे.

सदन के अंदर और बाहर भी राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा रही कि आखिर आजम खान सदन की कार्यवाही में क्यों भाग नहीं लिए. जानकारों का कहना है कि तमाम वजहों से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से नाराज आजम खान ने उनसे लगातार दूरी बनाए रहे. सदन में रहते तो कुछ न कुछ बात होती तो शायद जो दूरी है वह कम होती. समाजवादी पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि आजम खान जेल से बाहर आए हैं और वह अभी पूरी तरह से स्वस्थ भी नहीं हैं. बीमारी के कारण पिछले कई दिनों से दिल्ली में अस्पताल में भर्ती हैं. अखिलेश यादव ने दिल्ली जाकर उनसे मेल- मुलाकात की है और उनके स्वास्थ्य के बारे में हाल-चाल लेने के साथ ही राजनीति से जुड़े विषयों पर भी चर्चा की है.

सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव सिर्फ स्वास्थ्य का हाल-चाल लेने गए हैं, जिससे यह संदेश ना जाने पाए नाराजगी को आगे बढ़ाया जा रहा है. समाजवादी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि आजम खान जेल से बाहर आने के बाद से अपने ऊपर दर्ज मुकदमों को लेकर कानूनी मदद को लेकर वकीलों के संपर्क में है. दिल्ली में वह कपिल सिब्बल सहित अन्य कानून के जानकारों से बातचीत कर रहे हैं. इसके अलावा अन्य लोगों से भी वह बातचीत कर भविष्य की सियासी राह तय करने को लेकर चर्चा कर रहे हैं.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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सदन की कार्यवाही में आजम खान के बेटे विधायक अब्दुल्ला आजम भी कम ही नजर आते रहे. वह आजम खान और समाजवादी पार्टी के बीच नाराजगी को लेकर मीडिया के सवालों से बचते रहे. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि शब्दों का अपना अलग महत्व होता है. दूसरी तरफ कई बार मौन रह कर भी बड़ा संदेश दिया जाता है. उन्होंने कहा कि मौन की अपनी भाषा होती है. राजनीति में यह भी कई बार एक दांव की तरह होता है. सदन में शिवलाल यादव का बोलना और आजम खान का सदन से बाहर रहकर, इस समय समान रूप से आंकलन का विषय है. शिवपाल ने विधानसभा में योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा के माध्यम से दूरगामी संदेश दिया है. अग्निहोत्री ने कहा कि आजम खान विधानसभा सदस्यता की शपथ लेकर नई दिल्ली चले गए. उनके सामने अभी अनेक निजी समस्याएं हैं, लेकिन इतना साफ है कि वह अखिलेश यादव से नाराज हैं. ऐसा लगता है कि आजम और शिवपाल इस बार अखिलेश के नेतृत्व को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नए समीकरण की पृष्ठभूमि बन चुकी है.

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