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लखनऊ की नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खरकवाल के सामने कई चुनौतियां, लेने होंगे कड़े फैसले

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Published : May 15, 2023, 6:03 PM IST

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यूपी निकाय चुनाव में भाजपा की बंपर जीत हुई है. ऐसे में जीते प्रत्याशियों के सामने उनके दावों के अनुरूप जनता से जुड़े कार्यों को कराने की भी चुनौती है. लखनऊ मेयर सुषमा खरकवाल ने बड़े अंतर चुनाव जीता है. अब नवनिर्वाचित मेयर के सामने लखनऊ में विकास कार्य संबंधी कार्य कराने के बाबत बड़ी चुनौती भी है.

लखनऊ : राजधानी लखनऊ की नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खरकवाल के लिए शहर की सरकार चलाने, जनता की सेवा करने में कई चुनौतियों का सामना करना होगा सिर पर कांटों भरा ताज जनता ने पहना दिया है, लेकिन अब उन्हें इन कांटों से पार पाते हुए शहर की सरकार चलाते हुए समस्याओं को दूर करना होगा. राजधानी लखनऊ में काफी समय से साफ सफाई, मार्ग प्रकाश, सीवर, पेयजल, सड़क की बेहतर सुविधा, ट्रैफिक जाम की समस्या से मुक्ति की मांग को नगर निगम पूरा नहीं कर पा रहा है. बजट की कमी हर काम राह में बाधा बनती है, जिसे दूर करने की योजनाएं तो हैं, लेकिन नगर निगम उनको तमाम राजनीतिक दबाव में लागू ही नहीं कर पा रहा है. ऐसे में नई मेयर को जनता के हित और समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कई कड़े फैसले भी लेने होंगे.

लखनऊ की नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खरकवाल के सामने कई चुनौतियां, लेने होंगे कड़े फैसले.
लखनऊ की नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खरकवाल के सामने कई चुनौतियां, लेने होंगे कड़े फैसले.


राजधानी की नवनिर्वाचित मेयर सुषमा खरकवाल को नगर निगम व शहर से जुड़ी तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. निगम में व्याप्त अव्यवस्थाओं से निपटना होगा तो बढ़ती देनदारी, भ्रष्टाचार, कर्मचारियों के बकाये भत्ते, शहर की सफाई व्यवस्था को पटरी पर लाने की सबसे बड़ी चुनौती होगी. राजधानी लखनऊ में ढाई दशक से भाजपा के महापौर का कब्जा रहा है. ऐसे में नव निर्वाचित नगर निगम सदन पुरानी अव्यवस्थाओं पर सवाल भी नहीं खड़ा कर पाएगा.

लखनऊ की नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खरकवाल के सामने कई चुनौतियां, लेने होंगे कड़े फैसले.
लखनऊ की नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खरकवाल के सामने कई चुनौतियां, लेने होंगे कड़े फैसले.

नगर निगम पर करीब 400 करोड़ रुपये की देनदारी ओढ़े निगम के पिछले सदन ने भी आय के दूसरे स्त्रोतों का कोई विकल्प तैयार ही नहीं किया. स्थिति यह है कि नगर निगम की सीमा में जुड़े 88 गांवों के शामिल होने के बाद निगम का दायरा तो बढ़ा है, लेकिन हाउस टैक्स आदि की वसूली नहीं बढ़ रही है. जनता और पार्षद सड़क, नाली खड़ंजा बनाने का लगातार दबाव बनाते रहते हैं. मौजूदा समय में नगर निगम पर लगभग 400 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी है. नवनिर्वाचित सदन को इस स्थिति का सामना करना ही पड़ेगा. सबसे पहले वसूली बढ़ानी होगी. इसके बाद विकास कार्य कराने के लिए बजट मांग सकेंगे.

लखनऊ की नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खरकवाल के सामने कई चुनौतियां, लेने होंगे कड़े फैसले.
लखनऊ की नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खरकवाल के सामने कई चुनौतियां, लेने होंगे कड़े फैसले.


स्वच्छता सर्वेक्षण में भी लखनऊ की साख अच्छी नहीं है. इसे भी मेयर के लिए सबसे बड़ी चुनौती माना जा सकता है. स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 की रैंकिंग में लखनऊ 17वें पायदान पर आया है. बीते साल 12वां स्थान मिला था. शहर में सफाई अभियान के बड़े-बड़े दावों पर भी सवाल उठने लगे हैं. यह बड़ा काम है जिसे साफ सफाई से बेहतर करना होगा. राजधानी में जगह-जगह खुले में बने डंपिंग यार्ड, इकोग्रीन एजेंसी की की लापरवाही, लचर कार्यशैली, शिवरी प्लांट में कूड़े का पहाड़ साफ न होने से शहर की रैंकिंग घटने के प्रमुख कारण हैं. सफाई के मामले में शहर की हालत बेहद खराब है.

लखनऊ की नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खरकवाल के सामने कई चुनौतियां, लेने होंगे कड़े फैसले.
लखनऊ की नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खरकवाल के सामने कई चुनौतियां, लेने होंगे कड़े फैसले.

इसके अलावा केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना स्मार्ट सिटी योजना अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई है. एबीडी क्षेत्र कैसरबाग सहित शहर के अन्य इलाकों में स्मार्ट सिटी योजना में कई योजानाएं शुरू की गई, लेकिन शहर के लोग अभी तक लखनऊ को स्मार्ट सिटी के तौर पर नहीं देख सके हैं. मेयर सुषमा खरकवाल को नगर निगम सहित दूसरे विभागों के बीच समन्वय बनाकर स्मार्ट सिटी परियोजना का क्रियान्वयन कराना होगा. यह भी किसी चुनौती से कम नहीं होगा.


हाउस टैक्स की वसूली बढ़ानी होगी


नगर निगम का मुख्य स्त्रोत हाउस टैक्स की वसूली ही है. करीब साढे पांच लाख से अधिक मकान हैं. जिसके बाद भी वसूली सिर्फ ढाई लाख मकानों से ही पाती है. वर्ष 2010 के बाद से नगर निगम ने हाउस टैक्स की दरों में कोई बढ़ोतरी भी नहीं की है. पिछले साल नगर निगम ने दरें बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया था. हालांकि सदन के विरोध के चलते इसे पास नहीं किया जा सका. इसके आय बढ़ाने के लिए वायु प्रदूषण शुल्क, स्क्रैप कारोबारियों से टैक्स समेत कई शुल्क वसूलने को लेकर सदन ने निर्णय लिया था, इन पर फैसला नहीं हो पाया. एक और प्रमुख बात यह है कि नगर निगम का सालाना का बजट करीब 1700 करोड़ रुपये का है. इसमें करीब 530 करोड़ रुपये से सड़क मरम्मत आदि का काम होता है. पार्षद का कोटा एक साल का एक करोड़ 15 लाख रुपये का होता रहा है. साथ ही में महापौर के मद से भी विकास कार्य होते रहे हैं. साथ ही 88 गांव नगर निगम की सीमा में भी आ चुके हैं. ऐसे में नए जुड़े 88 गांव के लोगों को शहर की योजनाओं का अहसास दिलाना ही होगा. इसके लिए बजट जुटाना बड़ी चुनौती साबित होगी.

राजधानी की आधी से ज्यादा आबादी का सीवरेज सिस्टम काम नहीं कर रहा है. हालात यह है कि कई क्षेत्रों में तो सीवर लाइन भी नहीं पड़ी है. बड़े बड़े नाले भी सीधे नदी में प्रवाहित हो रहे हैं. जिसकी वजह से गोमती नदी प्रदूषित हो रही है. पहले कई मेयर और सरकारों ने गोमती को स्वच्छ करने के नाम पर करोड़ों रुपये पानी मे बहा दिए, लेकिन वास्तविकता में गोमती अविरल और निर्मल नहीं हो पाई है. नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खरकवाल ने ईटीवी भारत से कहा कि जनता ने हमें सेवा करने का बड़ा मौका दिया है. हम जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे जो भी समस्याएं हैं उन्हें नगर निगम सदन के माध्यम से दूर किया जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में हम शहर की सरकार को व्यवस्थित तरीके से चलाने का काम करेंगे. ट्रैफिक की समस्या, हाउस टैक्स की समस्या, नए विस्तारित सीमा में विकास कार्यों को बढ़ाने सहित जो भी प्रमुख कार्य हैं उन्हें किया जाएगा. केंद्र सरकार राज्य सरकार की योजनाओं को धरातल तक ले जाने और नगर निगम की जनता के हितों का ध्यान रखते हुए काम करेंगे.

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