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नगर निगम में टायर ट्यूब बैट्री खरीद में घोटाले का खुलासा, करोड़ों रुपयों का हुआ वारा न्यारा

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 18, 2023, 11:00 PM IST

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लखनऊ नगर निगम में टायर, ट्यूब व बैट्री की खरीद में अधिकारियों ने खूब हेराफेरी की है. इससे पहले कल पुर्जों की खरीद में घोटाला पकड़ा गया था. हालांकि इसकी जांच अभीतक पूरी नहीं हो सकी है. टायर, ट्यूब व बैट्री की खरीद में घोटाला होने की शिकायत के बाद एक बार फिर नगर निगम की साख खतरे में है.

लखनऊ : लखनऊ नगर निगम के वाहनों में महंगे दरों पर टायर, ट्यूब व बैट्री घोटाले का खुलासा हुआ है. इससे पहले महंगे पुर्जों का घोटाला सामने आने के बाद ठेकेदारों से रिकवरी भी हो चुकी है. ताजा मामला निगम के वाहनों में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न साइज के टायर, ट्यूब व बैट्रियों की दो से चार गुना की दरों पर आपूर्ति की जा रही है. यह खेल पिछले दो साल से चल रहा है. इस तरह से अधिकारी, इंजीनियर व कर्मचारियों के मकड़जाल से हर साल करोड़ों रुपये का चूना लगाया जा रहा है. शिकायकर्ता ने उप्र आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन(ईओडब्ल्यू) को रेट लिस्ट सौंपते हुए पूरे घोटाले की जांच की मांग की है.

लखनऊ नगर निगम में घोटाला.
लखनऊ नगर निगम में घोटाला.

शिकायतकर्ता के अनुसार राम नगीना त्रिपाठी के सेवानिवृत्त से लगभग एक साल पहले नगर निगम के वाहनों में इस्तेमाल के लिए विभिन्न साइज के टायर, ट्यूब व बैट्रियों की आपूर्ति के लिए निविदा प्रकाशित की गई थी. इसके लिए बकायदा उच्च अधिकारियों से स्वीकृति लेते हुए लगभग दो गुने दाम में बैट्रियों व तय दरों से चार गुना में टायर, ट्यूब की खरीदी की गई. करीब दो साल से महंगे दरों पर खरीदी की जा रही है. इसकी जानकारी कर्मचारियों को भी है. इसके बाद बावजूद महंगे दरों पर उपकरण खरीदे जा रहे हैं. राम नगीना त्रिपाठी के सेवानिवृत्त होने के बाद आगरा से स्थानांतरित होकर आये मुख्य अभियंता संजय कटियार ने भी पुरानी दरों पर आपूर्ति जारी रखी. शिकायकर्ता ने उन्हें भी ईओडल्यू से प्रचलित जांच की परिधि में लाये जाने की मांग की है. हालांकि संजय कटियार अब निदेशालय से सम्बद्ध चल रहे हैं.

लखनऊ नगर निगम में घोटाला.
लखनऊ नगर निगम में घोटाला.


दोगुना कीमत में एक्साइड बैट्री खरीद रहा निगम : नगर निगम में वाहनों के लिए आपूर्ति हो रही बैट्री की प्रमुख निर्माता कंपनी एक्साइड की दरें तथा टायर व ट्यूब मेसर्स सिंह टायर की ओर से दी गई दरों के में बड़ा अंतर है. एक्साइड बैट्री की विभिन्न साइज की बैट्रियां जहां दोगुनी दरों पर खरीदी जा रही हैं. वहीं चार गुना दरों पर टायर व ट्यूब की आपूर्ति हो रही है. शिकायत में अधिकृत कंपनी व विक्रेता की दरों का तुलनात्मक विवरण भी दिया है.

लखनऊ नगर निगम में घोटाला.
लखनऊ नगर निगम में घोटाला.

कचरा उठ नहीं रहा फिर 23 वाहनों के खराब हो गए टायर, ट्यूब व बैट्रियां

नगर निगम में अधिकारी, कर्मचारी और ड्राइवर कूड़ा गाड़ियों से कमाई की रसमलाई खा रहे हैं. शहर की कूड़ा व्यवस्था चौपट है, लेकिन करीब 23 वाहन खराब हो चुके हैं. सभी के टायर, ट्यूब खराब बताए जा रहे हैं. मतलब साफ है कि दो से चार गुना की दर पर टायर, ट्यूब व बैट्री बदलने का खेल चल रहा है. इनकी निगरानी का यहां कोई सिस्टम नहीं है. कूड़ा उठान के नाम पर निगम का खजाना साफ किया जा रहा है. वर्कशाप व जोनों में लाखों की कीमत की गाड़ियां खड़े-खड़े 'कूड़ा होती जा रही है पर किसी को परवाह नहीं है. अकेले जोन आठ में ही डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए दो दर्जन गाड़ियों के मेंटीनेंस की सूची भेज दी गई है.

लखनऊ नगर निगम में घोटाला.
लखनऊ नगर निगम में घोटाला.

जानकारी के अनुसार जोन आठ में ऐसी 23 गाड़ियों के टायर, ट्यूब खराब बताए गए हैं. जोनल अधिकारी, मुख्य सफाई एवं खाद्य निरीक्षक ने गाड़ियों की सूची अपर नगर आयुक्त को भेजी है. इसमें कहा गया है कि सभी गाड़ियों के चारों टायर, ट्यूब खराब हैं. इनमें 10 टाटा इंट्रा, 2 टाटा एस व 11 पियाजियो के टायर, ट्यूब हैं. इसके अलावा किसी की स्टार्टिंग नहीं हो रही है तो किसी का डीजल मोटर, क्लच, बैटरी काम नहीं कर रही है. इसी तरह सैलेंसर, हीटिंग क्लच, बैक कंप्रेसर बैटरी काम नहीं कर रही है. डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए इन गाड़ियों के जल्द से जल्द मेंटिनेंस कराया जाना जरूरी बताया गया है. नगर निगम ने एक साल पहले ही ये वाहन खरीदे थे, लेकिन अब कंडम हालात में पहुंच चुके हैं. इनमें से कई सीएनजी वाहन भी हैं।


अप्रशिक्षित वाहन चालकों की वजह से बर्बाद हो रहे वाहन

इन वाहनों को चलाने के लिए अप्रशिक्षित चालक रखे गए हैं. अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों के सिफारिश कार्यदायी संस्था से ड्राइवरों की वजह से वाहन लापरवाही के भेंट चढ़ गए है. कई जगहों से यह वाहन क्षतिग्रस्त चुके हैं तो कुछ का सामान भी गायब हो गया है. इसके बावजूद इस मामले से निगम के अधिकारी बेखबर हैं. इस मामले में नगर निगम के प्रभारी आरआर पीके सिंह व नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह से बात करने का प्रयास किया गया तो किसी ने फोन नहीं रिसीव किया.



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