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सीएम योगी के 'खास' रहे IAS अफसर का इस्तीफा मंजूर, बताई जा रही यह वजह

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 28, 2023, 4:09 PM IST

आईएएस अधिकारी रिग्जियान सैम्फिल 2003 बैच के यूपी कैडर के अधिकारी हैं. IAS रिग्जियान सैम्फिल का वीआरएस केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने मंजूर कर लिया है.

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लखनऊ : वरिष्ठ आईएएस अफसर रिग्जियान सैम्फिल का इस्तीफा केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने स्वीकार कर लिया है! रिग्जियान सैम्फिल ने जुलाई में अपने पद से इस्तीफा दिया था. उत्तर प्रदेश में आईएएस अधिकारियों के वीआरएस लेने के अलग-अलग कारण गिनाए जा रहे हैं. कोई कुछ कहता है तो कोई कुछ कहता है, लेकिन कहीं ना कहीं भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों का उत्तर प्रदेश के प्रशासन बढ़ता दबदबा भी इसका कारण बताया जा रहा है.


सूत्रों के मुताबिक, UP कैडर के 2003 बैच के IAS रिग्जियान सैम्फिल का VRS केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने मंजूर कर लिया है. उन्हें 20 सितंबर से कार्यमुक्त माना जायेगा. उन्होंने निजी कारणों के चलते UP सरकार के समक्ष अपना VRS आवेदन प्रस्तुत किया था. कभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बहुत 'खास' रहे आईएएस अधिकारी रिग्जियान सैमफिल ने शैक्षिक रिटायरमेंट की मांग करते हुए इस्तीफा दिया था. उनके इस्तीफे का कारण व्यक्तिगत बताया जा रहा है. रिग्जियान की गिनती बहुत ही संवेदनशील आईएएस अफसरों में की जाती रही है. उनके बारे में प्रख्यात रहा है कि मुख्यमंत्री का सचिव रहने के दौरान उन्होंने अनेक लोगों की बहुत ही संवेदनशील तरीके से मदद की. खास तौर पर गरीबों और अस्पतालों में परेशान हो रहे लोगों की मदद के लिए हमेशा आगे रहे. रिग्जियान ने जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज कुमार सिन्हा के सलाहकार के तौर पर भी काम किया. आईएएस रिग्जियान ने VRS के लिए अप्लाई किया था. रिग्जियान सैमफिल ने वीआरएस के लिए नियुक्ति विभाग में अपना आवेदन किया था. सैमफिल तत्कालीन समय में रेजिडेंट कमिश्नर थे. योगी सरकार बनने के बाद सीएम कार्यालय में विशेष सचिव थे. 2018 में डेप्यूटेशन पर जम्मू कश्मीर चले गए थे. वीआरएस मांगने वाले उत्तर प्रदेश के पिछले कुछ समय में वे चौथे अफसर हैं.



वर्ष 2003 बैच के IAS रिग्जियान सैमफिल अखिलेश, योगी सरकार में विशेष सचिव रहे. विवेकाधीन कोष से इलाज, शादी को जितना धन बांटा, उतना किसी ने नहीं बांटा है. मुख्यमंत्री के डे अफसर रहते किसी ने भी उनसे जरूरत में मदद की मांग की तो खुद ही वह आगे आकर मदद करते रहे. इसी तरह से उत्तर प्रदेश के सुदूर जिलों में अगर किसी को सरकारी अस्पताल में समस्या होती थी, तब भी वह लगातार मदद करते रहे. ऐसे संवेदनशील अफसर का उत्तर प्रदेश में रिटायरमेंट लेना एक बड़ी खबर बताया जा रहा है.



उत्तर प्रदेश कैडर के 3 आईएएस अधिकारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग की है. यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है. इससे पहले उत्तर प्रदेश कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजीव अग्रवाल ने इस्तीफा देकर निजी कंपनी में बड़े पद पर नौकरी कर ली थी. उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में इन दिनों यह चर्चा आम है कि आईएएस अधिकारियों की ताकत दिन पर दिन कम होती जा रही है. इसके अलावा उन पर सख्ती और सर्विलांस बहुत अधिक हो गया है. इस वजह से वे अब इस सेवा को जारी रखने के इच्छुक नहीं हैं.


जानकारी के मुताबिक, 25 जुलाई को 1987 बैच की वरिष्ठ आईएएस रेणुका कुमार ने वीआरएस के लिए डीओपीटी की सचिव को आवेदन भेज दिया था. साथ ही मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव नियुक्ति को भी इस सम्बंध में पत्र भी भेजा है. इसके अलावा आईएएस विकास गोठलवाल 2003 और जूथिका पाटणकर 1988 ने भी वीआरएस मांगा है. विकास गोठलवाल स्टडी लीव पर चल रहे हैं. इससे पहले वे सचिव अवस्थापना और औद्योगिक विकास पर तैनात थे. स्वास्थ्य कारणों से विकास ने वीआरएस मांगा है. 1988 बैच की यूपी कैडर की IAS जूथिका पाटणकर ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए वीआरएस मांगा है. वह केंद्रीय सूचना आयोग में तैनात हैं. साल 2019 में उत्तर प्रदेश कैडर के संयुक्त सचिव स्तर के केंद्र में अधिकारी राजीव अग्रवाल ने भी इस्तीफा देकर टैक्सी स्टार्टअप उबर में उच्च पद पर ज्वाइन कर लिया था.

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