लखनऊः कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी और उनकी बेटी आराधना मिश्रा ने प्रतापगढ़ के लालगंज थाने में दर्ज छह प्राथमिकियों को चुनौती दी है. सोमवार को उनके अधिवक्ता की ओर से मामले की सुनवाई के लिए कोई अन्य तिथि नियत किए जाने का अनुरोध किया गया. जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए 25 अक्टूबर को मामले को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है.
ये आदेश न्यामूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम की खंडपीठ ने प्रमोद तिवारी और आराधना मिश्रा की याचिका पर दिया. याचियों ने अपने खिलाफ दर्ज कुल छह प्राथमिकियों को चुनौती दी है. उन्होंने कहा है कि उनके खिलाफ राजनीतिक कारणों से झूठे मुकदमे दर्ज करा दिए गए हैं. ये सभी एफआईआर 25 सितम्बर को बीजेपी सांसद संगम लाल गुप्ता और भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले से सम्बंधित हैं. इनमें से एक एफआईआर स्वयं भाजपा सांसद ने दर्ज कराई है. जिसमें उन्होंने प्रमोद तिवारी और उनके बेटी के समेत 27 लोगों को नामजद किया है और करीब 50 हमलावरों को अज्ञात बताया है.
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सांसद द्वारा दर्ज एफआईआर आईपीसी की धारा 307 और अन्य तमाम धाराओं के अंतर्गत दर्ज कराई गई है. उक्त एफआईआर में कहा गया है सांगीपुर ब्लॉक में आयोजित एक शासकीय कार्यक्रम में जब वह भाग लेने पहुंचे तो प्रमोद तिवारी और अराधना मिश्रा के ललकारने पर उनके समर्थकों ने जानलेवा हमला कर दिया.
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