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स्वास्थ्य विभाग की तबादला नीति, पांच साल जिले और आठ साल मंडल में पूरे करने वालों को जाना होगा

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Published : Jun 27, 2023, 2:41 PM IST

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स्वास्थ्य निदेशालय ने तबादला नीति 2023-2024 जारी करके स्वास्थ्य महकमे में सनसनी फैला दी है. निदेशालय के आदेश के अनुसार पांच साल जिले और आठ साल मंडल में पूरे करने वाले कर्मचारी ट्रांसफर के दायरे में आ गए हैं.

लखनऊ : स्वास्थ्य निदेशालय ने सोमवार को तबादला नीति जारी की है. इस तबादले नीति के अनुसार पांच साल जिले और आठ साल मंडल में पूरे करने वाले कर्मचारी ट्रांसफर के दायरे में आते हैं. ऐसे में उन सभी कर्मचारियों का तबादला होगा जो पांच साल से एक ही जिले या आठ साल से एक ही मंडल में अपनी सेवा दे रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आदेश में समूह 'क', 'ख', 'ग' एवं 'घ' के संवर्ग के कर्मचारियों के स्थानान्तरण के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश दिए गए हैं.

आदेश.
आदेश.
स्वास्थ्य विभाग की तबादला नीति.
स्वास्थ्य विभाग की तबादला नीति.




तबादला नीति से नाखुश कर्मचारी करेंगे प्रदर्शन

प्रदेशभर के कर्मचारियों ने कार्मिक विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण नीति के पैरा 12 को कर्मचारी संगठनों का अस्तित्व समाप्त करने की साजिश बताते हुए इसको तत्काल संशोधित करने की मांग करते हुए कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने 27 जून से आंदोलन की घोषणा कर दी है. जिसमें हड़ताल भी शामिल हो सकती है. आंदोलन की नोटिस मुख्य सचिव को भेज दी गई है. कर्माचारियों का कहना है कि अभी तक मान्यता प्राप्त संघों के प्रांतीय मंडल जिला अध्यक्ष सचिव को सामान्य स्थानांतरण से मुक्त रखा जाता रहा है, लेकिन इस वर्ष जारी स्थानांतरण नीति में इसमें संशोधन कर दिया गया है. जिससे प्रदेश भर के कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त हो गया है.

स्वास्थ्य विभाग की तबादला नीति को लेकर कर्मचारियों में आक्रोश.
स्वास्थ्य विभाग की तबादला नीति को लेकर कर्मचारियों में आक्रोश.
स्वास्थ्य विभाग की तबादला नीति.
स्वास्थ्य विभाग की तबादला नीति.

मामले की गंभीरता को देखते हुए कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा की बैठक वन विभाग मुख्यालय में मोर्चे के अध्यक्ष वीपी मिश्र की अध्यक्षता में संपन्न हुई. जिसमें मोर्चे से जुड़े सभी घटक संघ परिसंघ सम्मिलित हुए. कर्मचारियों ने कहा कि पूर्व की परंपराओं में फेरबदल करना कर्मचारी संघों के अस्तित्व पर हमला एवं कर्मचारियों के लिए लोकतंत्र पर प्रहार है. कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि सरकार, शासन व कर्मचारियों के मध्य सेतु का कार्य करते हैं. ऐसी दशा में संघों को कमजोर करने की साजिश, कहीं से उचित नहीं है.


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