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लखनऊ के अस्पतालों में मरीजों और तीमारदारों का सामान सुरक्षित नहीं, आए दिन हो रहीं चोरियां

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Published : May 15, 2023, 3:33 PM IST

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राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पताल इन दिनों चोरों के निशाने पर हैं. अस्पताल परिसर से अक्सर मरीजों और तीमारों का सामान चोरी होने की घटनाएं सामने आ रही हैं. इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन के पास कोई ठोस नीति है.

cलखनऊ के अस्पतालों में मरीजों और तीमारदारों का सामान सुरक्षित नहीं, आए दिन हो रहीं चोरियां.

लखनऊ : राजधानी लखनऊ में तमाम सरकारी अस्पताल हैं, लेकिन कई सरकारी अस्पताल ऐसे हैं जहां पर भारी भीड़ होती है. इस भीड़ की वजह से चोर मरीजों का सामान उड़ा ले जाते हैं. कभी कोई चोर स्टाफ कर्मचारी बनकर मरीज के तीमारदारों से पैसा वसूल कर लेता है तो कभी कोई चोर अस्पताल में खड़ी मरीज के तीमारदार की गाड़ी चुरा ले जाता है. रोजाना इस तरह से सरकारी अस्पतालों में केस होते हैं हाल ही में सिविल अस्पताल के पांच ओपीडी के एस चोरी हो गए. जब अस्पताल प्रशासन अपने ही सामान की सुरक्षा नहीं कर पा रहा है तो मरीजों के सामान की सुरक्षा क्या कर पाएगा.

लखनऊ के अस्पतालों में मरीजों और तीमारदारों का सामान सुरक्षित नहीं, आए दिन हो रहीं चोरियां.
लखनऊ के अस्पतालों में मरीजों और तीमारदारों का सामान सुरक्षित नहीं, आए दिन हो रहीं चोरियां.
लखनऊ में कई अस्पताल हैं और बड़े मेडिकल कॉलेज भी हैं. सभी जगह का यही हाल है. सिविल अस्पताल, बलरामपुर अस्पताल और झलकारी बाई अस्पताल समेत अन्य मेडिकल कॉलेज में भी मरीजों का सामान चोरी होता है. मेडिकल कॉलेज में भी इसी तरह से आए दिन 10-15 चोरी होती है. अस्पतालों के बाहर पुलिस चौकी है. यहां तक कि अस्पताल में भी 20 से अधिक कर्मचारी तैनात हैं. इतनी सख्ती के बावजूद धड़ल्ले से तीमारदारों का सामान चोरी हो रहा है. सिविल अस्पताल में कुछ दिन पहले ही सूचना विभाग की तरफ बिल्डिंग से पांच एक ही की पिछला हिस्सा चोरी हो गया था. जिसको लेकर अस्पताल प्रशासन ने पुलिस कंप्लेंट भी की थी, लेकिन अभी तक कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई.
लखनऊ के अस्पतालों में मरीजों और तीमारदारों का सामान सुरक्षित नहीं, आए दिन हो रहीं चोरियां.
लखनऊ के अस्पतालों में मरीजों और तीमारदारों का सामान सुरक्षित नहीं, आए दिन हो रहीं चोरियां.

हरदोई से पत्नी का इलाज कराने के लिए आए किशोर कुमार ने बताया कि बलरामपुर अस्पताल में उनके साथ बहुत बड़ी थगी हुई है. यह ठगी अस्पताल के किसी कर्मचारी या डॉक्टर ने नहीं बल्कि साधु के रूप में बहरूपिया बनकर आए एक शख्स ने की. किशोर कुमार ने बताया कि पत्नी का इलाज कराने के लिए आए थे. पैथोलॉजी के सामने लाइन में खड़े थे. इसके बाद एक शख्स वहां पर आया. जिसने कहा कि मैं आपकी पत्नी को ठीक कर दूंगा. इसके लिए कुछ रुपया लगेगा. अस्पताल में इलाज के लिए परेशान किशोर कुमार परेशान होकर उसके बाद विश्वास कर लिया. विश्वास करने के बाद उसने किशोर कुमार को बहका दिया. साधु के रूप में बहरूपिया ने किशोर कुमार 11 हजार रुपये वसूल लिया. उसने कहा कि उसकी पत्नी ठीक हो जाएगी और उसने चार कदम आगे चलने के लिए कहा. जैसे ही वह पीछे मुड़ देखा साधु के रूप वाला बहरूपिया वहां से रफूचक्कर हो गया था.

लखनऊ के अस्पतालों में मरीजों और तीमारदारों का सामान सुरक्षित नहीं, आए दिन हो रहीं चोरियां.
लखनऊ के अस्पतालों में मरीजों और तीमारदारों का सामान सुरक्षित नहीं, आए दिन हो रहीं चोरियां.

धीरज वर्मा ने बताया कि अस्पताल में आए दिन चोरी होती है बीते शनिवार को चार्जिंग में लगा कर मोबाइल को सो गए थे. थोड़ी देर पहले ही मोबाइल चलाया था फिर आंख लग गई. हाथ में मोबाइल था. रात 12:30 बजे जब आंख खुली तो देखा कि मोबाइल चोरी हो गया था. इसके बाद मैंने हजरतगंज पुलिस चौकी में रिपोर्ट लिखाई, लेकिन अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है. पुलिस वालों ने कहा है कि दो-तीन दिन में जब भी मोबाइल चोर खोलेगा. उसी समय हमें पता चल जाएगा. तभी कुछ जानकारी प्राप्त हो पाएगी. पीड़ित ने बताया कि पिछले एक हफ्ते से सिविल अस्पताल के रैन बसेरा में रह रहा था. यहां पर रहकर अपने मरीज का इलाज करवा रहे हैं. पीड़ित गोंडा जिले का रहने वाला है.

बहराइच से मरीज का इलाज कराने पहुंची प्रियंका कुमारी ने कहा कि पिछले 11 दिनों से है. सिविल अस्पताल के रैन बसेरा में रह रही है. छोटी बहन लखनऊ में ही रहकर काम करती हैं. घर का काम करते हो बुरी तरह से झुलस गई. उसका इलाज यहीं से चल रहा है. बहराइच से हम और हमारी मम्मी उसकी देखभाल के लिए आए हुए हैं. रैन बसेरा में हम रहते हैं अस्पताल के बाहर भी निकल कर थोड़ा टहलते रहते हैं. इस दौरान हम देखते हैं कि 11 दिनों में कम से कम आठ मोबाइल चोरी हुई हैं इसके अलावा लोगों के अन्य सामान भी गायब हुए हैं. यहां पर बहुत चोरी होती हैं. हम लोग गरीब घर से आते हैं. हां यहां पर लोग आते हैं घूमते टहलते हैं और हाथ सफा करके चल देते हैं. अभी तक जिन लोगों की मोबाइल चोरी हुई किसी की कोई सूचना नहीं मिली. रैन बसेरा में सीसीटीवी कैमरा लगा है, लेकिन उसकी निगरानी कौन कर रहा है, किसी को नहीं पता है. इसके अलावा अस्पताल की उच्च अधिकारी से कहा पुलिस में कंप्लेन कराई, लेकिन एक बार जो सामान खो गया वह दोबारा नहीं मिला.


मेडिकल कॉलेज में इलाज करा रहे सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि मेडिकल कॉलेज का हाल तो और भी ज्यादा बुरा है. मेडिकल कॉलेज में 10-15 चोरी रोज होती है. एक बार कोई सामान चोरी चला जाता है तो वह सामान फिर नहीं मिलता. कब किसने चोरी कर ली पता ही नहीं चलता है और यहां के उच्च अधिकारी हैं. वह इसकी जिम्मेदारी नहीं लेते हैं. अगर कोई शिकायत करता है तो तुरंत कहते हैं कि यह आपकी जिम्मेदारी थी.


केजीएमयू प्रॉक्टर डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि अस्पताल में हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं और अस्पताल के कर्मचारी भी सुरक्षा के लिए तैनात हैं. अगर ऐसी कोई गतिविधियां हो रही हैं तो तीमारदार हमारे पास शिकायत लेकर आए जो भी उस पर हम कड़ी कार्रवाई करेंगे. इसके अलावा एक बात यह भी कहना चाहूंगा कि अगर इतनी सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी चोरी हो रही है तो तीमारदार और मरीज सभी को सचेत रहने की आवश्यकता है, क्योंकि मेडिकल कॉलेज में रोजाना हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में हम किसी को पकड़ नहीं सकते अगर किसी व्यक्ति का कोई सामान चोरी हुआ है और उसे किसी पर संदेह है तो वह पीआरओ ऑफिस में आकर शिकायत कर सकता है. इसके अलावा केजीएमयू की पुलिस चौकी पर भी शिकायत कर सकते हैं. उस पर तुरंत कार्रवाई होगी.

सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह के मुताबिक अस्पताल में हो रही चोरियों को रोकने के लिए अच्छा प्रबंध किया गया है. यहां तक कि अस्पताल के पीडियाट्रिशियन विभाग में एक दारोगा और एक सिपाही को हमेशा तैनात रहने के लिए एक रूम दिया गया है. इसके अलावा अस्पताल के सामने ही पुलिस चौकी भी है. निगरानी के लिए 50 कैमरे अस्पताल भर में लगे हुए हैं. साथ ही जगह-जगह पर अस्पताल के कर्मचारी भी तैनात हैं. बावजूद इसके अगर चोरी हो रही है तो तीमारदारों को यही कहूंगा मैं कि वह भी अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें. क्योंकि अगर इतनी सख्ती के बावजूद चोरी हो रही है तो कोई गुट ऐसा है जो मरीज या कर्मचारी के भेष में अस्पताल में इस तरह से चोरी कर रहा है.

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