ETV Bharat / state

‘समझ नहीं आता किस बात ने कैदी को क्षमादान के लिए राज्यपाल को प्रेरित किया’

author img

By

Published : Mar 2, 2021, 10:26 PM IST

हाई कोर्ट लखनऊ बेंच
हाई कोर्ट लखनऊ बेंच

हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने क्षमादान के एक आदेश को खारिज कर दिया. मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी भी की. कोर्ट ने कहा कि समझ नहीं आता कि तिहरे हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा पाए कैदी को क्षमादान देने के लिए राज्यपाल को किस बात ने प्रेरित किया.

लखनऊ : हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने क्षमादान के एक आदेश को खारिज करते हुए अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा कि समझ नहीं आता कि तिहरे हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा पाए कैदी को क्षमा देने के लिए राज्यपाल को किस बात ने प्रेरित किया. न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी को भी दोहराया, जिसमें कहा गया है कि क्षमादान के मामले में राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल का कोई निर्णय यदि मनमानीपूर्ण है तो इसका न्यायिक पुनरीक्षण किया जा सकता है.

2012 में हुई थी आजीवन कारावास की सज़ा

यह टिप्पणी न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने प्रकाशवती सिंह की वर्ष 2017 की एक याचिका पर पारित किया. याचिका में बुलंदशहर के एक तिहरे हत्याकांड में वर्ष 2012 में आजीवन कारावास की सजा पाए अभियुक्त जैनी सिंह को मिले क्षमादान को चुनौती दी गई थी. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि उक्त कैदी ने मात्र पांच वर्ष एक माह और 23 दिन जेल में बिताए. न्यायालय ने पाया कि समाजवादी सैनिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सत्यवीर सिंह ने तत्कालीन कारागार मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया को पत्र लिखकर जैनी सिंह की बीमारी व उम्र का हवाला देते हुए उसकी रिहाई का अनुरोध किया. याची की ओर से कहा गया कि जिलाधिकारी और एसएसपी की रिपोर्ट पर गौर किए बिना तत्कालीन कारागार मंत्री ने जैनी सिंह की 70 वर्ष की उम्र के आधार पर उसकी रिहाई का अनुमोदन किया, जिसे तत्कालीन राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने मंजूर कर लिया.


न्यायालय की टिप्पणी


न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि देवेंद्र सिंह भुल्लर मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि क्षमादान के मामले में राष्ट्रपति व राज्यपाल के किसी मनमानेपूर्ण निर्णय का न्यायिक पुनरीक्षण किया जा सकता है. न्यायालय ने कहा कि समझ नहीं आता कि एक परिवार के तीन सदस्यों को मौत के घाट उतार देने जैसे जघन्य हत्याकांड में कैदी को क्षमा देने के लिए राज्यपाल को किस बात ने प्रेरित किया. न्यायालय ने कहा कि उक्त कैदी की दो जमानत याचिकाएं इसी न्यायालय से खारिज हो चुकी हैं और मर्सी कमेटी भी उसकी रिहाई को ठुकरा चुकी है. न्यायालय ने राज्यपाल के 15 मार्च 2017 के उक्त निर्णय को खारिज कर दिया व सीजेएम, बुलंदशहर को जैनी सिंह को हिरासत में लेने का आदेश दिया.

इसे भी पढ़ें - कोरोना गाइडलाइन्स का पालन करना अब भी है जरुरी : हाई कोर्ट

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.