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इस बार भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बाहर नहीं निकल पाई RLD, जानिए क्या है प्रमुख वजह

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Published : Feb 10, 2022, 3:43 PM IST

राष्ट्रीय लोकदल समाजवादी पार्टी के साथ गंठबंधन के बाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही 33 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. आइए जानते हैं कि यूपी विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी की क्या रणनीति है.

राष्ट्रीय लोकदल.
राष्ट्रीय लोकदल.

लखनऊः राष्ट्रीय लोक दल पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ही राजनीति करने का टैग लगा है. उम्मीद थी कि 2022 विधानसभा चुनाव में पार्टी इस क्षेत्र से बाहर निकल कर अन्य क्षेत्रों में भी प्रत्याशी उतारेगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. एक बार फिर राष्ट्रीय लोकदल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही सिमट कर रह गई. रालोद के अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ने इस बार समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ गठबंधन किया है. इस गठबंधन में जयंत की पार्टी को कुल 33 सीटें मिली हैं. इन सभी सीटों पर रालोद अपने सिंबल पर ही चुनाव मैदान में है.


यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को हो रहा है. राष्ट्रीय लोकदल पहले ही चरण में 33 में से 29 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो गया. दूसरे चरण में राष्ट्रीय लोकदल के तीन प्रत्याशी मैदान में होंगे तो तीसरे चरण में एक उम्मीदवार जीत की उम्मीद के साथ रणक्षेत्र में दस्तक देगा. राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं को पूरी उम्मीद है कि इन सभी सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार जीतकर आएंगे. क्योंकि रालोद की स्थिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी मजबूत है.

रालोद प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी.
राष्ट्रीय लोक दल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी कहते हैं कि समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल को कुल 33 सीटें मिली हैं. पहले विचार किया जा रहा था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी पार्टी के प्रत्याशी उतारे जाएं, लेकिन पहले पार्टी की मजबूती जरूरी है. लिहाजा, पश्चिम उत्तर प्रदेश में पहले से ही मजबूत पार्टी के प्रत्याशियों को ही मौका दिया गया. सभी प्रत्याशी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही चुनाव मैदान में हैं. पहले चरण में 29 सीटों पर प्रत्याशी, दूसरे चरण में तीन प्रत्याशी तो तीसरे चरण में एक उम्मीदवार मैदान में होगा. इस तरह तीसरे चरण तक राष्ट्रीय लोकदल सभी 33 सीटों पर अपने प्रत्याशी लड़ चुके होंगे. सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी ने बताया कि चुनाव के बाद भी चौधरी जयंत सिंह गठबंधन धर्म निभाएंगे. सभी 403 सीटों पर सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह दौरा करेंगे. इसका फायदा गठबंधन को जरूर मिलेगा.

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राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया चौधरी जयंत सिंह ने बिजनौर में रैली के चलते वोट न डालने का फैसला लिया. उनका यह फैसला लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय के नेताओं और कार्यकर्ताओं में चर्चा का विषय बन गया. जयंत के इस कदम को आपसी चर्चा में सभी गलत मान रहे हैं. नेताओं का कहना है कि इससे रालोद को नुकसान हो सकता है. वजह है कि जब हमारा नेता ही वोट नहीं डालेगा तो भला जनता से वोट डालने की अपील भी कैसे कर सकता है. इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा यह भी जयंत को सोचना चाहिए था.

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