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बेटे को घर से बेदखल करने का नहीं दिया जा सकता आदेशः हाईकोर्ट

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Published : Aug 18, 2023, 9:45 PM IST

हाईकोर्ट
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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक आदेश पारित करते हुए कहा कि माता-पिता को बेटे को घर से बेदखल करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है. हाईकोर्ट ने वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण और कल्याण अधिनियम के प्रावधानों को भी स्पष्ट किया.


लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय पारित किया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 के तहत गठित अधिकरण में शामिल है. जहां माता-पिता की अर्जी पर संतानों को माता-पिता के निवास, भोजन और कपड़े के लिए उचित व्यवस्था का आदेश दे सकता है.

हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकरण माता-पिता की अर्जी पर उनकी संतानों को उनके घर से निकाले जाने का आदेश नहीं पारित कर सकता है. अधिनियम 2007 की मंशा माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को भरण-पोषण प्रदान करने और उनके कल्याण तक है. न्यायालय कहा कि सिविल प्रकिया के तहत तय होने वाले कानूनी अधिकारों को उक्त अधिनियम के तहत आदेश पारित कर नहीं तय किया जा सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की एकल पीठ ने सुल्तानपुर निवासी कृष्ण कुमार की ओर से दाखिल रिट याचिका को निस्तारित करते हुए पारित किया.



गैर जाति की लड़की से शादी से थे नाराजः याची ने कहा कि उसने माता-पिता की इच्छा के खिलाफ एक गैर जाति की लड़की से विवाह किया था. जिसके कारण उसके माता-पिता नाराज हो गए. इसके बाद उसकी बहनों और उनके पतियों के कहने पर उसके माता-पिता ने उक्त अधिनियम के तहत उसको घर से निकालने का अनुरोध किया. उनकी अर्जी पर पीठासीन अधिकारी के रूप में एसडीएम ने 8 जुलाई 2019 को आदेश दिया कि याची घर के जिस कमरे में रहता है और जिस दुकान का प्रयेाग करता है. उसके अलावा वह घर के अन्य किसी हिस्से में माता-पिता के अधिकार में दखल नहीं देगा. साथ ही अन्य आदेश भी पारित किये थे.

जिलाधिकारी ने दिया था आदेशः याची के माता-पिता उक्त आदेश से संतुष्ट नहीं हुए और इसके खिलाफ जिलाधिकारी, सुल्तानुपर के यहां अपील दाखिल कर दी. जिस पर जिलाधिकारी ने 22 नवंबर 2019 को याची को माता-पिता का घर व दुकान खाली करने का आदेश जारी कर दिया. साथ ही कहा कि यदि डेढ़ महीने में याची ऐसा नहीं करता तो पुलिस बल का प्रयेाग कर निष्कासन की कार्रवाई की जाए.

याची माता-पिता को देता था गुजारा भत्ताः सुनवाई के दौरान सामने आया कि याची के पिता की मृत्यु हो चुकी है. यह भी सामने आया कि जिस घर से जिलाधिकारी ने याची को निकालने का आदेश दिया है, वह काफी बड़ा है और उसमें कई दुकानें हैं. इसके अलावा याची की बहनें भी अपने परिवारों के साथ वहां रहती हैं. न्यायालय को यह भी बताया गया कि पारिवारिक न्यायालय के आदेश के अनुपालन में याची अपने माता-पिता को 4 हजार रुपये महीने गुजारा खर्चा भी देता रहा है.

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