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प्रदेश में महंगी नहीं होगी बिजली, ऊर्जा मंत्री ने कहा, उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा बोझ

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Published : Aug 3, 2023, 10:59 AM IST

Updated : Aug 4, 2023, 5:23 PM IST

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महंगाई की मार से परेशान प्रदेशवासियों को फिलहाल महंगी बिजली का झटका नहीं लगेगा. ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने राज्य के उपभोक्ताओं को राहत देते हुए बिजली के दाम नहीं बढ़ाए जाने की घोषणा की है.

लखनऊ : एक तरफ उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं के बिजली दरों को बढ़ाने के लिए लगातार नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने साफ कर दिया है कि प्रदेश में बिजली दरें नहीं बढ़ेंगी. महंगी बिजली का बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा. महंगाई के इस दौर में ऊर्जा मंत्री का उपभोक्ताओं से यह वादा उनके चेहरे पर खुशी लाने जैसा है. पहले से ही देश के अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश में बिजली दरें महंगी हैं. कंपनियां और भी बिजली दरों को बढ़ाने के लिए जोर लगा रही हैं, लेकिन अब ऊर्जा मंत्री के आश्वासन के बाद उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी फिलहाल नहीं होगी. बुधवार को एक होटल में आयोजित जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद कार्यक्रम में ऊर्जा मंत्री ने यह बात कही है.



ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने कहा कि 'प्रदेश सरकार उपभोक्ताओं को दी जा रही विद्युत आपूर्ति के सापेक्ष राजस्व प्राप्ति के लिए प्रयास कर रही है. उपभोक्ताओं से भी अनुरोध किया जा रहा है कि वे समय पर अपना बिजली का बिल जमा करें. प्रदेश की विद्युत व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए या सभी को 24 घंटे निर्बाध विद्युत आपूर्ति देने के लिए शत-प्रतिशत राजस्व प्राप्त करना है, साथ ही प्रदेश में हो रही विद्युत चोरी पर रोक लगे, शत-प्रतिशत बिलों की वसूली हो, उपभोक्ताओं की शिकायतों का त्वरित समाधान हो, इसे लेकर 31 जुलाई से छह अगस्त तक विद्युत उपभोक्ता एवं जन-प्रतिनिधि सम्पर्क अभियान प्रदेश के सभी जनपदों में चलाया जा रहा है.' उन्होंने कहा कि 'जन-प्रतिनिधियों के सहयोग, सुझाव और प्रयास से ही प्रदेश को 24 घंटे बिजली मिलेगी. जन शिकायतों और जन-प्रतिनिधियों की तरफ से उठाये गए मुद्दों की अनदेखी पर सख्त कार्रवाई की जायेगी. ऊर्जा मंत्री ने कहा कि बिजली आज आवश्यक जरूरत बन गयी है. इसके बगैर व्यवस्था को संचालित नहीं किया जा सकता है. प्रदेश में 3.25 करोड़ उपभोक्ता बिजली का लाभ ले रहे हैं.'


उन्होंने कहा कि 'प्रदेश में विद्युत चोरी होने से लाइन लास के साथ राजस्व हानि भी हो रही है. इस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है, साथ ही नेवर पेड कन्ज्यूमर और घरों व परिसर में मीटर न लगे होने वाले उपभोक्ता विभाग के लिए बड़ी समस्या हैं. ऊर्जा मंत्री ने कहा कि विद्युत व्यवस्था के आधारभूत संरचना पर कार्य किया जा रहा है. आरडीएसएस योजना के तहत जर्जर तार व पोल को हटाया जा रहा है. ट्रांसफार्मर, फीडर और उपकेंद्र की क्षमता वृद्धि की जा रही है. नए उपकेंद्र बनाये जा रहे हैं. बांस-बल्लियों के सहारे चल रही विद्युत आपूर्ति में पोल लगाने का भी प्रयास किया जा रहा है. जन शिकायतों की सुनवाई की भी व्यवस्था की गई है. सोमवार को सभी उपकेंद्रों में एसडीओ, एक्सईएन और सर्किल स्तर पर अधीक्षण अभियंता के स्तर से जनसुनवाई की जा रही है. मंगलवार को सभी मुख्य अभियंता एवं डिस्काम के प्रबंध निदेशक भी जनसुनवाई कर रहे हैं.'

अपर मुख्य सचिव और चेयरमैन ने भी रखी अपनी बात : अपर मुख्य सचिव ऊर्जा महेश कुमार गुप्ता ने कहा कि 'विद्युत व्यवस्था में सुधार के लिए जन-प्रतिनिधियों और विद्युत अधिकारियों के साथ संवाद स्थापित करने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है, जिसके बेहतर परिणाम आएंगे. जो भी सकारात्मक फीडबैक मिलेगा उसका अनुसरण किया जायेगा. उन्होंने कहा कि 80-90 प्रतिशत उपभोक्ताओं की शिकायतों का समाधान किया जा रहा है. उपभोक्ताओं से संवाद बनाने के लिए इतने ही उपभोक्ताओं की केवाईसी मिल चुकी है. अभी भी 25-30 प्रतिशत उपभोक्ता एक भी बार अपना बिजली का बिल नहीं जमा किये.'

यूपीपीसीएल चेयरमैन डॉ. आशीष कुमार गोयल ने कहा कि 'विद्युत कार्मिकों को व्यवस्था में सुधार के साथ-साथ अपनी कार्य संस्कृति में भी बदलाव के लिए कार्य करना होगा. विद्युत व्यवस्था में वर्ष 2017 के बाद से अभूतपूर्व सुधार हुए हैं, इसमें और सुधार किया जायेगा. इसके पहले 8-10 घंटे बिजली आती थी और महीनों में ट्रांसफार्मर बदले जाते थे. उन्होंने कहा कि बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए फीडबैक लेने व जन समस्याओं के त्वरित निस्तारण के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है.'



जनप्रतिनिधियों ने भी रखी अपनी बात : कार्यक्रम में उत्तरी लखनऊ के विधायक डॉ. नीरज बोरा ने कहा कि 'लखनऊ की आबादी के अनुपात में उपभोक्ताओं की संख्या कम है, यहां 75 प्रतिशत अनियोजित कॉलोनी है, जिस पर बहुतायत में लोग रहते हैं. अधिकांश ऐसी जगहों पर बांस-बल्ली के सहारे कनेक्शन चल रहा है, जिसमें पोल लगाया जाना चाहिए. ऐसी कॉलोनियों में हाइटेंशन लाइन घरों की छतों के ऊपर से गुजर रही हैं, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं. ऐसे स्थानों पर लाइन को अंडरग्राउंड किया जाना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि कहीं-कहीं पर रिपेयर ट्रांसफार्मर लगने से ओवर बिलिंग हो रही है, जिसका टेक्निकल ऑडिट जरूरी है. कहा कि एक्शन प्लान बनाकर बिजली चोरी रोकने के प्रयास हो. मलिहाबाद की विधायक जयदेवी ने अपने क्षेत्र में दुबग्गा पावर हाउस के जेई और एसडीओ द्वारा फोन न उठाने और मनमानी करने की बात कही.'

विधायक बख्शी का तालाब योगेश शुक्ला ने कहा कि 'योगी सरकार में बिजली व्यवस्था में काफी सुधार हुआ. मेरे क्षेत्र के अधिकांश गांवों में सौभाग्य योजना से विद्युतीकरण हुआ. कहा कि किसानों को सिंचाई के लिए 10 घंटे की एक निर्धारित आपूर्ति दी जाय, जिससे वे अपनी फसलों की सिंचाई कर सकें. उन्होंने अपने क्षेत्र में विजलेंस द्वारा की गई कार्रवाई की भी शिकायत की और विभाग द्वारा 35 रुपए प्रति वर्गफीट की दर से चलाई जा रही कनेक्शन योजना गरीबों के लिए उपयोगी नहीं है, ऐसा भी कहा.' मोहनलालगंज के विधायक अमरेश कुमार ने कहा कि 'बिजली व्यवस्था में व्यापक सुधार हो रहा है. उन्होंने कहा कि मोहनलालगंज के 87 गांवों में बिजली नहीं थी, अब सभी गांवों में बिजली पहुंच चुकी है.

सौर ऊर्जा व जैव ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए निवेशकों को उपलब्ध कराई जाएगी जमीन : उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार जलवायु परिवर्तन के वर्तमान और सम्भावित प्रभाव को महत्व देते हुए स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देगी. प्रदेश में सौर ऊर्जा परियोजनाओं/जैव ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए जमीन की उपलब्धता एक बड़ी बाध्यता है. सौर ऊर्जा नीति-2022 और उत्तर प्रदेश जैव ऊर्जा नीति-2022 में सौर ऊर्जा परियोजनाओं/जैव ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए निजी निवेशकों को शासकीय भूमि उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था दी गई है.




ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने बताया कि सौर ऊर्जा परियोजनाओं/जैव ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए सार्वजनिक उपक्रमों को एक रुपये प्रति एकड़/प्रतिवर्ष के सांकेतिक मूल्य पर और निजी निवेशकों को 15000 रुपये प्रति एकड़/प्रतिवर्ष की लीज रेन्ट पर अधिकतम 30 वर्षों के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाएगी. निवेशक के साथ यूपी नेडा की तरफ से लीज डीड हस्ताक्षरित की जाएगी. लीज डीड के निष्पादन के लिए देय स्टाम्प शुल्क या अन्य देयताओं का वहन लीज पर भूमि प्राप्त करने वाले निवेशक की तरफ से किया जाएगा. लीज अहस्तान्तरणीय होगी और आगे किसी को ट्रान्सफर या सबलेट नहीं की जाएगी. लीज पर दी गई भूमि का उपयोग सिर्फ अनुमोदित परियोजना के लिए ही किया जाएगा. उन्होंने बताया कि निवेशक एक माह के अन्दर अपनी फाइनेन्शियल नेटवर्थ, डीपीआर, बैकवर्ड एंड फारवर्डलिंकेज और अन्य सुसंगत विवरण यूपी नेडा के समक्ष रखेंगे. उच्चस्तरीय समिति के अनुमोदन के बाद लीज डीड निष्पादित की जा सकेगी. जमीन उपलब्ध कराये जाने के दो माह के अंदर अगर निवेशक परियोजना के निर्माण की कार्रवाई शुरू नहीं करेगा तो निवेशक को लीज पर दी गई जमीन यूपी नेडा की तरफ से निवेशक को एक सुनवाई का अवसर देकर उच्चस्तरीय समिति के अनुमोदन के बाद वापस ली जाएगी. निवेशक वार्षिक लीज रेन्ट अग्रिम रूप में यूपीनेडा में जमा करेगा.

पाॅवर काॅरपोरेशन ने नियामक आयोग में दाखिल किया जवाब


उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों ने नई कॉस्ट डाटा बुक को लेकर विद्युत नियामक आयोग में अपना जवाब दाखिल किया है. कॉस्ट डाटा बुक पर ये सवाल उपभोक्ता परिषद ने उठाए थे. पाॅवर काॅरपोरेशन उपभोक्ता सामग्रियों की दरों में 20 से 25 प्रतिशत वृद्धि के लिए पूरा जोर लगा रहा है, लेकिन नियामक आयोग में सवाल उठने से कामयाबी नहीं मिल पा रही है. जहां पाॅवर काॅरपोरेशन आने वाले समय में उपभोक्ताओं के नए कनेक्शन की दरों में वृद्धि चाहता है वहीं दूसरी ओर विद्युत नियामक आयोग पाॅवर काॅर्पोरेशन के जवाब के बाद मंथन में लगा है. नियामक आयोग ने पाॅवर काॅरपोरेशन से कुछ सवालों का फिर से जवाब मांग लिया है.




पाॅवर काॅरपोरेशन की तरफ से दाखिल जवाब में तर्क दिया गया है कि कॉस्ट डाटा बुक चार वर्ष बाद बन रही है. इसलिए 20 से 25 प्रतिशत की वृद्धि स्वाभाविक है. दूसरी ओर पाॅवर काॅरपोरेशन के निदेशक वाणिज्य अमित कुमार श्रीवास्तव की तरफ से उपभोक्ता परिषद की तरफ से उठाए गए बिंदुओं पर जो जवाब आयोग में दाखिल किया गया है उसमें पूरी तरीके से स्पष्ट किया गया है कि पाॅवर काॅरपोरेशन ने जो दरें नई कॉस्ट डाटा बुक में प्रस्तावित की है. वह पाॅवर काॅरपोरेशन के स्टाक इशू रेट वर्ष 2022 -23 के आधार पर प्रस्तावित की हैं.

पाॅवर काॅरपोरेशन का मानना है कि स्टॉक इश्यू रेट में शामिल सभी उपभोक्ता सामग्रियों में भले ही जीएसटी शामिल है, लेकिन पाॅवर काॅरपोरेशन कॉस्ट डाटाबुक में एक बार और जीएसटी लेने का पक्षधर है. पाॅवर काॅरपोरेशन ने स्पष्ट लिखा है अगर दोबारा जीएसटी नहीं ली गई तो इससे बिजली निगम को वित्तीय हानि होगी. पाॅवर काॅरपोरेशन ने अपने जवाब में यह भी लिखा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर के सभी टेंडर फाइनल नहीं किए गए हैं. इसलिए उसकी दरें अभी कॉस्ट डाटा बुक में शामिल किया जाना सही नहीं है.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि काॅरपोरेशन कितना भी जोर लगा ले, लेकिन उसे उपभोक्ताओं का उत्पीड़न नहीं करने दिया जाएगा. सवाल किया कि यह देश का कौन सा कानून है कि पहले उपभोक्ता सामग्री की दरों में जीएसटी शामिल कर नई कॉस्ट डाटा बुक में दरें प्रस्तावित की गई और उसमें बड़ी चालाकी से लिख दिया कि जीएसटी शामिल नहीं है. अब पाॅवर काॅरपोरेशन जवाब दे रहा है कि अगर डबल जीएसटी न वसूली गई तो बिजली कंपनियों का नुकसान होगा और अब फिर जीएसटी लगाकर नई कॉस्ट डाटा बुक बनवाना चाहते हैं. अवधेश वर्मा का कहना है कि उपभोक्ताओं से डबल जीएसटी से भी ज्यादा लगभग 37 प्रतिशत जीएसटी लेने की तैयारी की जा रही है, क्योंकि जब एक बार जीएसटी लग चुकी है तब फिर से उस पर जीएसटी लगाई जाएगी तो वह दोगुने से भी अधिक हो जाएगी.


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Last Updated :Aug 4, 2023, 5:23 PM IST
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