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विवादों में घिरे स्मार्ट मीटर को बजट में बढ़ावा, परिषद ने उठाए सवाल

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Published : Feb 2, 2021, 5:57 AM IST

बजट 2021-2022 को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा क्षेत्र के लिए निराशाजनक बताते हुए सवाल खड़े किए हैं. विवादों में घिरे स्मार्ट मीटर के साथ ही निजीकरण को बढ़ावा देने वाला बजट करार दिया है. कहा कि पहले स्मार्ट मीटर के टेक्नॉलाजी पर ध्यान देना चाहिए.

स्मार्ट मीटर
स्मार्ट मीटर

लखनऊः उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा क्षेत्र के लिए बजट को निराशाजनक बताते हुए सवाल खड़े किए हैं. विवादों में घिरे स्मार्ट मीटर के साथ ही निजीकरण को बढ़ावा देने वाला बजट करार दिया है.

'सरकार का हिडेन एजेंडा'
विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में उर्जा नीति को लेकर कई एलान किए हैं. उससे पूरी तरह सिद्ध हो रहा है कि ऊर्जा क्षेत्र निजीकरण की तरफ बढ़ेगा, जो उपभोक्ताओं के हित में नहीं है. पूरे ऊर्जा क्षेत्र के बजट के प्रावधान से यह तय हो गया है कि केंद्र सरकार बिजली क्षेत्र के निजीकरण पर क्यों आमादा है. जिस प्रकार से कहा गया है कि बिजली उपभोक्ताओं को बिजली कंपनी चुनने का अधिकार होगा. ये अच्छी बात है, लेकिन इसमें केंद्र सरकार का हिडेन एजेंडा छिपा है.

स्मार्ट मीटर की टेक्नोलॉजी पर नहीं है ध्यान
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बजट में वित्त मंत्री ने अगले तीन साल में राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों से पुराने मीटर बदलकर प्रीपेड मीटर लगाने का आग्रह किया है, लेकिन उन्हें यह भी सोचना चाहिए था कि पूरे देश में स्मार्ट मीटर की टेक्नोलॉजी विवादों में घिरी है. उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर का भार जम्प कर रहा है. ऐसे में पहले स्मार्ट प्रीपेड मीटर की टेक्नोलॉजी पर बात होनी चाहिए.

स्मार्ट मीटर पर सवाल
अवधेश कुमार ने कहा कि पूरे देश में डिस्कॉम अरबों रुपए के घाटे में हैं, ऐसे में उपभोक्ताओं के चलते मीटर उतार कर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना कहां की बुद्धिमानी है? इससे केवल मीटर निर्माता कम्पनियों को बड़ा लाभ होगा और कुछ नहीं. इसके साथ ही इस बजट में पावर-एनर्जी के लिए 22 हजार करोड़ रुपये का एलान किया गया है, इससे कुछ नहीं होने वाला.

बिजली सस्ती करने पर ध्यान नहीं
विश्व ऊर्जा कौंसिल के स्थायी सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बजट में ऊर्जा क्षेत्र को भारी निराशा हाथ लगी है. अब सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि सौभाग्य योजना के तहत लगभग दो करोड़ 47 लाख घरों को पूरे देश में बिजली दी गई, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार को इस बजट में यह भी सोचना चाहिए था कि कनेक्शन देने मात्र से उनके घरों में उजाला नहीं होगा. गरीब परिवारों के घरों में लगातार उजाला तभी सम्भव है जब उनकी बिजली दरें कम हों.

डिस्कामों के घाटे बढे़
उन्होंने कहा कि इस बजट में पूरे देश का सौभाग्य योजना के तहत जगमग परिवार इस आस में था कि उनकी बिजली दरों के लिए मोदी सरकार कोई नई योजना लाकर उन्हें सस्ती दरों पर बिजली का इंतजाम करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उदय स्कीम लागू होने के बाद भी पूरे देश में डिस्कामों के घाटे बढ़ गए. इस योजना के बदलाव पर क्यों नहीं ध्यान दिया गया? सौभाग्य योजना के तहत पूरे देश में कुछ गिनी चुनी कम्पनियों ने घटिया सामग्री लगाकर उपभोक्ताओं को बेवकूफ बनाया उस ओर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया.

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