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ब्रजेश पाठक ने कहा-घबराएं नहीं, डेंगू से बचाव के लिए सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त दवाएं

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 19, 2023, 9:58 PM IST

Updated : Sep 19, 2023, 10:24 PM IST

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने का कहना है कि लोगों को डेंगू को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है. सरकार अस्पतालों में डेंगू से बचाव के लिए सभी प्रकार के इंतजाम हैं, दवाओं की भी कमी नहीं है.

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लखनऊ : उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने लोगों से कहा है कि डेंगू से घबराने की जरूरत नहीं है. प्रदेश के अस्पतालों में पर्याप्त दवाएं एवं निशुल्क इलाज की व्यवस्था है. सभी सीएचसी एवं पीएचसी पर भी डेंगू से निपटने के इंतजाम हैं. तेज बुखार अथवा अन्य लक्षण दिखते ही तुरंत जांच कराएं. सभी अस्पतालों को डेंगू की रोकथाम के निर्देश दे दिए गए हैं. अफवाहों पर कतई ध्यान न दें.

लखनऊ में डेंगू का प्रकोप.
लखनऊ में डेंगू का प्रकोप.


डिप्टी सीएम ने बताया कि प्रदेश के अस्पतालों में प्लेटलेट्स, रक्त और बेड की कोई कमी नहीं है. सभी अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जरूरत पड़ने पर डेंगू के मरीजों को भर्ती करें. मौसम बदलने की वजह से लोगों को वायरल बुखार भी आ रहा है. अगर लक्षण दिखाई देते हैं तो डेंगू की जांच जरूर कराएं.अफवाहों पर कतई ध्यान न दें. उपमुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की कि वे डेंगू का प्रसार रोकने के लिए अपने स्तर पर भी प्रयास करें. कहीं पर भी पानी जमा न होने दें. इसी पानी में डेंगू के मच्छर पनपते हैं. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग एवं नगर विकास विभाग लगातार मिलकर कार्य कर रहे हैं. साफ-सफाई के साथ एंटीलार्बल स्प्रे, फॉगिंग, डेंगू बचाव के प्रति जागरूकता अभियान आदि चलाए जा रहे हैं.



बुखार आने पर चिकित्सक से लें सलाह : डिप्टी सीएम ने कहा कि चिकित्सकों की सलाह के मुताबिक तरल पदार्थ लें. धीरे-धीरे प्लेटलेट बढ़ जाती हैं. मच्छरदानी का प्रयोग करते हुएं आराम करें. गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चों एवं वृद्धों का विशेष ध्यान रखें. कूलर, पानी की टंकी, पुराने टायर आदि की सफाई रखें. डेंगू से घबराने की कतई आवश्यकता नहीं है. आमजन को गुणवत्ता परख इलाज मुहैया कराना प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है.

मरीजों को दिए गए दही में कीड़े निकलने पर हंगामा

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ईएनटी विभाग में भर्ती मरीजों को खाने के साथ दिए गए दही में कीड़े निकलने पर हंगामा हो गया. मरीजों ने नाराजगी जताते हुए खाने की थाली वार्ड से बाहर रख कर विरोध जताया. अफसरों के समझाने पर आक्रोशित मरीज व तीमारदार शांत हुए.

मरीजों को दिए गए दही में कीड़े निकलने पर हंगामा .
मरीजों को दिए गए दही में कीड़े निकलने पर हंगामा .



केजीएमयू में भर्ती मरीजों को मुफ्त भोजन मुहैया कराया जाता है. मंगलवार दोपहर मरीजों को भोजन परोसा जा रहा था. ईएनटी विभाग के वार्ड चार में मरीजों को भोजन बांटा गया. मरीजों ने जब पैकट बंद दही खोला तो उसमें कीड़े नजर आए. एक के बाद एक कई मरीज दही में कीड़े निकलने की शिकायत करने लगे. इस पर मरीज व तीमारदार भड़क गए. मरीज और तीमारदारों का आक्रोश बढ़ता देख खाना परोसने वाले भाग निकले. केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि यह बड़ी लापरवाही है. जानकारी लेकर सख्त ऐक्शन लिया जाएगा.

सांस के मरीज अपनी हड्डियों का भी ख्याल रखें : डॉ. सूर्यकान्त


विश्व फिजियोथेरेपी जागरूकता माह सितम्बर में मनाया जाता है. केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में विश्व फिजियोथेरेपी जागरूकता माह के मौके पर श्वसन पुनर्वास एवं बोन मिनिरल डेनसिटी के लिए जागरूकता शिविर आयोजित हुआ. इस मौके पर विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि सांस के रोगियों को दौड़ने पर, भागने पर, सीड़ी चढ़ने पर और तेज चलने पर सांस फूलती है. इसलिए वह चलने से बचते हैं, उम्र के साथ उनकी हड्डियां भी कमजोर हो जाती है. ऐसे सांस के रोगी जो कई सालों से सांस के रोगी है और उम्र भी 40 के ऊपर है. ऐसे रोगियों का अपनी हड्डियों की क्षमता (बोन मिनिरल डेनसिटी) की जांच जरूर करवानी चाहिए.

विश्व फिजियोथेरेपी जागरूकता माह.
विश्व फिजियोथेरेपी जागरूकता माह.

शिविर में 60 मरीजों की बोन मिनिरल डेनसिटी की निशुल्क जांच की गई. सांस के रोगियों में लगभग 70 प्रतिशत लोगों की बोन मिनिरल डेनसिटी (बीएमडी) कम पायी गई. इन सभी को समुचित उपचार दिया गया. डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि सांस के मरीजों को हड्डियों की क्षमता को बढ़ाने के लिए धूप में जरूर बैठना चाहिए और चलते रहें. वाकिंग इज दी बेस्ट एक्सरसाइज और रक्त में कैल्शियम, विटामिन डी की जांच बीच-बीच में अवश्य कराते रहें. इसके अलावा जिन लोगों को हड्डियों में या शरीर में दर्द रहता है उन लोगों को बोन मिनिरल डेनसिटी और रक्त में कैल्शियम, विटामिन डी की जांच अवश्य करवानी चाहिए. जिनकी सांस कई वर्षों से फूल रही हो उन्हें भी साल भर में एक बार बोन मिनिरल डेनसिटी की जांच अवश्य करानी चाहिए और अगर यह कम पायी जाती है तो अपने चिकित्सक से सलाह लें और इसका उचित इलाज करें.

विश्व फिजियोथेरेपी जागरूकता माह में शामिल चिकित्सक.
विश्व फिजियोथेरेपी जागरूकता माह में शामिल चिकित्सक.

इस मौके पर श्वसन पुर्नवास के लिए कार्डियो रेस्पिरेटरी फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. शिवम श्रीवास्तव ने श्वसन पुर्नवास फिजियोथेरेपी की एक्सरसाइजेस की सलाह दी और सोशल वर्कर जिज्ञासा सिंह ने सभी मरीजों की काउंसिलिंग की साथ ही डाइटिशियन दिव्यानी गुप्ता ने डाइट की सलाह दी. डॉ. अंकित कुमार ने बताया कि श्वसन पुर्नवास पर आने वाले समस्त सांस के रोगियों का विशेष ख्याल रखा जाता है और हमेशा जानकारी ली जाती है कि उनकी हड्डियां कमजोर हैं कि नहीं. इसी आधार पर उन सभी को चिकित्सकीय सलाह दी जाती है. इस मौके पर विभाग के चिकित्सक डॉ. एसके वर्मा, डॉ. आरएस कुशवाहा, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. राजीव गर्ग, डॉ. अजय कुमार वर्मा, डॉ. दर्शन कुमार बजाज, डॉ. ज्योति बाजपाई, डॉ. अंकित कुमार, जूनियर डाक्टर्स एवं विभाग के अन्य कर्मचारीगण भी मौजूद रहे.

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Last Updated : Sep 19, 2023, 10:24 PM IST
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