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Deputy CM Brijesh Pathak ने कहा, मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर विकसित होगा बलरामपुर अस्पताल

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Published : Feb 3, 2023, 9:42 PM IST

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बलरामपुर अस्पताल की काया पलट होने वाली है. उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक (Deputy CM Brijesh Pathak) ने अस्पताल को मेडिकल काॅलेज की तर्ज पर विकसित किए जाने के निर्देश दिए.

उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक

लखनऊ : मरीजों को इलाज मुहैया कराया जाए. इसमें किसी भी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए. आधुनिक सुविधाओं से अस्पताल को लैस किया जाए, ताकि गंभीर रोगियों को और बेहतर इलाज मिल सके. इसके लिए बजट की कमी आड़े नहीं आने दिया जाएगा. बलरामपुर अस्पताल को मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर विकसित किया जाए. ये निर्देश उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने दिए. वह शुक्रवार को अस्पताल के 154 वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे.

उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि 'बलरामपुर अस्पताल प्रदेश के चुनिंदा सरकारी अस्पतालों में एक है. बेड के लिहाज से सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है. अस्पताल में इलाज के साथ पढ़ाई की सुविधा को बढ़ावा मिलना चाहिए.' उन्होंने कहा कि 'शोध कार्य की दिशा में भी कदम बढ़ाने की जरूरत है. सरकारी हर स्तर पर अस्पताल की मदद को तैयार है. अस्पताल प्रस्ताव बनाकर भेजे. पूरी मदद होगी.' उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि 'रोगियों के हित में सरकार लगातार कदम उठा रही है. नई योजनाओं को शुरू किया जा रहा है. सरकारी अस्पताल के अधिकारी थोड़ा संजीदा रहकर मरीजों को असुविधा से बचा सकते हैं.'


उप मुख्यमंत्री ने कहा कि 'रोगी कल्याण समिति के बजट का अस्पताल भरपूर नियमानुसार उपयोग करें. अस्पताल के दरवाजे खिड़की, साफ-सफाई, पानी आदि की सुविधा को व्यवस्था रखने पर बजट खर्च करें. इन छोटी-छोटी दिक्कतों को दूर कर अस्पताल को बेहतर बना सकते हैं.' उप मुख्यमंत्री ने लावारिस वार्ड का नाम बदलने की अपील की. प्रेक्षागृह में बैठे लोगों से सुझाव मांगे. डॉक्टरों ने लावारिश वार्ड का नाम पद्मश्री डॉ. एससी राय के नाम पर करने का सुझाव दिया. लिहाजा अब लावारिस वार्ड का नाम डॉ. एससी राय वार्ड के नाम से जाना जाएगा.

स्वास्थ्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने कहा कि 'सरकारी अस्पतालों के प्रति रोगियों का भरोसा बढ़ रहा है. यह सब डॉक्टर व कर्मचारियों की मेहनत का नतीजा है. ओपीडी व भर्ती रोगियों की सेहत का खयाल रखें.' नियमित राउंड लें. कार्यक्रम में बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. रमेश गोयल, सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे.

अस्पताल के सीएमएस डॉ जीपी गुप्ता ने बताया कि 'चिकित्सालय में पीपीपी मॉडल पर विकसित 13 डायलिसिस मशीन युक्त हीमोडायलिसिस यूनिट भी संचालित है, जहां लगभग 35-40 रोगियों की प्रतिदिन डायलिसिस की जाती है. साथ ही चिकित्सालय में अपनी अलग सात डायलिसिस मशीन युक्त डायलिसिस यूनिट भी है, जहां पर प्रतिदिन 14 गंभीर रोगियों को डायलिसिस दो शिफ्टों में की जाती है. चिकित्सालय के दन्त रोग विभाग में सुपरस्पेशिलिस्ट डेंटल सर्जन उपलब्ध हैं. चिकित्सालय के दन्त संकाय में आधुनिकतम आरवीजी (डिजिटलाइज्ड एक्स-रे) आदि की सुविधा उपलब्ध है. बलरामपुर चिकित्सालय प्रादेशिक चिकित्सा सेवाओं का एकमात्र ऐसा चिकित्सालय है, जहां पर आरसीटी की सुविधा भी उपलब्ध है. बलरामपुर चिकित्सालय, लखनऊ प्रदेश का मॉडल एआरबी वैक्सीनेशन सेंटर है.



उन्होंने कहा कि 'इसके अलावा चिकित्सालय में 24 घंटे आधुनिक पैथोलॉजी जांचों की सुविधा आईएसओ सर्टीफाइड, एनएबीएल प्रमाणित लैब द्वारा दी जा रही है. प्रादेशिक चिकित्सा सेवाओं की प्रथम एवं एकलौती हिस्टोपैथोलॉजी लैब, माइक्रोबायोलॉजी लैब और 24 घंटे संचालित होने वाली आरटीपीसीआर लैब भी क्रियाशील है. रेडियोलॉजी जांचें जिसमें आधुनिक 3डी सीटी स्कैन एवं अल्ट्रासाउंड की सुविधा भी उपलब्ध है. चिकित्सालय में प्रदेश की एकमात्र आधुनिक स्किन ओटी भी संचालित है.'

ऐसे हुआ अस्पताल का विस्तार : अस्पताल के निदेशक डॉ. रमेश गोयल ने बताया कि 'राजा बलरामपुर ने इसका विस्तार किया. 36 बेड पर मरीजों का इलाज शुरू हुआ. उपकरण भी लगाए गए. वर्ष 1948 में बलरामपुर अस्पताल सरकार के अधीन कर दिया गया. उस वक्त 20 बेड और बढाए गए. एक विशेषज्ञ व तीन एमबीबीएस डॉक्टर तैनात किए गए. साथ ही तीन कम्पाउंडर, 20 नर्स और 50 कर्मचारी रखे गए. उस वक्त यहां रोजाना करीब 200 मरीज देखे जाते थे.'

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