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लोहिया संस्थान में कैंसर के मरीजों की 'मिलान सिस्टम' से होगी जांच

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Published : Jan 22, 2020, 3:06 AM IST

लखनऊ और आसपास के इलाके में रहने वाले लोगों के लिए अब कैंसर की जांच आसान हो जाएगी. 'मिलान सिस्टम' के जरिए अब कैंसर के मरीजों की जांच आसानी से की जा सकेगी.

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लोहिया संस्थान

लखनऊ: लोहिया संस्थान में आने वाले दिनों में मरीजों को बायोप्सी जांच के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. लोहिया संस्थान में 'मिलान सिस्टम' के माध्यम से कैंसर के मरीजों का पता लगाया जा सकेगा. इसके लिए तमाम तरह की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.

मिलान सिस्टम से होगी कैंसर की जांच.

लोहिया संस्थान में 'मिलान सिस्टम' के माध्यम से लार ग्रंथि के कैंसर की सटीक जांच मुमकिन है. ऐसे में मरीजों में बायोप्सी का झंझट खत्म हो गया है. 300 मरीजों में की गई जांच में रिस्क आफ कैंसर के सही परिणाम पाए गए. इसके बाद लोहिया संस्थान में साईंटोपैथोलॉजी लैब में कैंसर की जांच में मिलान सिस्टम लागू किया गया है. इस दौरान फर्स्ट नीडल एस्पिरेशन एजेंसी के जरिए मरीज की ग्रंथि से फ्ल्यूड निकाला जाएगा. वहीं मिलान सिस्टम में तय मानक के अनुसार कैंसर की कैटेगरी की कुल 151 मरीजों पर मिलान सिस्टम को फॉलो कर शोध किया गया है.

डॉक्टरों का दावा है कि लार ग्रंथि की जांच में मिलान सिस्टम 98 से 100 फीसदी तक उपयोगी साबित होगा. वहीं 'मिलान सिस्टम' हो जाने के बाद लोहिया संस्थान में कैंसर के मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. बायोप्सी रिपोर्ट के देर में आने की वजह से कैंसर के मरीजों का इलाज रुका रहता था, लेकिन अब इस सिस्टम के लागू हो जाने के बाद यहां आने वाले कैंसर के मरीजों की जांच इस माध्यम से की जा सकेगी. इतना ही नहीं मरीजों को अब सटीक इलाज भी दी जा सकेगी.

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डॉक्टरों के मुताबिक एफएनसी जांच में एक निडिल के जरिए फ्लूड और मटेरियल लेते हैं. वहीं मिलान सिस्टम से यह रिपोर्ट 48 घंटे में तैयार हो जाती है. इसका शुल्क लगभग 100 रुपया होता है. वही कैंसर की कैटेगरी तय करने के लिए बायोप्सी जांच में मरीज की मांस का टुकड़ा लिया जाता है. इसमें मरीज को एनेस्थीसिया दी जाती है. रिपोर्ट आने में 3 से 5 दिन लग जाते हैं. वहीं इसकी जांच कराने में मरीज का 2 हजार से 3 हजार तक का खर्चा हो जाता है, लेकिन मिलान सिस्टम लागू होने से मरीजों को इसका फायदा मिलेगा.

इंटरनेशनल मान्यता प्राप्त है 'मिलान सिस्टम'
लोहिया संस्थान के डॉक्टरों के मुताबिक इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ साइंटोलॉजी और अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ साइंटोपैथोलॉजी द्वारा वर्ष 2017 में मिलान सिस्टम कैटेगरी विकसित की गई थी. इसमें 6 कैटेगरी तय की गई. लिहाजा जांच की फाइंडिंग 6 कैटेगरी तय की गई है. रिस्क ऑफ कैंसर मरीज का ट्रीटमेंट मैनेजमेंट की गाइडलाइन रिपोर्टिंग में तय हो जाती है. वहीं सिस्टम से बनी रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य है.

Intro:



लखनऊ के लोहिया संस्थान में आने वाले दिनों में मरीजों को बायोप्सी जांच के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा और लोहिया संस्थान में 'मिलान सिस्टम' के माध्यम से कैंसर के मरीजों का पता लगाया जा सकेगा।इसके लिए तमाम तरह की तैयारियां पूरी कर ली गई है।




Body:लोहिया संस्थान में मिलान सिस्टम के माध्यम से लार ग्रंथि के कैंसर की सटीक जांच मुमकिन है। ऐसे में मरीजों में बायोप्सी का झंझट खत्म हो गया है। 300 मरीज में की गई जांच में रिस्क आफ कैंसर के सही परिणाम पाए गए।जिसके बाद लोहिया संस्थान में साईंटोपैथोलॉजी लैब मे कैंसर की जांच में मिलान सिस्टम लागू किया गया है। इस दौरान फर्स्ट नीडल एस्पिरेशन एजेंसी के जरिए मरीज की ग्रंथि से फ्ल्यूड निकाला जाएगा। वहीं मिलान सिस्टम में तय मानक के अनुसार कैंसर की केटेगरी की कुल 151 मरीजों पर मिलान सिस्टम को फॉलो कर शोध किया गया है। डॉक्टरों का दावा है कि लार ग्रंथि की जांच में मिलान सिस्टम 98 से 100 फ़ीसदी तक की उपयोगी साबित होगा।तो वही 'मिलान सिस्टम' हो जाने के बाद लोहिया संस्थान में कैंसर के आने वाले मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। तो वही बायोप्सी रिपोर्ट के देर में आने की वजह से कैंसर के मरीजों का इलाज रुका रहता था। लेकिन अब इस सिस्टम के लागू हो जाने के बाद यहां आने वाले कैंसर के मरीजों की जांच इस माध्यम से की जा सकेगी और उनको सटीक इलाज उसके माध्यम से दिया जा सकेगा।

बेवजह बायोप्सी का झंझट खत्म

डॉक्टरों के मुताबिक एफएनसी जांच में एक निडिल के जरिए फ्लूड व मटेरियल लेते हैं। वही मिला सिस्टम से यह रिपोर्ट 48 घंटे में तैयार हो जाती है। इसका शुल्क लगभग ₹100 होता है। वही कैंसर की कैटेगरी तय करने के लिए बायोप्सी जांच में मरीज की मांस का टुकड़ा लिया जाता है।इसमें मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाती है।वही रिपोर्ट आने में 3 से 5 दिन लग जाते हैं। वहीं 2 से ₹3000 तक की मरीज इस जांच कराने में खर्चा हो जाता है।लेकिन मिलान सिस्टम लागू होने से मरीजों को इसका फायदा मिलेगा।

मिलान सिस्टम को इंटरनेशनल मान्यता प्राप्त

लोहिया संस्थान के डॉक्टरों के मुताबिक इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ साइंटोलॉजी व अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ साइटोपैथोलॉजी द्वारा वर्ष 2017 में मिलान सिस्टम केटेगरी विकसित की गई थी। इसमें 6 कैटेगरी तय की गई।लिहाजा जांच की फाइंडिंग 6 केटेगरी तय की गई है। रिस्क ऑफ कैंसर मरीज का ट्रीटमेंट मैनेजमेंट की गाइडलाइन रिपोर्टिंग में तय हो जाती है। वही सिस्टम से बनी रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य है।

बाइट- डॉ भुवन तिवारी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, लोहिया संस्थान




Conclusion:हालांकि उम्मीद है इस 'मिलान सिस्टम' के लागू हो जाने के बाद यहां आने वाले कैंसर के मरीजों को बेहतर चिकित्सा उपचार मिल पाएगा और इस मिलान सिस्टम के लागू हो जाने के बाद कैंसर के मरीजों को भी जांच रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

एंड पीटीसी
शुभम पाण्डेय
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