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विश्व हृदय दिवस: 30 वर्ष की उम्र में जरूर करवाएं एडजेक्टिव हेल्थ चेकअप-विशेषज्ञ

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Published : Sep 29, 2021, 10:29 PM IST

यूपी की राजधानी लखनऊ में विश्व हार्ट दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान महिला विशेषज्ञ डॉ रेखा सचान ने बताया कि अक्सर अधिक उम्र में होने वाली इस तरह की साइलेंट बीमारियां अब युवाओं पर खतरा मंडरा रहा है. मात्र 40 प्रतिशत महिलाओं को हार्ट अटैक का माइनर अटैक आता है. महिलाओं की तुलना में इससे पुरुष और युवा अधिक पीड़ित होते हैं.

विश्व हृदय दिवस
विश्व हृदय दिवस

लखनऊ: हृदयाघात या उससे जुड़ी साइलेंट बीमारियों से बचना चाहते हैं तो इसके लिए एडजेक्टिव हेल्थ चेकअप की प्रक्रिया होती है. 30 वर्ष की उम्र में यह टेस्ट करवा लेना चाहिए. यह बातें विश्व हार्ट दिवस पर हार्टअटैक स्पेशलिस्ट डॉ बीसी तिवारी ने कही.

आखिर कैसे पता चले कि अचानक ऐसी कोई बीमारी आ सकती है, जिसमें चिकित्सक के पास पहुंचने का भी वक्त नहीं मिलेगा? ऐसे में किस तरह की सावधानियां बरतकर हृदयाघात से बचा जा सकता है? शरीर में किन परिवर्तनों को इसका संकेत माना जा सकता है. इन सभी मुद्दों पर क्वीन मेरी महिला अस्पताल में बुधवार को जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ.


महिलाओं की तुलना में पुरूषों को अधिक हार्ट अटैक
कार्यक्रम के दौरान महिला विशेषज्ञ डॉ रेखा सचान ने बताया कि अक्सर अधिक उम्र में होने वाली इस तरह की साइलेंट बीमारियां अब युवाओं पर खतरा मंडरा रहा है. मात्र 40 प्रतिशत महिलाओं को हार्ट अटैक का माइनर अटैक आता है. महिलाओं की तुलना में इससे पुरुष और युवा अधिक पीड़ित होते हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने जीवन साथी से खुलकर बात करना चाहिए. कई बार बहुत सी बातें पुरुष अकेले झेलते है. किसी से साझा नही करते. हर व्यक्ति को खुलकर जीना चाहिए ताकि कोई भी बात दिल और दिमाग पर हावी न पड़े.

कोरोनरी आर्टरी में ब्लाकेज सबसे बड़ी वजह
इस दौरान हार्टअटैक स्पेशलिस्ट डॉ बीसी तिवारी ने कहा कि हृदयाघात और अकस्मात मृत्यु का प्रमुख कारण है. कोरोनरी आर्टरी (धमनी) में ब्लाकेज. वजह से हार्टअटैक और अकस्मात मृत्यु का खतरा 20 फीसद होता है. व्यायाम करते समय, ट्रेडमिल पर दौड़ते वक्त या फिर तनाव की स्थिति में भी हृदयाघात हो सकता है. कई बार हम सुनते हैं कि कोई 30 वर्ष का व्यक्ति कसरत कर रहा था और उसकी ट्रेडमिल पर ही मृत्यु हो गई. इसका मतलब उस व्यक्ति को पहले से कोई न कोई परेशानी रही होगी जिसका उसे पता नहीं चला. कुछ मामलों में ऐसा भी होता है कि व्यक्ति रात को हंसते खेलते सोया और सुबह उठा ही नहीं.

डायबिटीज है तो संभलें
डॉ तिवारी ने कहा कि सामान्य रूप से हृदय रोग का खतरा पांच फीसद है, लेकिन यदि माता-पिता को कोई बीमारी है तो यह संभावना दोगुनी हो जाती है. डायबिटीज के मरीजों में कोरोनरी आर्टरी ब्लाकेज का खतरा अधिक होता है. जो लोग लंबे समय से डायबिटिक हैं, उन्हें तो यह खतरा है ही साथ ही उनके बच्चों को भी डायबिटीज की संभावना होती है और उनमें ब्लाकेज की आशंका बढ़ जाती है. अगर माता या पिता में से किसी एक को डायबिटीज है तो बच्चे को डायबिटीज होने की संभावना 25 फीसद है और यदि माता-पिता दोनों डायबिटिक हैं तो यह संभावना 50 फीसद हो जाती है.

हार्टअटैक के लक्षण

  • अगर आप तनाव की स्थिति में चिल्ला रहे हैं और सीने में दबाव, दर्द और गले में अवरोध जैसा अनुभव हो. यह चेतावनी डायबिटीज में नहीं मिलती, क्योंकि डायबिटीज रोगियों की नर्ब्स (तंत्रिकाएं) खराब हो जाती हैं.
  • आनुवांशिक रूप से मांसपेशियां मोटी हैं तो दिक्कत आ सकती है.

    जीवनशैली में ऐसे लाएं बदलाव
  • नियमित व्यायाम को जीवनशैली का हिस्सा बनाएं। चाहे जागिंग करें, व्यायाम या ट्रेडमिल, ध्यान रखें कि शारीरिक गतिविधि चार किलोमीटर तेज सैर के बराबर हो.
  • चार व्हाइट्स से दूरी बनाएं. शक्कर, सफेद चावल, आलू और मैदा का उपयोग सीमित करें. अगर डायबिटीज है तो इन चीजों को बिल्कुल छोड़ दें.
  • दिन में केवल 15 मिली तेल का ही उपयोग करें.
  • जमने वाली वसा यानी वनस्पति घी या मक्खन उपयोग में न लाएं.
  • हर छह महीने में खाने वाला तेल बदलें.
  • पोषक और संतुलित आहार लें.
  • वजन नियंत्रण में रखें.
  • धूमपान, अल्कोहल और तंबाकू का सेवन न करें.

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