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एआईएसएचई ने लखनऊ विश्वविद्यालय को राज्य में सर्वोच्च स्थान प्रदान किया

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 5, 2023, 7:51 AM IST

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एआईएसएचई (All India survey on Higher Education) ने लखनऊ विश्वविद्यालय को राज्य में सर्वोच्च स्थान प्रदान किया है. रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ विश्वविद्यालय ने सभी दूसरे पैरामीटर्स में भी सबसे ज्यादा स्कोर प्राप्त करने ने सफल रहा है. लविवि ने उत्तर प्रदेश में बहु-अनुशासनात्मक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालयों (एमईआरयू) कैटेगरी में 585 का स्कोर प्राप्त किया है.

लखनऊः उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लखनऊ विश्वविद्यालय ने एक और नई उपलब्धि हासिल करने में कामयाब हुई है. अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) की हालिया रिपोर्ट में लखनऊ विश्वविद्यालय ने प्रदेश में बहु-अनुशासनात्मक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालयों (एमईआरयू) कैटेगरी में 585 का स्कोर पाने ने सफल रहा है. इस स्कोर के साथ ही विश्वविद्यालय ने राज्य में सर्वोच्च स्थान पर भी रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ विश्वविद्यालय ने सभी दूसरे पैरामीटर्स में भी सबसे ज्यादा स्कोर प्राप्त करने ने सफल रहा है. जैसे कि नैक ग्रेडिंग (100), एआईआरएफ रैंकिंग 2023 (60), विश्वविद्यालय में छात्रों की नामांकन (100), विभागों की संख्या (100), शिक्षक पदों की भर्ती में (100) और पिछले राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) (100) नंबर मिला है. यह जानकारी लखनऊ विश्वविद्यालय प्रवक्ता डॉ दुर्गेश श्रीवास्तव ने दी.

उन्होंने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय के बाद जिस विद्यालय को सबसे निकटतम विश्वविद्यालय है उसे 535 का स्कोर प्राप्त हुआ है. उन्होंने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय को यह स्कोर प्रदेश में बहु-विषयक शिक्षा और रिसर्च के क्षेत्र में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन के आधार पर प्रदान किया गया है.

प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम-उषा) के तहत ग्रांट मिल सकती है: डॉ दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि एआईएसएचई कैटेगरी में बेहतरीन स्कोर पाने के बाद अब लखनऊ विश्वविद्यालय केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम-उषा) कभी लाभ उठा सकता है. इसके तहत विश्वविद्यालय इस योजना के तहत मिलने वाले विभिन्न प्रकार के ग्रंथ को पाने के लिए अब योग्य हो गया है.

उन्होंने कहा कि केंद्र प्रायोजित इस योजना में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (आरयूएसए) संचालित करता है. जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य की उच्च शिक्षा में पहुंच, समानता और उत्कृष्टता बढ़ाना और राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के बने संस्थानों को वित्त मदद करना है. प्रवक्ता ने बताया कि यह योजना साल 2013 और 2018 में शुरू की गई थी. दो योजना अवधियों (XII और XIII) के बीच देश के विभिन्न प्रदेशों के 300 से अधिक राज्य विश्वविद्यालयों और संबद्ध कॉलेजों को आपसी प्रतिस्पर्धा को विकसित करने के साथ ही अपने यहां पर बेहतर रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए बजट आवंटित करता है.

डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि पीएम-उषा विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन कई स्तर पर करती है. जैसे कि विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाने वाले पाठ्यक्रमों की रूपरेखा और क्रेडिट प्रणाली (सीएफसीएस) के किस तरह से तय की गई है, नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद विश्वविद्यालय में शैक्षिक क्रेडिट बैंक किस तरह से तैयार किया गया है.

छात्रों के प्रवेश और मल्टीप्ल एग्जिट ऑन एंट्री की क्या प्रक्रिया, एनएचईक्यूएफ पर क्या दिशानिर्देश लागू है, एमईआरयू क्लस्टर्स में पंजीकरण है या नहीं, ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गई है या नहीं, डिस्टेंस लर्निंग, स्वयम और मूक्स कार्यक्रमों के लिए डिजिटल नोडल सेंटर के रूप में पंजीकरण हुआ है या नही. इस तरह के करीब दो दर्जन से अधिक चीजों का मूल्यांकन किया जाता है.
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